Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र की कार्यवाही के दौरान मंगलवार को एक पल ऐसा आया जब बीजेपी विधायक के सवाल का जवाब देने के लिए मंत्री सदन में मौजूद ही नहीं थे. ऐसे में कांग्रेस (Congress) नेता हंगामा करने लगे तो स्पीकर वासुदेव देवनानी ने अंता विधायक कंवरलाल मीणा (Kanwar Lal Meena) को सदन में बोलने की अनुमति दी. मीणा ने अवैध खनन और बजरी महंगी होने के संबंध में अपनी बात रखी और गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रमोद जैन भाया (Pramod Jain Bhaya) को अपने निशाने पर ले लिया.
'भाया रे भाया, खूब खाया, एक गांव तो पूरा खाया'
कंवरलाल मीणा ने कहा, "पहले बजरी माफिया को कोई नहीं जानता था. नदियां पहले भी थीं, बजरी पहले भी थीं, मकान पहले भी बनते थे. लेकिन जब से गहलोत जी ने भ्रष्ट प्रमोद भाया को मंत्री बनाया, तब से वो इसके ब्रांड एम्बेसडर बन गए. उसी दिन से बजरी और अवैध खनन का बोल बाला राजस्थान में चालू हुआ. पहले जिस काम के 1200 रुपये लिए जाते थे, अब 22 हजार रुपये लिए जाते हैं. कांग्रेस नेताओं को शर्म आनी चाहिए."
उन्होंने आगे कहा,"ये ए.एन.जे. कटियाल कौन है? ये भाया का पार्टनर है. उसको बिसलपुर बांध का 28 हजार करोड़ रुपये का ठेका दिया हुआ है. कांग्रेस पार्टी का विधायक लगातार इस पर मांग उठाता आया है, उसने सिर मुंडवा लिया है, गंजा हो गया है. फिर भी उसकी नहीं सुनी गई. जब पीएम मोदी अंता आए थे, तब उन्होंने भी कहा था- भाया रे भाया, खूब खाया, एक गांव तो पूरा खाया. ऐसे शख्स को बचाने के लिए आप खड़े हो जाते हो."
डोटासरा-जूली ने सदन में जमकर किया विरोध
बीजेपी विधायक ने मंत्री से निवेदन करते हुए कहा, "मेरी विधानसभा अंता से दो नदियां बहती हैं. वर्ष 2013 से उन नदियों से बजरी निकालने की अनुमति नहीं है. अंता में इस वक्त बजरी बहुत महंगी है, जिससे लोगों को अपने सपनों का घर बनाने में परेशानी हो रही है. मैं सरकार से निवेदन करना चाहता हूं कि 2013 से रुकी हुई उस परमिशन पर एक्शन लेते हुए नदियों से बजरी निकालने की अनुमति दी जाए, ताकि मार्केट में दाम कुछ कम हो सकें और गरीब अपना घर बनवा सकें."
जिस वक्त भाजपा विधायक सदन में अपनी बात रख रहे थे, उस वक्त कांग्रेस नेताओं ने जमकर विरोध किया. भाजपा नेता से पूछा कि वो भ्रष्ट मंत्री किसे कह रहे हैं. यहां तक कि स्पीकर से भी वे सवाल करने लगे, तब स्पीकर देवनानी ने कहा कि उन्होंने ही उन्हें बोलने की अनुमति दी है.
सदन में इस मामले पर काफी देर तक हंगामा चलता रहा. जब विधायक अपनी बात खत्म करके सीट पर बैठे तब जाकर सदन में हंगामा शांत हुआ.
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