Dipika Chikhlia Interview: रामानंद सागर के टीवी धारावाहिक रामायण (Ramayan) में अपनी भूमिका के चलते माता सीता का पर्याय बनीं अभिनेत्री दीपिका चिखलिया (Dipika Chikhlia) का मानना है कि अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) ना केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह एक 'राष्ट्र मंदिर' है. प्राण प्रतिष्ठा के साथ सनातन धर्म को उसका उचित सम्मान मिल रहा है.
'मुझे मेरी सीता मिल गई'
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पूर्व चिखलिया उस क्षण का स्मरण करती हैं जब उस टीवी धारावाहिक में सीता की भूमिका निभाने के लिए उनका चयन हुआ था. उनका कहना है कि रामानंद सागर (Ramanand Sagar) इसको लेकर बहुत खुश थे और यहां तक कि उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. चिखलिया ने कहा, 'मेरे बारे में केवल सीता की भूमिका के लिए विचार किया गया था. मैंने रामायण से पहले रामानंद सागर के साथ काम किया था. इसलिए उनके मन में मेरे लिए इस भूमिका को लेकर पहले से विचार था. लेकिन ऑडिशन के चरण से गुजरे बगैर वह किसी निर्णय पर नहीं पहुंचे थे. अंतिम ऑडिशन के बाद वह बहुत खुश थे. उनकी आंखों में आंसू थे. उन्होंने कहा था कि मुझे मेरी सीता मिल गई.'
'लोगों को उनके भगवान मिल रहे हैं'
अभिनेत्री ने बताया कि वह जुलाई 2023 में अयोध्या आई थीं और इस पवित्र नगरी को देखकर अभिभूत हो गई थीं. उन्होंने कहा, 'मुझे लगा कि मैं उसी नगर में हूं जहां राम जी ने किसी समय राज किया था. राम मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि यह एक राष्ट्र मंदिर भी है. मुझे लगता है कि यह अत्यधिक शानदार है.' प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में चिखलिया ने कहा, 'प्राण प्रतिष्ठा बहुत प्रतीकात्मक है, क्योंकि सनातन धर्म को अंततः अपना सम्मान मिल रहा है. हमारे मंदिरों का जीर्णोद्धार हो रहा है. इसी विश्वास की वजह से लोगों को उनके भगवान मिल रहे हैं. उन्हें लगता है कि सनातनियों को भी इस देश में सम्मान मिलता है.'
'यहां सबकुछ शानदार है'
अयोध्या के परिवर्तन पर अभिनेत्री ने कहा, 'अयोध्या में कई तरह के परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. एक भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है. वास्तुशिल्प भी बदली है. यह बहुत ही खूबसूरत, सुव्यवस्थित और संयोजित दिख रहा है. सड़कें चौड़ी हो गई हैं. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यहां की अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा. इसलिए मुझे लगता है कि यहां सबकुछ शानदार है.' चिखलिया ‘धरतीपुत्र नंदिनी' नाम के एक टीवी धारावाहिक की निर्माता है जो अयोध्या में रह रहे एक परिवार की कहानी है. वह 1991 से 1996 तक वडोदरा से लोकसभा सदस्य थीं और उनका निर्वाचन भाजपा के टिकट पर हुआ था.
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