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This Article is From Jul 12, 2023

यूं ही कोई मामे खान नहीं बन जाता है, जानें राजस्थानी फोक सिंगर की कहानी

मामे खान की बेहतरीन गायकी और सादगी तो जगजाहिर है. राजस्थानी गानों के अलावा ही उन्होंने बॉलीवुड में भी कई गाने गाए हैं. आइए जानते हैं मामे खान का वह संघर्ष, जिससे हर कोई अनजान है...

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यूं ही कोई मामे खान नहीं बन जाता है, जानें राजस्थानी फोक सिंगर की कहानी
जानें राजस्थानी फोक सिंगर की कहानी
नई दिल्ली:

राजस्थान के जैसलमेर के सत्तों गांव से निकलकर बॉलीवुड ही नहीं अमेरिका और यूरोप की गलियों तक राजस्थानी लोक गीतों को पहुंचाने वाले मामे खान की सादगी आपका दिल जीत लेगी. संघर्ष में तपकर मामे खान का सफर सफलता का खरा सोना बन गया. कभी शादी-ब्याह में माता-पिता से साथ गाने वाले मामे खान की पहचान आज दुनियाभर में फेमस हैं. फ्रांस में आयोजित कान्स फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर चलकर तो इस रास्थानी सिंगर ने इतिहास ही रच दिया था. मामे खान की बेहतरीन गायकी और सादगी तो जगजाहिर है. राजस्थानी गानों के अलावा ही उन्होंने बॉलीवुड में भी कई गाने गाए हैं. आइए जानते हैं मामे खान का वह संघर्ष, जिससे हर कोई अनजान है...

मामे खान की रग-रग में बसा है संगीत
राजस्थान में लोक संगीत के लिए फेमस मांगणियार समुदाय से मामे खान आते हैं. बचपन से ही संगीत का माहौल उन्हें अपने चारों ओर देखने को मिला है. जब उनकी उम्र 12 साल की थी, तभी उनके सिंगिंग करियर की शुरुआत हो गई थी. उनका पहला परफॉर्मेंस तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सामने हुआ था. कई साल का संघर्ष चलता रहा और आखिरकार 1999 में एक दिन उनकी एंट्री बॉलीवुड में हो गई. फिर उन्होंने जो गाने गाए वे हर किसी के दिल में बस गए. बहुत कम लोग ही जानते हैं कि मामे खान ने अब तक के करियर में दूरदर्शन से लेकर कोक स्टूडियो, हिंदी सिनेमा और विदेशी धरती पर कई स्टेज शो किए हैं. उनके फैंस उनका कोई शो मिस नहीं करना चाहते हैं.

मामे खान...संघर्ष से निकला बेहतरीन सिंगर
छोटी सी उम्र में ही मामे खान परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी समझ गए थे. बचपन से ही ढोलक और सितार उनके हाथ में आ गए थे. माता-पिता के साथ शादी में जाकर गाना गाया करते थे. इससे आगे निकलने के लिए उन्होंने मुश्किलों वाला लंबा सफर तय किया. छोटी सी उम्र में देश के प्रधानमंत्री के सामने परफॉर्म करना छोटी बात नहीं थी. साल 1999 की बात है, जब म्यूजिकल प्रोग्राम के लिए मामे खान अमेरिका गए हुए थे. तब स्टेज पर वह ढोलक बजाया करते थे. मामे का मन बार-बार गाने को हो रहा था. उन्होंने अपने पिता से कहा कि वह अपनी ढोलक बेल्जियम में ही भूल गए हैं. तब पिता ने बेटे के मन की बात समझ ली और बेटे से कहा- 'आज के बाद तुम्हें ढोलक नहीं बजाना है, बल्कि गाना है.'

लोक गीत को दी आवाज, बन गई पहचान
गांव और लोक गीतों को बाहर की दुनिया में जिंदा रख पाना इतना आसान नहीं था लेकिन मामे खान ने उसे ही अपना ढाल बनाया. मुंबई में उन्होंने कई संघर्ष किए और लोक गीतों को नई पीढ़ी के बीच जिंदा रखा. मांगणियार समुदाय की कला को उन्होंने दूर-दूर तक पहुंचाया. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि 'सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन बॉलीवुड में गाऊंगा.'

मामे खान की बॉलीवुड में एंट्री का किस्सा
बॉलीवुड में मामे की एंट्री की कहानी काफी दिलचस्प है. उन्होंने बताया, एक बार इला अरुण की बेटी की शादी में वेडिंग शो के लिए मुंबई पहुंचे थे. उस शादी में बॉलीवुड की कई हस्तियां आई थीं. जब संगीतकार और गायक शंकर महादेवन ने उनका गाना सुना तो इला अरुण से उनके बारें में पूछा. बस यहीं से उन्हें फिल्मों में गाने का पहला मौका मिला. फिल्म 'लक बाय चांस' से बावरे गाना गाकर वे फेसम हो गए. रिकॉर्डिंग का बिल्कुल नया अनुभव और पारंपरिक कपड़ं में माइक्रोफोन लगाकर गाना आज भी उनके जेहन में है. 'जब सावन बिछुड़ों', 'लोली' और 'केसरिया बालम' उनके हिट गाने हैं.

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