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Rajasthan Politics: 'जवान' vs 'युवा', 2028 की तैयारी में राजस्थान कांग्रेस के सामने आया नया रोड़ा

Rajasthan Politics: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के आगामी चुनाव की तैयारी ने पार्टी के युवा नेताओं में नाराजगी को जन्म देने का काम किया है. सोपी जोशी के ऐलान ने साफ संकेत दिया है कि 2028 में भी टिकट के लिए भीतरखाने टकराव तय है.

Rajasthan Politics: 'जवान' vs 'युवा', 2028 की तैयारी में राजस्थान कांग्रेस के सामने आया नया रोड़ा
राजस्थान कांग्रेस के सामने नई चुनौती

Rajasthan Politics: राजस्थान में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सीपी जोशी ने हाल ही में खुद ‘जवान' बताते हुए 2028 का विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इसके बाद राजस्थान कांग्रेस में प्रतिनिधित्व को लेकर नई बहस शुरू हो गई. पार्टी के युवा नेताओं में सीपी जोशी के बयान को लेकर असंतोष देखने को मिला है. इसके अलावा सीपी जोशी के ऐलान के बाद अब कांग्रेस नेतृत्व के सामने पार्टी के वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच संतुलन साधने की बड़ी चुनौती होगी.

75 की उम्र में जवान

दरअसल, सीपी जोशी ने राजसमंद में कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ रैली' के दौरान कहा कि वे अगला चुनाव लड़ेंगे. इस दौरान उन्होंने खुद जवान भी बताया. बड़ी बात है कि सीपी जोशी की उम्र 75 साल है. ऐसे में पार्टी के 75 वर्षीय नेता का इस तरह का ऐलान कांग्रेस में नई पीढ़ी की संभावनाओं को सीमित कर सकता है. 

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सीपी जोशी के 2028 में चुनाव लड़ने का ऐलान कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं में उत्साह भरने का काम किया है कि जब जोशी चुनाव लड़ सकते हैं तो और कोई क्यों नहीं. 

इस समय कांग्रेस विधायक दल में चार नेता ऐसे हैं, जिनकी उम्र 80 साल को पार कर चुकी है. इनमें दीपचंद खेरिया (84), हरिमोहन शर्मा (83), शांति धारीवाल (82), और दयाराम परमार (80) शामिल हैं. 

विधायक दल के चार नेताओं के अलावा अशोक गहलोत (74), सुरेश मोदी (74), लक्ष्मण मीणा (75), हरेंद्र मिर्धा (76), भीमराज भाटी (78), श्रवण कुमार (71) और सीएल प्रेमी (71) जैसे नेता भी उम्रदराज होने के बावजूद सक्रिय राजनीति में हैं और भविष्य की चुनावी तैयारियों में जुटे हैं. 

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युवाओं नेताओं में नाराजगी

वरिष्ठ नेताओं की ऐसी सक्रियता के बीच पार्टी के युवा नेताओं में नाराजगी और बेचैनी देखी जा रही है. सूत्रों के अनुसार, कई युवा नेता संगठन में ‘75 पार फॉर्मूले' को लेकर आशान्वित थे, लेकिन वरिष्ठ नेताओं की घोषणाओं ने इस उम्मीद को झटका दिया है. पार्टी के एक युवा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर नेतृत्व खुद बुजुर्ग नेताओं को दोबारा मैदान में उतारने को तैयार है, तो नई पीढ़ी को आगे लाने की बातें महज़ औपचारिकता बनकर रह जाएंगी. 

कांग्रेस नेतृत्व के सामने होगी बड़ी चुनौती

कांग्रेस नेतृत्व के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि वह वरिष्ठ नेताओं के अनुभव और युवा नेताओं की आकांक्षाओं के बीच संतुलन कैसे साधे. पार्टी अगर 2028 के चुनाव में वापसी चाहती है, तो उसे स्पष्ट रणनीति बनानी होगी कि किन चेहरों को टिकट मिलेगा और किसे संगठनात्मक ज़िम्मेदारी दी जाएगी. वरना यह बहस आने वाले समय में पार्टी के लिए अंदरूनी संघर्ष और नेतृत्व की अस्पष्टता का कारण बन सकती है.

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ये बिल्कुल साफ़ है कि राजस्थान कांग्रेस में बुजुर्ग नेताओं का चुनावी मोह अभी टूटा नहीं है. सीपी जोशी जैसे नेताओं के ऐलान ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि 2028 में भी टिकट के लिए भीतरखाने टकराव तय है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि युवा नेता कब तक इंतजार करेंगे और नेतृत्व उन्हें कितना स्पेस दे पाएगा.

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