
Rajasthan Politics: राजस्थान की भजनलाल सरकार गहलोत राज हुए फर्जीवाड़े और घोटाले के खिलाफ लगातार एक्शन ले रही है. जल जीवन मिशन घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री महेश जोशी को अभी जमानत मिली नहीं है. इससे पहले कांग्रेस सरकार के एक और मंत्री की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं. ताजा मामला अशोक गहलोत सरकार में सहकारिता मंत्री रहे उदयलाल आंजना से जुड़ा है. उन पर ग्राम सेवा सहकारी समितियों में मैनेजर की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगे हैं. अब एसीबी ने एफआईआर के लिए राज्यपाल से मंजूरी मांगी है.
व्यवस्थापकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा
दरअसल, ग्राम सेवा सहकारी समिति में 1100 से अधिक व्यवस्थापकों की नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा करने के आरोप से जुड़ा हुआ मामला है. 2022-23 में बनाई गई स्क्रीनिंग कमेटियों ने नियमों को दरकिनार करते हुए अपात्र लोगों को व्यवस्थापक और सहायक व्यवस्थापक के पदों पर नियुक्ति दी थी. इनमें कुल 1100 से अधिक व्यवस्थापकों की नियुक्ति में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे.
कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई
इस बड़े फर्जीवाड़े में सरकार की ओर से जांच की मंजूरी मिलने के बाद कई अफसरों पर लगे आरोप सही पाए गए. इसके बाद इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सहकारी विभाग को एसीबी ने प्रस्ताव भी भेजा. अब पूर्व मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए राज्यपाल से मंजूरी मांगी गई है. एसीबी द्वारा एफआईआर के लिए राज्यपाल से मंजूरी मांगे जाने पर पूर्व सहकारिता मंत्री आंजना ने प्रतिक्रिया दी है.
'उदयलाल को बदनाम किया जा रहा'
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता उदयलाल आंजना ने कहा कि अपने भ्रष्टाचार का आरोप छिपाने के लिए और ठंडा वातावरण करने के लिए इस तरह के षड्यंत्र कर उदय लाल आंजना को बदनाम किया जा रहा हैं. उन्होंने कहा कि जयपुर में चौराहे-चौराहे पर पोस्टर लगे हैं और मीडिया बोल रहा कि भ्रष्टाचार हो गया, लेकिन इस पर कोई नही बोल रहा हैं.
उदयलाल आंजना ने कहा कि मैं हर तरह की जांच के लिए सदैव तैयार रहूंगा. मेरे मंत्री रहते हुए मैंने कोई गलत नहीं किया. जितना नवाचार आंजना के मंत्री के समय हुआ वो किसे के समय में नहीं हुआ. ग्राम सेवा सहकारी समिति में व्यवस्थापकों की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए आंजना ने उल्टा आरोप लगा दिया कि कस्टम हायरिंग सेंटर में ट्रैक्टर वितरण किए गए थे वो एक ही कम्पनी और एक ही एजेंसी के के ट्रैक्टर हैं. वो एजेंसी किसकी थी, इसकी ही जांच करवा लें.
यह भी पढे़ं-
नरेश मीणा के समर्थन में किरोड़ी लाल! बोले- किसके कहने पर सरेंडर किया, मेरी बात ही नहीं सुनी