
Rajasthan Politics: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ‘संवैधानिक पदों पर दबाव' वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. जयपुर में पूर्व विधायक संघ के मंच से उन्होंने बिना नाम लिए गहलोत को जवाब दिया.
धनखड़ ने कहा कि राजस्थान की धरती का व्यक्ति कभी दबाव में नहीं आता. उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं न किसी पर दबाव डालता हूं, न किसी के दबाव में काम करता हूं.” उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का भी जिक्र किया और कहा कि राजस्थान का पानी पीने वाला व्यक्ति दबाव में झुकता नहीं.
लोकतंत्र और अभिव्यक्ति पर जोर
धनखड़ ने अपने संबोधन में लोकतंत्र की मजबूती पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विपक्ष दुश्मन नहीं है. लोकतंत्र में वाद-विवाद और संवाद जरूरी है. अभिव्यक्ति की आजादी को प्रजातंत्र की जान बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे का पक्ष सुनना चाहिए. लेकिन अभिव्यक्ति ऐसी नहीं होनी चाहिए कि दूसरों के विचारों का महत्व ही खत्म हो जाए.
नरसिम्हा राव का उदाहरण
उपराष्ट्रपति ने संसद की गरिमा का जिक्र करते हुए एक पुराना उदाहरण दिया. उन्होंने बताया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को देश का पक्ष रखने के लिए विदेश भेजा था. यह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोकतंत्र की ताकत दिखाता है.
जानें क्या कहा था गहलोत ने
दो दिन पहले जोधपुर में अशोक गहलोत ने बीजेपी पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाया था. उन्होंने कहा था कि राज्यपाल, उपराष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोग दबाव में काम कर रहे हैं. गहलोत ने यह भी दावा किया कि बीजेपी विपक्ष को कुचल रही है और संवैधानिक संस्थाएं कमजोर हो रही हैं.
राजनीतिक हलकों में चर्चा
धनखड़ का यह बयान गहलोत के आरोपों का सीधा जवाब माना जा रहा है. राजस्थान की सियासत में यह मुद्दा अब गरमाने की संभावना है. पाठकों के बीच यह खबर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लोकतंत्र, संवैधानिक संस्थाओं और राजस्थान की अस्मिता से जुड़ा एक ज्वलंत मुद्दा है.
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