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This Article is From Aug 19, 2023

सेवा और चुनौतियों की यात्रा: IAS नीरज के पवन की कहानी

राजस्थान के IAS अधिकारी नीरज के. पवन की यात्रा उनकी सेवा की उपलब्धियों और चुनौतियों का मिश्रण प्रकट करती है जो उनकी सेवा को परिभाषित करते हैं। सरकारी विद्यालय में पढ़कर देश की सर्वोच्च सेवा में पहुंचने के सफर के बारे में उन्होंने बताया.

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सेवा और चुनौतियों की यात्रा: IAS नीरज के पवन की कहानी

बांसवाड़ा के संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने NDTV राजस्थान से विशेष बातचीत में अपने प्रोफेशन करियर के बारे में विस्तार से बताया. 27 अगस्त 1979 को झालावाड़ में पैदा हुए नीरज की शिक्षा का सफर सरकारी स्कूलों में आरंभ हुआ और फिर महाराजा कॉलेज, जयपुर से उन्होंने अपनी स्नातक की डिग्री प्राप्त की. फ़िर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) 2003 से उनके सार्वजनिक सेवा के करियर की शुरुआत हुई. नीरज के प्रारंभिक वर्षों में आदर्श शुरुआत और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने स्थानीय सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की, इस आधार ने उनकी बाद की उपलब्धियों के लिए आधार रखा।


सेवा में विविध भूमिकाएँ:

  • 2002 से 2004 तक मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद नीरज की पहली नियुक्ति 2004 में पाली में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में हुई.
  • 2005 में केवल 3 दिन के लिए निंबाहेड़ा में उपखंड अधिकारी के रूप में कार्यभार संभाला इसके तुरंत बाद उनका ट्रांसफर 2005 में ही भरतपुर एसडीएम के रूप में हो गया.
  • उसके बाद सन् 2007 से लेकर 2009 तक डूंगरपुर जिला कलेक्टर के रूप में कार्य किया.
  • उसके बाद 2009 से 2010 तक करौली के कलेक्टर के रूप में कार्य किया. 
  • इसके बाद 2010 से 2012 तक पाली जिले में बतौर कलेक्टर रहे.  
  • 2012 में हाउसिंग बोर्ड में नियुक्त हुए.
  • 2013 में भरतपुर में कलेक्टर नियुक्त किए गए.  
  • इसी तरह 2014-15 में स्वास्थ्य विभाग.
  • 2016 में कृषि विभाग,  
  • 2018 में रजिस्टार कोऑपरेटिव,
  • 2019 में डीपीआर में कमिश्नर,
  • 2020 में श्रम विभाग सेक्रेटरी,  
  • 2021 में बीकानेर संभागीय आयुक्त रूप में कार्य कर चुके हैं.  
  • इसके बाद उनको बांसवाड़ा को संभाग मुख्यालय बनाने के बाद IAS नीरज के. पवन को संभागीय आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया है.
     
  • नीरज के प्रारंभिक वर्षों में आदर्श शुरुआत और शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक था। उन्होंने स्थानीय सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की, इस आधार ने उनकी बाद की उपलब्धियों के लिए आधार रखा. नीरज पवार ने कलेक्टर, उप-विभागीय जिला मजिस्ट्रेट (एसडीएम) और उप-निदेशक जैसी विभिन्न पदों को संभाला है. वे स्वास्थ्य, शिक्षा, किसानों की समस्याएं आदि के क्षेत्र में उदाहरणीय काम करते रहे.

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    IAS नीरज के. पवन

    नेतृत्व और विकास का संतुलन

    नीरज के. पवन ने न केवल ऑफिस में बल्कि गांवों में भी जनसेवा का संदेश दिया. उन्होंने रात्रि चौपाल, बच्चों के साथ शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान की मिसाल पेश की. नीरज के नेतृत्व शैली अक्सर करिश्मा और विकास पहलुओं का संतुलन दर्शाती.  नीरज के पवन ने अपने कार्य के अनुभव के बारे में बताया कि जब वह भरतपुर में कलेक्टर के रूप में तैनात थे उस समय गुर्जर आंदोलन चरम पर था तथा उनकी नियुक्ति से पहले करीब 72 लोगों की मौत हो चुकी थी, लेकिन जब उन्होंने कार्यभार संभाला उसके बाद वहां पर एक भी गोली नहीं चली. गुर्जर आंदोलन से उनको कई अनुभव प्राप्त हुए जिसका लाभ उनको आने वाले समय में मिला.

    नीरज को राजनीतिक रूप से भी दोनों मुख्यमंत्रियों वसुंधरा और गहलोत का करीबी माना जाता था. लोग कहते थे कि आईएएस लॉबी में सबसे अच्छा बैलेंस नीरज का था.  नीरज के ग्रामीण कार्यक्रमों, रात्रि स्कूलों और बच्चों के शैक्षिक पहलुओं के प्रति प्रयास सराहनीय हैं. नीरज पवार के कार्यकाल में कई सामाजिक सुधार परियोजनाएँ शामिल थीं जिनका उद्देश्य भ्रष्टाचार का समाधान, किसानों को सशक्त करना और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना था. हालांकि, इन प्रयासों के साथ ही विवाद भी थे, क्योंकि कुछ संदेहकर्ता यह दावा करते थे कि कुछ सुधारों में वास्तविकता में कमी थी.

    अवकाश के दौरान वह अपना सबसे अधिक समय पौधरोपण को देते हैं. उन्होंने अपने घर पर भी एक बड़ी नर्सरी बना रखी है।

    नीरज से मिलने वाले सबक:

    नीरज के पवन को ऑफिस से ज्यादा फील्ड में रहकर काम करना पसंद करते हैं. नीरज की कहानी हमें याद दिलाती है कि सार्वजनिक सेवा बहुआयामी है और अक्सर जटिल चुनौतियों का सामना करने की आवश्यकता होती है. उनकी सफलताओं और दोषों से यह महत्वपूर्ण बात सिखने के लिए है कि जो लोग नागरिक सेवा में शामिल होने की आकांक्षा रखते हैं, उनके लिए अनुकूलता और सहनशीलता की महत्वपूर्णता जरूरी है.


     

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