राजसमंद झील के किनारे पहाड़ी पर स्थित 'रूठी रानी का महल' (Ruthi Rani Ka Mahal) आज भी इतिहास के पन्नों में रानी उमादे के स्वाभिमान और नाराजगी की गवाही देता है। कहा जाता है कि मारवाड़ के राजा मालदेव से नाराज होकर रानी उमादे ने अपना पूरा जीवन इसी 'कोप भवन' में बिताया था। दासी भारमली को लेकर राजा और रानी के बीच क्या विवाद हुआ था? क्या वाकई इस वीरान महल में आज भी घुंघरुओं की आवाज सुनाई देती है? पुरातत्व विभाग द्वारा संवारे गए इस ऐतिहासिक धरोहर की पूरी कहानी जानिए इस खास रिपोर्ट में।