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This Article is From Oct 22, 2023

Rajasthan Election 2023: क्या वसुंधरा राजे के करीबी यूनुस खान को उम्मीदवार बनाएगी BJP? या फिर खेलेगी हिंदुत्व का कार्ड!

Rajasthan Assembly Elections 2023: आश्चर्यजनक तथ्य है कि डीडवाना से भाजपा दो बार ही जीत सकी और दोनों बार ही जीत दिलाने वाले युनुस खान ही थे. 2003 से पहले तक डीडवाना से कभी भी भाजपा जीत तक नहीं सकी थी.

Rajasthan Election 2023: क्या वसुंधरा राजे के करीबी यूनुस खान को उम्मीदवार बनाएगी BJP? या फिर खेलेगी हिंदुत्व का कार्ड!
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (फाइल फोटो).

Rajasthan Elections News: राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) पूरी तरह चुनावी मैदान में उतर चुकी है. इसके लिए भाजपा द्वारा प्रदेश भर में परिवर्तन संकल्प यात्रा निकाली गई थी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार राजस्थान के दौरे कर रहे हैं, ताकि चुनावी समीकरण को भाजपा के पक्ष में किया जा सके. इसी बीच हाल ही में चर्चा आई थी कि भाजपा ने प्रदेश की 40 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम लगभग तय कर दिए हैं, जिनमें डीडवाना विधानसभा का भी नाम शामिल है. 

महाराज को टिकट मिलने की चर्चा

माना जा रहा है कि भाजपा इस सीट पर सांगलिया धोनी के स्वामी ओमदास महाराज को मैदान में उतर सकती है. भाजपा अगर ऐसा करती है तो डीडवाना से भाजपा के टिकट के प्रबल दावेदार यूनुस खान के लिए मुश्किलें हो सकती है, क्योंकि यूनुस खान डीडवाना से भाजपा के सबसे बड़े दावेदार हैं. यही नहीं, वे प्रदेश भाजपा का इकलौता मुस्लिम चेहरा भी हैं. यूनुस खान डीडवाना से चार बार भाजपा के प्रत्याशी रह चुके हैं, जिसमें से दो बार यूनुस खान जीत दर्ज कर चुके हैं. यूनुस खान पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेहद गरीबी माने जाते हैं. यही वजह है कि उन्हें वसुंधरा सरकार में दो बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. यह भी आश्चर्यजनक तथ्य है कि डीडवाना से भाजपा दो बार ही जीत सकी और दोनों बार ही जीत दिलाने वाले यूनुस खान ही थे. 2003 से पहले तक डीडवाना से कभी भी भाजपा जीत तक नहीं सकी थी.

यूनुस को दरकिनार किया जा रहा!

पिछले विधानसभा चुनाव में भी यूनुस खान डीडवाना से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक थे. मगर एन वक्त तक भाजपा ने उन्हें डीडवाना से टिकट नहीं दिया और उन्हें टोंक में सचिन पायलट के सामने चुनाव लड़ने भेज दिया, जिसका नतीजा यह हुआ कि टोंक में यूनुस खान 54179 वोटो के अंतर से हारे. वहीं डीडवाना सीट पर भी भाजपा को 40602 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा. इस बार भी यूनुस खान डीडवाना से ही चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. मगर भाजपा यूनुस खान को दरकिनार करने में जुटी है. यही वजह है कि यूनुस खान की जगह सांगलिया धूनी के स्वामी ओमदास महाराज को भाजपा प्रत्याशी बनाने की कवायद की जा रही है. चर्चा है कि भाजपा और संघ से जुड़े वरिष्ठ नेताओं ने ओमदास महाराज से इस बारे में कई बार चर्चा की है. हालांकि ओमदास महाराज का चुनाव लड़ने को लेकर अब तक मत स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह चुनाव लड़ेंगे या नहीं. इसी बात को लेकर अभी तक डीडवाना सीट की टिकट पर फैसला नहीं हो सका है. लेकिन अगर ओमदास महाराज डीडवाना से चुनाव लड़ते हैं तो यूनुस खान की टिकट कटना तय है.

क्या कहता है जातिगत समीकरण?

ऐसे में डीडवाना विधानसभा में चुनावी मुकाबला काफी रोचक होने की संभावना है. क्योंकि डीडवाना विधानसभा सीट पर जाट, मुस्लिम और एससी वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. इनमें से मुस्लिम और एससी वर्ग के अधिकांश वोट यूनुस खान के पक्ष में आते रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा ओमदास महाराज के माध्यम से एससी वर्ग के साथ को अपने पक्ष में करना चाहती है, ताकि यूनुस खान के पक्ष में जो मुस्लिम मतदाता वोट करते थे उनकी भरपाई एससी वर्ग के वोटों से की जा सके. साथ ही भाजपा के कोर वोट और हिंदुत्व के सहारे ओमदास महाराज को जिताया जा सके. मगर यदि ओमदास महाराज चुनाव नहीं लड़ते हैं तो फिर भाजपा यूनुस खान पर भी दांव खेल सकती है. इसके अलावा भाजपा किसी जाट चेहरे या पूर्व प्रत्याशी रहे जितेंद्र सिंह जोधा को भी चुनाव मैदान में उतर सकती है.

संकल्प यात्रा से बनाई थी दूरी

बहरहाल इस घटनाक्रम से यह तो साफ हो चला है कि भाजपा यूनुस खान को दरकिनार करने में जुटी है, क्योंकि यूनुस खान वसुंधरा राजे गुट के नेता माने जाते हैं और भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस बार वसुंधरा राजे को साइड लाइन करने में जुटा है. प्रधानमंत्री मोदी भी अपनी सभाओं में स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि चुनाव में पार्टी का कोई मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं होगा. भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व और वसुंधरा राजे के बीच भी कड़वाहट और अनबन की खबरें भी कई बार आती रही हैं. इससे पूर्व कुछ दिनों पहले जब भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा डीडवाना आई थी, तब भी यूनुस खान को दूर रखा गया था. डीडवाना में हुई भाजपा की आमसभा में भी यूनुस खान नजर नहीं आए थे. इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व वसुंधरा राजे गुट के नेताओं को चुनाव में पूरी तरह से साइड लाइन कर नए चेहरों को मौका देगी. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का यह दांव कितना सफल होगा? और क्या भाजपा इस प्रयोग के जरिए डीडवाना से जीत हासिल कर सकेगी? या फिर उसके इस निर्णय से कांग्रेस की राह मुश्किल होगी या कांग्रेस फिर से यहां से जीत दर्ज करने में कामयाब होगी? बहरहाल, यह सब भविष्य के गर्भ में है.

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