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Rajasthan Election 2023: टोंक की 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा, क्या कहते हैं ताजा समीकरण? इस रिपोर्ट से समझें

Tonk Assembly constituency: टोंक जिले की चार विधानसभा सीटों (टोंक, देवली-उनियारा, निवाई-पीपलू और मालपुरा-टोडारायसिंह) में कुल 11 लाख 5 हजार 208 मतदाता हैं, जिसमें 5 लाख 68 हजार 225 पुरुष मतदाता हैं. वहीं 5 लाख 36 हजार 978 महिला मतदाता हैं. तो वहीं 5 मतदाता थर्ड जेंडर हैं.

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Rajasthan Election 2023: टोंक की 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा, क्या कहते हैं ताजा समीकरण? इस रिपोर्ट से समझें
कांग्रेस नेता सचिन पायलट (फाइल फोटो)

Rajasthan Election 2023 News: राजस्थान की एक मात्र नवाबी रियासत रहे टोंक में जिले की चार विधानसभा सीटों पर 2023 के चुनाव में कुल 11 लाख 2 हजार 585 मतदाता अपने मतदान का प्रयोग करेंगे. टोंक जिले में चार से तीन सीटों टोंक,निवाई और देवली-उनियारा पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं एक सीट मालपुरा में भाजपा के कन्हैया लाल चौधरी विधायक हैं. 

पिछली बार 2018 के विधानसभा  चुनावों में टोंक सीट से चुनाव लड़कर सचिन पायलट ने भाजपा के यूनुस खान को रिकॉर्ड 54 हजार 179 से हराया था. वहीं देवली-उनियारा से कांग्रेस के हरीश मीणा ने भाजपा के राजेन्द्र गुर्जर को हराया था. इसी तरह निवाई से विधायक प्रशांत बैरवा ने भाजपा के रामसहाय वर्मा को चुनाव में हराया था. वहीं मालपुरा सीट पर भाजपा के कन्हैया लाल चौधरी ने रणवीर पहलवान को हराकर जीत हासिल की थी.

ये सभी वादे आज भी अधूरे

बीसलपुर बांध का पानी खेतों से लेकर नहरों तक की मांग के साथ ही रेल की मांग, टोंक के हर चुनाव में चुनावी मुद्दा रहा है. वहीं स्थानीय मुद्दों की मांग में बिजली, पानी, सड़क और चिकित्सा जैसे स्थानीय मुद्दे चुनावों में तो खूब उठते हैं, लेकिन चुनावों के बाद कभी किसी जनप्रतिनिधि या दल ने इन मुद्दों पर जनता के हित में कार्य किया हो, ऐसा कभी नजर नहीं आया. पिछले पांच सालों की बात की जाए तो ईसरदा डेम, गहलोद बनास पर हाई लेबल ब्रिज, मेडिकल कॉलेज, यूनानी कॉलेज, गहलोद बनास नदी में मेहंदवास में रपटा सहित कुछ कार्य केंद्र और राज्य सरकार द्दारा निर्माणाधीन हैं.

टोंक में 11 लाख मतदाता

टोंक जिले की चार विधानसभा सीटों (टोंक, देवली-उनियारा, निवाई-पीपलू और मालपुरा-टोडारायसिंह) में कुल 11 लाख 5 हजार 208 मतदाता हैं, जिसमें 5 लाख 68 हजार 225 पुरुष मतदाता हैं. वहीं 5 लाख 36 हजार 978 महिला मतदाता हैं. तो वहीं 5 मतदाता थर्ड जेंडर हैं. बात अगर विधानसभा के हिसाब से की जाए तो टोंक में 2 लाख 52 हजार 828 मतदाता हैं जिनमें पुरुष मतदाता की संख्या 1 लाख 29 हजार 445  है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 379 है. 

मालपुरा-टोडारायसिंह में 2 लाख 70 हजार 948 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 38 हजार 614 है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 32 हजार 334  है. इसी तरह निवाई-पीपलू विधानसभा में 2 लाख 84 हजार 642 मतदाता हैं, जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 46 हजार 740 है. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 37 हजार 902 है. ऐसे ही देवली-उनियारा विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा 2 लाख 96 हजार 790 मतदाता हैं, जिसमे पुरुष मतदाताओ की संख्या 1 लाख 54 हजार 426 है. वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 43 हजार 363 है.

