Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने एक इंटरव्यू (PM Modi Interview) के दौरान कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के उस फैसले का जिक्र किया, जिसको लेकर राजस्थान (Rajasthan) में भी सियासत गरमाई हुई है. मामला ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रहीं मुस्लिम जातियों से जुड़ा है, जिसका 4 जून के बाद भजनलाल सरकार ने रिव्यू करवाने की बात कही है. इस मसले पर अब पीएम ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि ये स्थिति किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हो सकती.
'इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है'
पीएम मोदी ने कहा, 'उनके पास एक कार्यप्रणाली है. सबसे पहले, उन्होंने आंध्र प्रदेश में कानून बनाकर इसे अल्पसंख्यकों को देने का पाप शुरू किया, वे हार गए. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया, क्योंकि संविधान इसकी अनुमति नहीं देता है. इसलिए उन्होंने चतुराई से पिछले दरवाजे से खेल शुरू किया और इन लोगों ने रातों-रात मुस्लिमों की सभी जातियों को ओबीसी बना दिया और ओबीसी से उनके अधिकार छीन लिए. जब हाई कोर्ट का फैसला आया तो साफ हो गया कि इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है. लेकिन उससे भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण ये है कि वोट बैंक की राजनीति के लिए अब वो न्यायपालिका का भी दुरुपयोग कर रहे हैं. ये स्थिति किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हो सकती.'
#WATCH 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए सभी OBC प्रमाणपत्रों को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर पीएम नरेंद्र मोदी ने बताया, "उनके पास एक कार्यप्रणाली है। सबसे पहले, उन्होंने आंध्र प्रदेश में कानून बनाकर इसे अल्पसंख्यकों को देने का पाप शुरू किया, वे हार गए।… pic.twitter.com/CTdFndMJhj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 28, 2024
कलकत्ता हाई कोर्ट का फैसला क्या है?
कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार को झटका देते हुए 2010 के बाद जारी किए गए सभी ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द कर दिए हैं. साथ ही राज्य में सेवाओं व पदों पर रिक्तियों में इस तरह के आरक्षण को अवैध करार दिया है. कोर्ट ने कहा कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए वास्तव में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है. मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ों के तौर पर चुना जाना पूरे मुस्लिम समुदाय का अपमान है. यह अदालत इस संदेह को अनदेखा नहीं कर सकती कि मुसलमानों को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक साधन माना गया. हालांकि कोर्ट के इस फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गहरी नाराजगी जताई और कहा कि वे इस फैसले को लागू नहीं करेंगी.
'4 जून के बाद कमेटी करेगी समीक्षा'
राजस्थान सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत (Avinash Gehlot) ने इस संबंध में बीते शनिवार को बयान देते हुए कहा, 'राजस्थान में वर्ष 1947 से वर्ष 2013 तक क्रमवार तरीके से 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी कैटेगरी के अंदर डाला गया है. इस आरक्षण का सर्कुलर भी सरकार के पास मौजूद है, जिस पर सरकार 4 जून के बाद रिव्यू किया जाएगा. भारत के संविधान में बाबासाहेब अंबेडकर ने भी लिखा है कि धर्म के आधार पर किसी जाति या वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए. लेकिन कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति करते हुए यह गलत कार्य किया. इस संबंध में हमें कई शिकायतें भी मिली हैं, जिनके सत्यापन का कार्य शुरू हो चुका है. धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के विरुद्ध है. इसीलिए स्पेशल कमेटी बनाकर हम इसकी समीक्षा कराएंगे और फिर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी.'
राजस्थान में ये जातियां ओबीसी में शामिल
वर्तमान में राजस्थान के अंदर ओबीसी में 91 जाति-वर्ग शामिल हैं, जिनको आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है. इनमें नगारची-दमामी (मुस्लिम), राणा (मुस्लिम), बायती (बारोट मुस्लिम), सिंधी मुसलमान, सिपाही (मुस्लिम), फकीर (कब्रिस्तान में काम करने वाले), धोबी (मुस्लिम), मेव, कायमखानी, नागौरी, भिश्ती, मांगणियार, लखेरा, मिरासी, काठात, मेहरात, चीता, घोडात और बिसायती वो 14 मुस्लिम जातियां हैं जो इस वक्त राजस्थान में ओबीसी आरक्षण का लाभ ले रही हैं. प्रदेश की भजनलाल सरकार 4 जून के बाद इनकी समीक्षा कराएगी.
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