![Pariksha Pe Charcha 2025: "मेरी हैंडराइटिंग अच्छी नहीं है", पीएम मोदी ने बताया टीचर ने बहुत मेहनत की लेकिन हुआ कुछ और Pariksha Pe Charcha 2025: "मेरी हैंडराइटिंग अच्छी नहीं है", पीएम मोदी ने बताया टीचर ने बहुत मेहनत की लेकिन हुआ कुछ और](https://c.ndtvimg.com/2025-02/f8bfd778_pariksha-pe-charcha-2025-pm-narendra-modi-_625x300_10_February_25.jpg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=773,height=435)
PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की सुंदर नर्सरी में छात्रों के साथ 'परीक्षा पे चर्चा' की. प्रधानमंत्री की बच्चों के साथ यह आठवीं 'परीक्षा पे चर्चा' थी जिसमें उन्होंने बच्चों से बातें कीं और अपने अनुभव साझा किए. इस दौरान बच्चों से लीडरशिप के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप सम्मान मांग नहीं सकते, आपको सम्मान कमाना पड़ेगा. इसके लिए आपको खुद को बदलना होगा. चर्चा के दौरान एक बच्चे ने पीएम मोदी से पूछा कि वह क्लास में जब मॉनिटर होता है तो अक्सर बच्चे बात नहीं मानते तो ऐसे में क्या करना चाहिए. इस पर पीएम मोदी ने जवाब दिया, "लीडरशिप का मतलब यह नहीं होता है कि कुर्ता पायजामा पहना हुआ हो या बड़े-बड़े भाषण करने वाला. लीडर का मतलब है कि खुद को उदाहरण बनाइए. मैं मॉनिटर हूं, आप लोग आ जाइए, मैं आ जाऊंगा. मॉनिटर ने होमवर्क कर दिया है, तो वह बाकी को कह सकते हैं."
इस दौरान उन्होंने बचपन का किस्सा भी साझा करते हुए कहा कि मुझे याद है, मैं एक परिवार में कभी भोजन के लिए जाया करता था. उनका एक बेटा कभी गेहूं की रोटी खाता ही नहीं था. उसे किसी ने बोल दिया था कि गेहूं-बाजरे की रोटी खाएंगे तो काले हो जाएंगे. उन्होंने बच्चों से पूछा कि कहीं आप लोग भी तो गूगल गुरु से नहीं पूछ लेते हैं कि आज क्या खाना है?"
'जहां कम, वहां हम' का मंत्र अपनाइए- पीएम मोदी
उन्होंने कहा, "आप जब किसी को सहयोग करते हैं, उसकी बीमारी में उसका हालचाल लेते हो. लीडरशिप थोपी नहीं जाती है. आपके व्यवहार को वह स्वीकार करते हैं. लीडर बनने के लिए टीम वर्क सीखना बहुत जरूरी है. धैर्य बहुत आवश्यक होता है. कभी-कभी यह होता है कि एक को काम दिया और उसने किया नहीं, तो फिर हम उस पर टूट पड़ते हैं. ऐसे में लीडर नहीं बन सकते हैं. उसका कारण जानना चाहिए. 'जहां कम वहां हम' का मंत्र अपनाइए."
'परीक्षा पे चर्चा' | 'परीक्षा सबकुछ नहीं है' - PM मोदी #ParikshaPeCharcha2025 | #PMModi pic.twitter.com/z5Ci6zvWiu
— NDTV India (@ndtvindia) February 10, 2025
"मेरे टीचर मेरी हैंडराइटिंग पर बहुत मेहनत करते थे"
उन्होंने कहा कि मैं अहमदाबाद में एक स्कूल वालों से मिला था. मां-बाप ने चिट्ठी लिखी थी कि मेरे बच्चे को स्कूल से निकाल रहे हैं. स्कूल वालों का कहना था कि वह पढ़ने पर ध्यान नहीं लगा रही है. स्कूल में एक टिंकरिंग लैब खुली. वह बच्चा लैब में बहुत वक्त बिताने लगा और रोबोट के कंपीटिशन में स्कूल नंबर वन आ गया. इसका मतलब यह था कि बच्चे में एक विशेष प्रतिभा थी. टीचर्स को बच्चों की इस प्रतिभा को पहचानना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अपनी हैंडराइटिंग के बारे में एक दिलचस्प बात बताई. उन्होंने कहा," मेरी हैंडराइटिंग अच्छी नहीं है. मेरे टीचर मेरी हैंडराइटिंग पर बहुत मेहनत करते थे. शायद उनकी हैंडराइटिंग अच्छी हो गई होगी, लेकिन मेरी नहीं हुई. लेकिन मेरे मन को यह बात छू गई कि मेरे टीचर मेरे लिए कितनी मेहनत करते हैं."
"बिहार का लड़का हो और राजनीति का सवाल ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता"
बिहार के एक छात्र विराज ने जब पीएम से पूछा कि आप इतने बड़े ग्लोबल लीडर हैं, आप कुछ ऐसी बातें शेयर कीजिए जो लीडरशिप से संबंधित हो और जिससे हमें मदद मिले. सवाल सुनने के बाद पीएम मोदी ने कहा कि बिहार का लड़का हो और राजनीति का सवाल न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. बिहार के लोग बड़े तेजस्वी होते हैं.
![Latest and Breaking News on NDTV Latest and Breaking News on NDTV](https://c.ndtvimg.com/2025-02/9o1g4hi_pariksha-pe-charcha-2025-pm-narendra-modi-_625x300_10_February_25.jpeg?im=FitAndFill,algorithm=dnn,width=632,height=421)
"बिना प्रेशर के अपना ध्यान लगा दें"
मोदी ने कहा, "आपने देखा होगा कि जब क्रिकेट खेलते हैं तो मैच के दौरान स्टेडियम से आवाज आती है. कोई कहता है सिक्स, कोई कहता है फोर. क्या वह बैट्समैन सुनता है या फिर वह उस बॉल को देखता है. अगर वह सुनकर चौके-छक्के मारने लगे तो आउट हो जाएगा. इसका मतलब है कि बैट्समैन उस प्रेशर की परवाह नहीं करता है. उसका पूरा ध्यान उस बॉल पर होता है. अगर आप उस प्रेशर को न लेते हुए अपना ध्यान इस पर लगा दें कि आज मुझे इतना पढ़ना है, तो आप आराम से कर लेंगे."
प्रधानमंत्री की "परीक्षा पे चर्चा" के कार्यक्रम को राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने भी सुना. इसके लिए जयपुर में एक विशेष व्यवस्था की गई थी.
यह भी पढ़ेंः एक साल से अकादमियों में राजनीतिक नियुक्तियां लंबित, बजट सत्र के बाद होगा बड़ा फैसला!