10 साल बाद पायलट vs जोगी

टोंक विधानसभा से वर्तमान में सचिन पायलट विधायक हैं. मुस्लिम, गुर्जर, माली और एससी मतदाता बाहुल्य इस सीट का इतिहास 1993 से यही रहा है कि जिस दल का विधायक इस सीट से चुना जाता है, राजस्थान में उसी दल की सरकार बनती है. इस चुनाव में टोंक सीट पर 8 उम्मीदवार हैं. 2023 में भी एक बार फिर से सचिन पायलट कांग्रेस के प्रत्याशी हैं, तो भाजपा ने अजीत सिंह मेहता को 2013 के बाद एक बार फिर से 2023 में सचिन पायलट के सामने उमीदवार बनाया है.

5 साल में कितने बदले चुनावी मुद्दे

बीसलपुर बांध का पानी खेतों से लेकर नहरों तक की मांग के साथ ही रेल की मांग टोंक के हर चुनाव में मुद्दा रहती है. वहीं स्थानीय मुद्दों की मांग में बिजली, पानी, सड़क, चिकित्सा आदि आते हैं. लेकिन चुनावों के बाद कभी किसी जनप्रतिनिधि या दल ने इन मुद्दों पर जनता के हित में कभी कार्य किया हो, ये नजर नहीं आया. पिछले पांच सालों की बात की जाए तो ईसरदा डेम, गहलोद बनास पर हाई लेबल ब्रिज, मेडिकल कॉलेज, यूनानी कॉलेज, गहलोद बनास नदी में मेहंदवास में रपटा सहित कुछ कार्य केंद्र और राज्य सरकार द्दारा निर्माणाधीन हैं.

टोंक विधानसभा सीट

टोंक विधानसभा में कुल 2 लाख 52 हजार 828 मतदाता हैं. जातिगत आंकड़ों पर गौर करें तो यहां मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 61 हजार से 63 हजार के बीच है. जबकि अनुसूचित जाति (बैरवा, रेगर, खटीक, कोली, हरिजन वह अन्य जातियां) के लगभग 45 हजार से 46 हजार वोटर्स  हैं. इसी तरह गुर्जर मतदाताओं की संख्या लगभग 34 हजार से 36 हजार के बीच है. माली मतदाता लगभग 16 हजार से 18 हजार के बीच हैं. ब्राह्मण मतदाता लगभग 14 हजार से 15 हजार के बीच हैं. जाट मतदाता लगभग 12 हजार से 13 हजार के बीच हैं. वैश्य-महाजन वोटर्स लगभग 10 हजार हैं. राजपूत वोटर्स लगभग 5 हजार हैं. अन्य जातियों के वोटर्स लगभग 30 हजार हैं. इसी तरह एसटी के लगभग 12 हजार से 13 हजार के बीच वोटर्स हैं. 

मुद्दे और संभावित जितने वाले उम्मीदवार

टोंक विधानसभा चुनाव में नगर परिषद ओर पंचायत समिति का भ्रष्टाचार प्रमुख चुनावी मुद्दा बन सकता है. वहीं अवैध बजरी खनन और लीज धारक का माफिया राज भी एक मुद्दा बनेगा. बिजली, पानी, सड़क भी मुद्दे हैं तो आजादी के बाद से अब तक रेल का नहीं आना भी बड़ा मुद्दा है. खुद सचिन पायलट अपने 2018 के चुनाव में इन मुद्दों पर वोट हासिल कर 54 हजार 179 वोट की एतिहासिक जीत से विधायक बने थे. कांग्रेस ने उन्हें टोंक से फिर से चुनाव में मैदान में उतारा है, लेकिन इस बार पायलट का मुस्लिमों में उनका विरोध है. बल्कि उन्हें ग्रामीण क्षेत्रो में भी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. वह इस बार स्थानीय के मुकाबले बाहरी उम्मीदवार का मुद्दा भी चुनाव में नजर आ सकता है.

