US President Elections Result 2024: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर थी. इस चुनाव में जीत के साथ अमेरिका में एक बार फिर से डोनाल्ड ट्रंप का युग आ गया है. डोलाल्ड ट्रंप की जीत के साथ ही अमेरिका के महिला राष्ट्रपति मिलने का 235 साल लंबा इंतजार और आगे बढ़ गया. कमला हैरिस के पक्ष में माहौल तो खूब बना था, लेकिन वो जीत नहीं सकी. डोनाल्ड जॉन ट्रंप ने भारतीय समयनुसार बुधवार शाम 8.20 बजे तक 280 इलेक्टोरल वोट हासिल कर लिए थे जो कि बहुमत के 270 के जादुई आंकड़े से कहीं अधिक है.
हालांकि राज्यों को आधिकारिक परिणामों की घोषणा करने में कई दिन या सप्ताह लगेंगे क्योंकि उन्हें औपचारिकताएं और मतगणना पूरी करनी होगी, लेकिन परंपरा के अनुसार मीडिया ने मतगणना के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर उन्हें विजेता घोषित किया.
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति
78 साल की उम्र में व्हाइट हाउस में कदम रखने वाले डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे. वह पराजित होने के बाद चुने जाने वाले अमेरिकी इतिहास के दूसरे राष्ट्रपति बन गए हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड सिर्फ ग्रोवर क्लीवलैंड के नाम था जो 1892 में दूसरी बार चुनाव जीते थे. डोनाल्ड ट्रंप की यह दूसरी जीत इस लिहाज से भी खास है कि इस बार रिपब्लिकन पार्टी ने सीनेट में बहुमत हासिल कर लिया है.
महिला राष्ट्रपति का 235 साल लंबा इंतजार और आगे बढ़ा
डोनाल्ड ट्रंप की जीत ने इस व्यवस्था के इतिहास को बदलने से एक बार फिर रोक दिया है, यानी जो अमेरिका पूरी दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाता रहा, उसके 235 साल के इतिहास में आज तक सत्ता के शिखर पर कोई महिला विराजमान नहीं हो पाई है. यूएस प्रेसिडेंशियल इलेक्शन के नतीजों ने एक बार फिर देश में महिला राष्ट्रपति होने की संभावना को खत्म कर दिया. रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस की दौड़ में विजेता बनकर उभरे. जबकि, ड्रेमोक्रेट कमला हैरिस उनसे काफी पीछे रह गईं.
1872 में पहली बार किसी महिला ने लड़ा था अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव
1788-89 में अमेरिका में पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ था. अधिकांश इतिहासकार और लेखक मानते हैं कि विक्टोरिया वुडहुल 1872 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाली पहली महिला थीं. हालांकि, देश को पहली महिला राष्ट्रपति मिलने का इतंजार 235 वर्ष लंबा हो गया है. ऐसे में अमेरिका के सर्वोच्च पद पर किसी महिला का न होना देश के लोकतांत्रिक स्वरूप पर सवालिया निशाना खड़ा करता है.
ऐसे में सवाल यही है कि क्या अमेरिका का तथाकथित लोकतांत्रिक और आधुनिक समाज लैंगिक भेदभाव और पितृसत्ता को स्वीकार करता है. क्या वह यह मानता है कि सर्वोच्च पद किसी महिला को नहीं दिया जा सकता है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब अमेरिकी लोकतंत्र को खोजने होंगे.
कमला हैरिस की जीत का किया जा रहा दावा हुआ फेल
लेकिन, इस सब के साथ इस विषय पर भी गौर करना होगा कि आखिर कमला हैरिस को लेकर जिस तरह जीत की आशा लिए पूरी दुनिया अमेरिका के चुनाव को टकटकी लगाए देख रही थी, वहां अचानक से ऐसा क्या हुआ कि उनको हार का सामना करना पड़ा. ऐसा ही कुछ भारत में हाल के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के साथ भी हुआ.
कमला हैरिस का हुआ राहुल गांधी जैसा हाल
अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के बाद कमला हैरिस की हार की तुलना भारत में राहुल गांधी (कांग्रेस) की हार से की जा रही है. कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' और 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के साथ इतना आश्वस्त हो गई थी कि केंद्र की सत्ता पर विपक्षी गठबंधन ही काबिज होगा. राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार भी कांग्रेस की तरफ से कई बार बता दिया गया था. लेकिन, चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस 99 सीटों पर ही सिमट गई, कांग्रेस के नेता ऐसे जोश में नजर आने लगे मानो उन्हें सरकार गठन के लिए पूर्ण बहुमत मिल गया हो.
राहुल के जैसे ही रैली में भीड़ तो जुटी लेकिन वोट नहीं मिले
अब भारत और अमेरिका के चुनाव पर एक बार नजर डालिए तो आपको लगेगा कि भाजपा के लिए जैसे राहुल गांधी रहे, वैसे ही अमेरिका में रिपब्लिकंस के लिए कमला हैरिस रहीं. वैसे तो नेता के तौर पर राहुल की 'भारत जोड़ो यात्रा' से लेकर जनसभाओं तक खूब भीड़ देखने को मिली, लेकिन यह भीड़ वोट में तब्दील नहीं हो पाई.
वहीं, अमेरिका में भी मतदाताओं के बीच कमला हैरिस की कम लोकप्रियता साफ दिखी, पेन्सिलवैनिया सहित सभी सात प्रमुख राज्यों में ऐसा ही नजर आया. वहां हुए सर्वे में तो कई राज्यों के वोटर्स ने कहा कि उन्हें कमला हैरिस के बारे में ज्यादा पता नहीं है. ऐसा कहने वालों में युवा मतदाता बड़ी संख्या में थे.
कमला हैरिस के फ्रेंच फ्राइज खाने को रिपब्लिकंस ने बनाया हथियार
कमला हैरिस ने इसको खत्म करने के लिए कार्यक्रमों में अपने बारे में बात करनी शुरू की, अपने अतीत के बारे में और पसंद-नापसंद के बारे में बताना शुरू किया. डेट्रॉयट में एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि कॉलेज के दिनों में कैलिफोर्निया में उन्होंने मैकडॉनल्ड्स में समर जॉब की थी और वह फ्रेंच फ्राइज तला करती थीं. तो, रिपब्लिकंस ने उनके इस बयान को हथियार बना लिया.
राहुल के जलेबी वाले बयान पर हुई थी किरकिरी
जैसे हरियाणा चुनाव के समय राहुल गांधी के जलेबी वाले बयान पर भाजपाइयों ने उन्हें घेर लिया था. ठीक वैसे ही अमेरिका में प्रचार के क्रम में डोनाल्ड ट्रंप फिलाडेल्फिया में मैकडॉनल्ड्स के एक आउटलेट में चले गए. उन्होंने वहां फ्रेंच फ्राइज तला और कहा ‘मुझे यह काम बड़ा पसंद है, मैं इसे ताउम्र करना चाहता था.'
उन्होंने हैरिस के मैकडॉनल्ड्स में काम करने के दावे को भी झूठ बताकर निशाना साधा. ऐसे में अमेरिकी चुनाव के नतीजे से यह साफ लगने लगा कि राहुल गांधी की राह पर कमला हैरिस चली गई हैं.
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