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World Tiger Day पर रणथंभौर क्वीन बाघिन ‘मछली' को मिलेगा सम्मान, जिसकी वजह से राजस्थान बना बाघों का घर

Tigress Machali: विश्व बाघ दिवस के अवसर पर रणथंभौर नेशनल पार्क की मशहूर और प्रतिष्ठित बाघिन 'मछली' को विशेष सम्मान मिलने जा रहा है

World Tiger Day पर रणथंभौर क्वीन बाघिन ‘मछली' को मिलेगा सम्मान, जिसकी वजह से राजस्थान बना बाघों का घर
बाघिन मछली

Tigress Machali:  हर साल 29 जुलाई को मनाए जाने वाले विश्व बाघ दिवस (World Tiger Day) के अवसर पर, राजस्थान (Rajasthan) को एक विशेष सम्मान मिलने जा रहा है. यह सम्मान किसी और को नहीं, बल्कि रणथंभौर नेशनल पार्क की मशहूर और प्रतिष्ठित बाघिन 'मछली' को दिया जाएगा. मछली को यह सम्मान इसलिए मिल रहा है क्योंकि उसने राजस्थान को बाघों का एक प्रमुख घर बनाने में अहम भूमिका निभाई है.

लेडी ऑफ लेक मछली को मिलेगा सम्मान

रणथंभौर की प्रसिद्ध बाघिन मछली (Tigress Machali) (टी-16) को रणथंभौर की रानी, लेडी ऑफ लेक आदि नामों से जाना जाता है. बाघों की संख्या बढ़ाने में उसके योगदान के लिए आज (मंगलवार) सुबह 11 बजे जोन-3 के जोगीमहल गेट पर उसकी स्मृति में एक स्मारक का अनावरण किया जाएगा जिसमें  वन मंत्री संजय शर्मा मुख्य अतिथि होंगे. इसके अलावा, विधायक डॉ. किरोड़ी लाल मीणा और जितेंद्र गोठवाल भी कार्यक्रम में शामिल होंगे.

रणथंभौर को दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान 

वन विभाग ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि बाघिन मछली (Tigress Machali) ने रणथंभौर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और बाघ पर्यटन को भी लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचाया. आज भी लाखों पर्यटक मछली और उसके वंशजों को देखने रणथंभौर आते हैं. उसकी पोती एरोहेड ने ही उसकी विरासत को बखूबी संभाला. उसने 12 जून 2025 को अंतिम सांस ली. वन विभाग ने मछली को श्रद्धांजलि देने के लिए यह स्मारक बनवाया है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी मछली और उसके वंशजों के योगदान को जान सकें.

 2008 में मछली की संतानों को भेजा गया था सरिस्का, कोटा, बूंदी

रणथंभौर की 'मछली' सिर्फ एक बाघिन नहीं थी, बल्कि वन्यजीव संरक्षण के इतिहास में एक लीजेंड के तौर पर जानी जाती है. 2008 में जब सरिस्का बाघों से खाली हो गया था, तब उसे मछली की संतानों से आबाद किया गया. कोटा-बूंदी के जंगलों में भी जब टाइगर ट्रांसलोकेशन हुआ, रणथंभौर की यही विरासत वहां पहुंची. मछली की वजह से ही राजस्थान की पहचान में बाघ भी शामिल हुए.उसने कई शावकों को जन्म दिया, जिससे रणथंभौर में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई. उसके वंशज आज भी पार्क में मौजूद हैं और बाघों की आबादी को बढ़ा रहे हैं. 

लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से किया गया था सम्मानित

वह हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रही. वह भी इसका जैसे मानों ख्याल रखती रही हो. वह टूरिस्टों को बेहतरीन पोज दिया करती थी. किसी बाघिन को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया जाना अपने आप में एक ऐतिहासिक घटना है. मछली को उसके योगदान के लिए  मछली और रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान पर आधारित कई पुस्तकों को संरक्षण और व्यापक राजस्थान अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए TOFT लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला है.

मछली ने अपनी बहादुरी और बुद्धिमत्ता से खुद को साबित किया. मगरमच्छों से लड़ना और अपने क्षेत्र का fiercely बचाव करना, उसके कुछ ऐसे कारनामे थे जिसने उसे एक शक्तिशाली और सम्मानित बाघिन बनाया. वह वन्यजीव संरक्षण के लिए एक प्रेरणा बन गई.

डाक टिकट से लेकर डॉक्यूमेंट्री तक

भारत सरकार ने 2013 में मछली के सम्मान में डाक टिकट जारी किया. यह वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में किसी भी बाघ के लिए एक दुर्लभ सम्मान है. वन विभाग ने मछली पुरस्कार की शुरुआत की, जो वन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिया जाता है. अब रणथंभौर के जोगीमहल में उसका स्मारक भी बनाया गया है.
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