टोंक में अन्य दल के प्रत्याशी एक्टिव नहीं

जीत का अंतर निश्चित ही इस बार कम रहेगा. इसकी प्रमुख वजह टोंक नगर परिषद और टोंक पंचायत समिति में व्याप्त भ्रष्टाचार और पायलट समर्थकों द्वारा टोंक की जनता के हितों में कार्य नहीं करना है. पर यंहा से सचिन पायलट की निश्चित ही जीत होगी. यह तय है क्योंकि टोंक सीट पर लगभग 65 हजार मुस्लिम मतदाता हैं जो कि लगभग 75 से 80 प्रतिशत मतदान करते हैं. वहीं गुर्जर मतदाताओं की संख्या भी क्षेत्र में लगभग 35 हजार है, और पायलट के चुनाव लड़ने की स्थिति में गुर्जर समाज का मतदान प्रतिशत भी 80 से 90 प्रतिशत रहेगा. वहीं एससी मतदाताओं की भी यहां अधिक तादाद है. तो सचिन पायलट एक लोकप्रिय नेता हैं. ऐसे में भाजपा के अजित सिंह मेहता इस सीट पर उन्हें कितनी टक्कर देते है देखना यह होगा.

निवाई-पीपलू विधानसभा सीट

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निवाई-पीपलू विधानसभा सीट से वर्तमान में कांग्रेस के प्रशांत बैरवा विधायक हैं. 2018 के चुनाव में वह सचिन पायलट गुट के माने जाते थे, लेकिन मानेसर प्रकरण के दौरान उन्होंने सचिन पायलट का साथ छोड़ दिया था. यही नहीं, उन्होंने उस दौरान सचिन पायलट के विरोध में निवाई में बैठक भी आयोजित की और पायलट के विरोध में बयानबाजी की. गुर्जर, मीणा और एससी मतदाता बाहुल्य इस सीट का इतिहास 1993 से यही रहा है कि जिस दल का विधायक इस सीट से चुना जाता है राजस्थान में उसी दल की सरकार बनती है. 2003 में इस सीट से भाजपा के हीरालाल रेगर, 2008 में कांग्रेस के कमल बैरवा, 2013 में भाजपा के हीरालाल और 2018 में कांग्रेस के प्रशान्त बैरवा विधायक का चुनाव जीते हैं. 

यहां देखें जातिगत समीकरण

निवाई-पीपलू विधानसभा में कुल 2 लाख 84 हजार 642 मतदाता हैं. जातिगत आंकड़ों की बात करें तो इस सीट पर एसटी-मीणा के मतदाता लगभग 33 हजार से 34 हजार के बीच हैं. अनुसूचित जाति के मतदाता लगभग 61 हजार से 62 हजार के बीच हैं. इसी तरह गुर्जर मतदाताओं की संख्या 38 हजार के करीब है. वहीं, माली मतदाता करीब 10 हजार से 11 हजार के बीच हैं. ब्राह्मण मतदाता लगभग 23 हजार से 24 हजार के बीच हैं. जाट मतदाता लगभग 25 हजार से 26 हजार के बीच हैं. वैश्य-महाजन मतदाता लगभग 12 हजार हैं. राजपूत मतदाता लगभग 7 हजार, मुस्लिम मतदाता लगभग 15 हजार और अन्य जातियों के लगभग 40 हजार मतदाता हैं.

इस बार राह नहीं आसान

निवाई क्षेत्र में चुनाव जातिगत समीकरणों पर ही लड़ा जाता रहा है. वर्तमान विधायक प्रशांत बैरवा की कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर दिल्ली तक अच्छी खासी पकड़ है जिसके दम पर यह 2023 में भी टिकिट लाने में कामयाब हुए हैं. लेकिन इस बार अवैध बजरी खनन, पंचायत समिति, नगर पालिका और अन्य महकमों में व्यापत भ्रष्टाचार और कांग्रेस के पूर्व नेता और वर्तमान में भाजपा के नगर पालिका चेयमैन दिलीप ईसरानी से मतभेद और विवाद के वर्तमान विधायक की राह मुश्किल नजर आती है. वहीं इस सीट पर भाजपा ने एक बार फिर से रामसहाय वर्मा को ही प्रशांत बैरवा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है जो कि पिछला चुनाव 2018 में प्रशांत बैरवा से लगभग 40 हजार मतों से हारे थे.

बैरवा ने थामा बेनीवाल का हाथ

इस सीट पर अन्य राजनैतिक पार्टियां उम्मीदवार तो उतारती रही हैं, लेकिन अभी तक जमीनी स्तर पर कोई अन्य दल या नेता सक्रिय नजर नहीं आए हैं. इतना जरूर है कि इस चुनाव में कांग्रेस से टिकिट मांगने वाले प्रहलाद नारायण बैरवा अब हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी का दामन थामकर निवाई में अपनी चुनावी ताल ठोक चुके हैं और प्रशांत बैरवा की मुश्किलें बढ़ाते हुए नजर आ रहे हैं.

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