आज पूरे देश में गणेश चतुर्थी का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. लोग मंदिरों के साथ-साथ घर-परिवारों में भी बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर गजानन की पूजा में लगे हैं. इस बीच झुंझुनूं जिले के गुढ़ागौड़जी में स्थित पहाड़ी वाले गणेश मंदिर में भी सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं. गुढ़ागौड़जी कस्बे में पहाड़ी वाले गणेश मंदिर पर स्थानीय लोगों की गहरी आस्था है. यहां भगवान गणेश की प्रतिमा पहाड़ी की चट्टान पर प्राकृतिक रूप से उभरी हुई है. जिसे पहाड़ी वाले गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है.
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि करीब 500 वर्ष से भी अधिक समय पहले पहाड़ के एक हिस्से में प्राकृतिक रूप से गणपति की प्रतिमा स्वरूप उभर आया था, तब से ही लोग इनकी गणपति बप्पा के रूप में पूजा करते हैं. प्राकृतिक रूप से प्रकट एक दंत व शीश स्वरूप गणेश की बनावट कुछ इस तरह है कि शहर के कई लोग सुबह अपने घर की छत पर खड़े होकर भी उनके दर्शन कर लेते हैं.
शादी का पहला न्योता लोग इन्हें ही देते
गणेश चतुर्थी से चतुर्दशी तक यहां खास चहल-पहल रहती है. कस्बे के लोग इन्हें अपने आराध्य के रूप में पूजते आ रहे हैं. यहां शेखावत वंश की परंपरा है कि शादी का पहला न्यौता इसी मंदिर में जाकर दूल्हा खुद भगवान गणेश को देता है और उनसे प्रथम पधारने का आग्रह करके आता है. इसके बाद ही इन परिवारों में शादी की रस्में शुरू होती हैं.
गणेश चतुर्थी के मौके पर उमड़तें है श्रद्धालु
कहा जाता है कि भगवान गणेश जी का मुंह कस्बे की तरफ है. वे पूरे कस्बे के रखवाले हैं. गणेश चतुर्थी के अवसर पर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. लोग भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं.