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Rajasthan By election: कांग्रेस ने साथ छोड़ा, बीजेपी ने लगाया दम; अपनों की बगावत के बाद बीएपी कैसे बचाएगी किला?

Chaurasi By election: बीजेपी ने सीमलवाड़ा प्रधान कारीलाल ननोमा, कांग्रेस ने सांसरपुर सरपंच महेश रोत और भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने चिखली से युवा जिला परिषद सदस्य अनिल कटारा को मैदान में उतारा है. पिछले दो चुनाव से सीट को जीतने वाले रोत के लिए इस बार यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय भी है.

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Rajasthan By election: राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में चौरासी सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है. इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए बीएपी चुनौती बनी हुई है. विधायक राजकुमार रोत (Rajkumar Roat) के इस साल बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सीट खाली हो गई थी, जिसके चलते अब विधानसभा सदस्य चुनने के लिए 13 नवंबर को वोटिंग होगी. यहां से बीजेपी ने सीमलवाड़ा प्रधान कारीलाल ननोमा, कांग्रेस (Congress) ने सांसरपुर सरपंच महेश रोत और भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने चिखली से युवा जिला परिषद सदस्य अनिल कटारा को मैदान में उतारा है. पिछले दो चुनाव से सीट को जीतने वाले रोत के लिए इस बार यह चुनाव प्रतिष्ठा का विषय भी है. पहले बीटीपी और फिर बीएपी (BAP) से चुनाव जीत चुके रोत का यह गढ़ ढहाने के लिए बीजेपी पूरा जोर लगाए हुए है. जबकि कांग्रेस ने प्रदेश में गठबंधन तोड़कर प्रत्याशी उतार दिया है. 

3 पंचायत समिति में 2 प्रधान बीएपी के, एक का पति हो गया बागी

चौरासी विधानसभा में तीन पंचायत समितियां चिखली, सीमलवाडा और झौथरी हैं. इनमें से बीएपी के दो पंचायत समितियों में प्रधान हैं, लेकिन चिखली प्रधान के पति बदामीलाल ताबियाड ने निर्दलीय पर्चा भरकर चुनौती पैदा कर दी है. बावजूद इसके बीएपी जीत का दावा कर रही है. इससे पहले झौथरी के प्रधान पति पोपट खोखरिया ने भी बागी तेवर दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें मना लिया.  

वहीं, कांग्रेस उम्मीदवार महेश रोत सरपंच से पहले एनएसयूआई से उदयपुर कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रह चुके हैं. गठबंधन टूटने के बाद पार्टी ने इस नए चेहरे पर दांव खेला है. आशंका इस बात को लेकर भी जताई जा रही है कि क्षेत्र के कई दिग्गज कांग्रेसी नेता महेश रोत के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं. 

सीमलावाड़ा प्रधान को बीजेपी ने मैदान में उतारा

जबकि बीजेपी ने सीमलवाड़ा के मौजूदा प्रधान कारीलाल ननोमा को उम्मीदवार बनाकर परिवारवाद को खत्म करने का प्रयास किया है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में पूर्व विधायक सुशील कटारा को बार-बार टिकट दिए जाने से लोगों में असंतोष था, ऐसे में इस बार पार्टी ने बदलाव कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास किया है. चिखली में भाजपा को पूर्व प्रधान महेंद्र बरजोड का सहयोग मिलने की उम्मीद है, लेकिन झौथरी पंचायत समिति में बीजेपी कमजोर नजर आ रही है.

5 में से 3 निर्दलीय उम्मीदवार बीएपी के ही कार्यकर्ता

इस सीट पर करीब 70 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति से है. इसके अलावा 5% मुस्लिम और ओबीसी-सामान्य वर्ग की 25% आबादी है. इस चुनाव में 5 निर्दलीय उम्मीदवारों में से तीन बीएपी के ही कार्यकर्ता हैं. भले ही पोपट खोखरिया मान गए हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि उनके कार्यकर्ता पोपट को टिकट नहीं दिए जाने से नारज है. जबकि बदामीलाल ताबियाड भी पार्टी के वोट बैंक में सेंधमारी की पूरी तैयारी कर चुके हैं.  

यह भी पढ़ेंः बीजेपी-कांग्रेस का गेम बिगाड़ने वाली 'BAP' को आदिवासी परिवार से मिल रहा है बूस्टर डोज, जानिए कैसे काम करता है संगठन?

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