Rajasthan Bye Election Result: राजस्थान में 13 नवंबर को हुए उपचुनाव के बाद 23 नवंबर को हुई मतगणना में बीजेपी ने 7 में से 5 सीटों पर बहुमत हासिल कर लिया, जिसके बाद सीएम भजनलाल का कद राजनीति में और बढ़ गया है. उपचुनाव के नतीजों के साथ ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा प्रदेश में बीजेपी के महानायक बनकर उभरे हैं. 5 सीटों पर बीजेपी की जीत ने साबित कर दिया है कि प्रदेश की जनता भजनलाल शर्मा के कामकाज से खुश है. इस उपचुनाव को बीजेपी सरकार की लिटमस टेस्ट भी माना जा रहा था. जिस तरह के नतीजे आए, उससे साफ हो गया कि सीएम शर्मा इसमें पास हो गए हैं. साथ ही लोग दबी जुबान में ये भी कह रहे हैं कि जो काम भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे नहीं कर पाए, वो सीएम भजनलाल ने चंद महीनों में कर दिखाया है.
96 उपचुनावों में भाजपा केवल 22 बार जीती थी
राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, 1955 से अब तक प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में 96 उपचुनाव हुए हैं. इनमें कांग्रेस का दबदबा सबसे ज्यादा यानी 56 बार रहा है. 1980 में अस्तित्व में आई भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ 22 बार जीत मिली है. कांग्रेस ने करीब 77 साल में 56 उपचुनाव जीते हैं और बीजेपी ने 42 साल में 22 बार जीत दर्ज की है.
2024 में 7 में से 5 सीटें जीती
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस बार 2024 के उपचुनाव में बीजेपी ने एक साथ 7 में से 5 सीटें जीत ली हैं, जिसमें नागौर सीट पर आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल का 16 साल पुराना किला भेद दिया गया है. 21 साल से कांग्रेस का गढ़ रही ओला परिवार की विरासत वाली झुंझुनू विधानसभा सीट पर कब्जा कर लिया गया है. इन सीटों पर कब्जा करने के बाद सीएम शर्मा और पार्टी आलाकमान की उम्मीदें बढ़ गई हैं.
2024 के उपचुनाव में कैसे बढ़ा सीएम भजनलाल का कद
अगर भैरों सिंह शेखावत और वसुंधरा के कार्यकाल में हुए उपचुनावों की बात करें तो भैरों सिंह शेखावत को राज्य की राजनीति का बेताज बादशाह माना जाता था. उनकी राजनीति की समझ के उनके विरोधी भी हमेशा कायल रहे. वहीं वसुंधरा राजे को हमेशा रेगिस्तान की राजनीति का माहिर माना जाता रहा है. लेकिन अपने समय में भी वह इतनी बड़ी जीत दर्ज नहीं कर पाईं जितनी सीएम भजन लाल ने दर्ज की है.
1955 में एकतरफा 15 सीटों पर उपचुनावों में बना रखा था दब दबा
राज्य में अब तक हुए विधानसभा उपचुनावों में एक वर्ष में सर्वाधिक उपचुनाव वर्ष 1955 में 17 विधानसभा क्षेत्रों में हुए जिनमें कांग्रेस ने लगभग एकतरफा 15 सीटों पर जीत हासिल करते हुए दबदबा कायम रखा था, जबकि एक सीट पर पीएसपी एवं एक अन्य उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. इस समय राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत की सरकार रही थी.
2014-2018 तक पांच उपचुनाव हारी बीजेपी
अप्रैल-मई 2014 में राजस्थान की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे. इस दौरान वसुंधरा सरकार सत्ता में थी. इनमें नसीराबाद, वैरा, सूरजगढ़ और कोटा दक्षिण शामिल थीं. उपचुनाव में कांग्रेस ने नसीराबाद, वैरा और सूरजगढ़ सीट जीती थी, जबकि सिर्फ कोटा दक्षिण सीट भाजपा के खाते में गई थी. जबकि 5 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 200 में से 163 सीटों पर जीत हासिल की थी. इन चारों सीटों पर उपचुनाव इसलिए हुए क्योंकि यहां से जीतने वाले चारों विधायक लोकसभा चुनाव में सांसद बन गए.
इसके बाद 2017 में धौलपुर सीट पर उपचुनाव हुए, जहां भाजपा ने जीत हासिल की, जबकि 2018 में मांडलगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की. 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सबसे दिलचस्प बात यह है कि 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा पांचों सीटें हार गई थी. एक तरह से उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन हमेशा से कमजोर रहा है. 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से कई उपचुनाव हो चुके हैं. इनमें से भाजपा को अब तक सिर्फ 4 बार जीत मिली है.
सीएम भजन लाल शर्मा की पलटा सटीक रणनीति ने पलटा पासा
इन विधानसभा उपचुनाव में राजस्थान की जिन सात सीटों पर चुनाव हुए, उनमें से बीजेपी के पास पहले से सिर्फ एक सीट सलूबर ही थी. चार सीटें दौसा, देवली, झूंझनू और रामगढ़ कांग्रेस के कब्जे में थीं जबकि नगौर की खीवंसर से आरएलपी से हनुमान बेनिवाल विधायक थे. चौरासी से भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत. दोनों के सांसद बनने से ये दोनों सीटे खाली हुई थीं. चुनावों के ऐलान के बाद सीएम भजन लाल शर्मा ने टिकट चयन और सटीक रणनीति दिखाते हुए चुनावी गेम का पासा ही पलट दिया.और 7 सीटों में से 5 सीटें बीजेपी की झोली में आ गिरी.
यह भी पढ़ें: दिग्गजों के सियासी गढ़ ढहे, 'हनुमान' के गढ़ में 'राम' राज; किरोड़ी के भाई, ओला और जुबेर के बेटे को मिली हार