जैसलमेर की रेतीली धरती और रंगीला लोक संगीत एक दूसरे के पूरक हैं। सूफी मांगनियार समुदाय के शकूर खान और उनके बेटे अपनी पीढ़ीगत परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी ढोल और खड़ताल की जुगलबंदी हर किसी को थिरकने पर मजबूर कर देती है।