बांसवाड़ा के संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने NDTV राजस्थान से विशेष बातचीत में अपने प्रोफेशन करियर के बारे में विस्तार से बताया. 27 अगस्त 1979 को झालावाड़ में पैदा हुए नीरज की शिक्षा का सफर सरकारी स्कूलों में आरंभ हुआ और फिर महाराजा कॉलेज, जयपुर से उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की. फ़िर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) 2003 से उनके सार्वजनिक सेवा के करियर की शुरुआत हुई. नीरज के प्रारंभिक वर्षों में आदर्श शुरुआत और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने स्थानीय सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की, इस आधार ने उनकी बाद की उपलब्धियों के लिए आधार रखा।
सेवा में विविध भूमिकाएँ:
नीरज के प्रारंभिक वर्षों में आदर्श शुरुआत और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने स्थानीय सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की, इस आधार ने उनकी बाद की उपलब्धियों के लिए आधार रखा. नीरज पवार ने कलेक्टर, उप-विभागीय जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और उप-निदेशक जैसी विभिन्न पदों को संभाला है. वे स्वास्थ्य, शिक्षा, किसानों की समस्याएं आदि के क्षेत्र में उदाहरणीय काम करते रहे.
नेतृत्व और विकास का संतुलन
नीरज के. पवन ने न केवल ऑफिस में बल्कि गांवों में भी जनसेवा का संदेश दिया. उन्होंने रात्रि चौपाल, बच्चों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान की मिसाल पेश की. नीरज के नेतृत्व शैली अक्सर करिश्मा और विकास पहलुओं का संतुलन दर्शाती. नीरज के पवन ने अपने कार्य के अनुभव के बारे में बताया कि जब वह भरतपुर में कलेक्टर के रूप में तैनात थे उस समय गुर्जर आंदोलन चरम पर था तथा उनकी नियुक्ति से पहले करीब 72 लोगों की मौत हो चुकी थी, लेकिन जब उन्होंने कार्यभार संभाला उसके बाद वहां पर एक भी गोली नहीं चली. गुर्जर आंदोलन से उनको कई अनुभव प्राप्त हुए जिसका लाभ उनको आने वाले समय में मिला.
नीरज को राजनीतिक रूप से भी दोनों मुख्यमंत्रियों वसुंधरा और गहलोत का करीबी माना जाता था. लोग कहते थे कि आईएएस लॉबी में सबसे अच्छा बैलेंस नीरज का था. नीरज के ग्रामीण कार्यक्रमों, रात्रि स्कूलों और बच्चों के शैक्षिक पहलुओं के प्रति प्रयास सराहनीय हैं. नीरज पवार के कार्यकाल में कई सामाजिक सुधार परियोजनाएँ शामिल थीं जिनका उद्देश्य भ्रष्टाचार का समाधान, किसानों को सशक्त करना और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना था. हालांकि, इन प्रयासों के साथ ही विवाद भी थे, क्योंकि कुछ संदेहकर्ता यह दावा करते थे कि कुछ सुधारों में वास्तविकता में कमी थी.
नीरज से मिलने वाले सबक:
नीरज के पवन को ऑफिस से ज्यादा फील्ड में रहकर काम करना पसंद करते हैं. नीरज की कहानी हमें याद दिलाती है कि सार्वजनिक सेवा बहुआयामी है और अक्सर जटिल चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता होती है. उनकी सफलताओं और दोषों से यह महत्वपूर्ण बात सिखने के लिए है कि जो लोग नागरिक सेवा में शामिल होने की आकांक्षा रखते हैं, उनके लिए अनुकूलता और सहनशीलता की महत्वपूर्णता जरूरी है.