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राजस्थान के प्रतापगढ़ में अनोखी दुकान, जो सालभर में सिर्फ एक दिन खुलती; जानिए क्या है वजह

प्रतापगढ़ शहर के बोहरा गली में एक ऐसी दुकान है, जो केवल साल में एक बार खुलती है. वह भी सिर्फ हरियाली अमावस्या के मौके पर. इस अनोखी दुकान पर रबड़ी और मालपुआ मिलता है.

राजस्थान के प्रतापगढ़ में अनोखी दुकान, जो सालभर में सिर्फ एक दिन खुलती; जानिए क्या है वजह
प्रतापगढ़ में अनोखी दुकान

Rajasthan News: त्यौहार का सीजन आते ही देशभर के बाजारों में रौनक छा जाती है. सामान्य दिनों की अपेक्षा त्योहार के समय में बाजार में ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है. लोग मिठाई, नए-नए कपड़े और अन्य सामान खरीदने के लिए बाजार पहुंचने लगते हैं. राजस्थान के प्रतापगढ़ के बाजार में एक ऐसी दुकान है, जो सालभर में सिर्फ एक दिन खुलती है. यहां पर केवल रबड़ी और मालपुए की बिक्री होती है. वह भी खास दिन पर. इस दुकान में पॉलिथीन का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं होता है. 

अमावस्या पर होता अलग नजारा

दरअसल, प्रतापगढ़ जिले में हरियाली अमावस्या पर अलग ही नजर देखने को मिलता है. प्रतापगढ़ और आसपास के इलाके में फैली हरियाली का लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं. इस खास त्यौहार के मौके पर बाजार में रबड़ी और मालपुए की जमकर बिक्री होती है. मिठाइयों की दुकानों पर लोगों की भीड़ लग जाती है. 

सालभर में सिर्फ एक दिन खुलती अनोखी दुकान

शहर की बोहरा गली में एक ऐसी दुकान है, जो केवल साल में एक बार खुलती है. वह भी सिर्फ हरियाली अमावस्या के मौके पर. इस अनोखी दुकान पर रबड़ी और मालपुए बनता है. ध्यान देने वाली बात है कि इस दुकान पर पॉलिथीन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. मालपुए और रबड़ी खाकरें के पत्तों में दिए जाते हैं. 

दुकान संचालक ने बताया कि वह केवल हरियाली अमावस्या के दिन ही रबड़ी और मालपुए बनाते हैं. यहां पर आने वाले ग्राहकों को खाकरें के पत्तों में मालपुए दिया जाता है. वह ऐसा करके पर्यावरण को बचाने का संदेश देते हैं. सालभर में सिर्फ एक बार दुकान खोलने के पीछे वजह के बारे में बताया गया कि 40 साल पहले दुकान हर दिन खोली जाती थी,  लेकिन परिवार का व्यवसाय बदलने के कारण अब सिर्फ हरियाली अमावस्या के ही दिन खोली जाती है.

सिर्फ 5 रुपये है दुकान का किराया  

बाकी समय में यह दुकान बंद रहती है. मंदिर की जगह होने से इसका नाम मात्र का किराया 5 रुपये है, जिससे दुकान मालिक को कोई फर्क नहीं पड़ता है. सिर्फ हरियाली अमावस्या के दिन दुकान पर रबड़ी और मालपुए की बिक्री होती है. बाकी दिनों में दुकान के मालिक ओमप्रकाश पालीवाल अन्य काम करते हैं. इनका बेटा भी विदेश है, जो समय-समय पर इनको रुपए भेजता है. 

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