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'राष्ट्र संपूर्ण गौरव प्राप्त करेगा', स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, "हमारे अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है. ऐसा करके, उन्होंने भारत को कृषि-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने में अमूल्य योगदान दिया है."

'राष्ट्र संपूर्ण गौरव प्राप्त करेगा', स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में बोलीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

Independence Day 2024: भारत में स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर उत्साह का माहौल है. स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया. जिसमें उन्होंने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं देते हुए राष्ट्र के संपूर्ण गौरव के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था, सामाजिक लोकतंत्र सहित कई मुद्दों पर अपनी बात कहीं. पढ़ें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्र के नाम संबोधन की बड़ी बातें. 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत में देशवासियों को बधाई दी. महामहिम ने कहा- "मेरे प्यारे देशवासियों, मैं आप सभी को स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं. सभी देशवासी 78वें स्वतन्त्रता दिवस का उत्सव मनाने की तैयारी कर रहे हैं, यह देखकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. स्वाधीनता दिवस के अवसर पर लहराते हुए तिरंगे को देखना - चाहे वह लाल किले पर हो, राज्यों की राजधानियों में हो या हमारे आस-पास हो - हमारे हृदय को उत्साह से भर देता है.

जिस तरह हम अपने परिवार के साथ विभिन्न त्योहार मनाते हैं, उसी तरह हम  अपने स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस को भी अपने उस परिवार के साथ मनाते हैं जिसके सदस्य हमारे सभी देशवासी हैं. हम उस परंपरा का हिस्सा हैं जो स्वाधीनता सेनानियों के सपनों और उन भावी पीढ़ियों की आकांक्षाओं को एक कड़ी में पिरोती है जो आने वाले वर्षों में हमारे राष्ट्र को अपना सम्पूर्ण गौरव पुनः प्राप्त करते हुए देखेंगी.

हमने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में  मनाना शुरू किया है. अगले वर्ष उनकी 150वीं जयंती का उत्सव राष्ट्रीय  पुनर्जागरण में उनके योगदान को और अधिक गहराई से सम्मान देने का अवसर  होगा.

आज, 14 अगस्त को, हमारा देश विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मना रहा है. यह विभाजन की भयावहता को याद करने का दिन है. जब हमारे महान राष्ट्र का विभाजन हुआ, तब लाखों लोगों को मजबूरन पलायन करना पड़ा. लाखों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. स्वतंत्रता दिवस मनाने से एक दिन पहले, हम उस अभूतपूर्व मानवीय त्रासदी को याद करते हैं और उन परिवारों के साथ एक-जुट होकर खड़े होते हैं जो छिन्न-भिन्न कर दिए गए थे.


हम अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. हमारे नव-स्वाधीन राष्ट्र की  यात्रा में गंभीर बाधाएं आई हैं. न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुता के संवैधानिक आदर्शों पर दृढ़ रहते हुए, हम इस अभियान के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि भारत, विश्व-पटल पर अपना गौरवशाली स्थान पुनः प्राप्त करे.

वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच 8 प्रतिशत की औसत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करके, भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं में शामिल है. इससे न केवल देशवासियों के हाथों में अधिक पैसा आया है, बल्कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में भी भारी कमी आई है.

यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी  अर्थव्यवस्था बन गया है, और हम शीघ्र ही विश्व की तीन शीर्षस्थ अर्थ-व्यवस्थाओं में स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार हैं. यह सफलता किसानों और श्रमिकों की अथक मेहनत, नीति-निर्माताओं और उद्यमियों की दूरगामी सोच तथा देश के दूरदर्शी नेतृत्व के बल पर ही संभव हो सकी है.

हमारे अन्नदाता किसानों ने उम्मीदों से बेहतर कृषि उत्पादन सुनिश्चित किया है. ऐसा करके, उन्होंने भारत को कृषि-क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और हमारे देशवासियों को भोजन उपलब्ध कराने में अमूल्य योगदान दिया है.

जी-20 की अपनी अध्यक्षता के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने के बाद, भारत ने Global South को मुखर अभिव्यक्ति देने वाले देश के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत बनाया है. भारत अपनी प्रभावशाली स्थिति का उपयोग विश्व शांति और समृद्धि के विस्तार हेतु करना चाहता है.

समावेशी भावना, हमारे सामाजिक जीवन के हर पहलू में दिखाई देती है. अपनी विविधताओं और बहुलताओं के साथ, हम एक राष्ट्र के रूप में, एकजुट होकर, एक साथ, आगे बढ़ रहे हैं. समावेश के साधन के रूप में, affirmative action को मजबूत किया जाना चाहिए. मैं दृढ़ता के साथ यह मानती हूं कि भारत जैसे विशाल देश में, कथित सामाजिक स्तरों के आधार पर कलह को बढ़ावा देने वाली प्रवृत्तियों को खारिज करना होगा.

महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सरकार द्वारा अनेक विशेष योजनाएं भी लागू की गई हैं. नारी शक्ति वंदन अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं का वास्तविक सशक्तीकरण सुनिश्चित करना है.

Global warming के सबसे गंभीर कुप्रभावों से पृथ्वी को बचाने के लिए मानव समुदाय द्वारा किए जा रहे संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाने पर भारत को गर्व है. मैं आप सभी से अनुरोध करती हूं कि आप अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे किन्तु प्रभावी बदलाव करें तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें."

इस वर्ष जुलाई से भारतीय न्याय संहिता को लागू करने में, हमने औपनिवेशिक युग के एक और अवशेष को हटा दिया है. नई संहिता का उद्देश्य, केवल दंड देने की बजाय, अपराध-पीड़ितों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है. मैं इस बदलाव को स्वाधीनता सेनानियों के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में देखती हूं.

आज के युवा हमारी स्वतंत्रता की शताब्दी तक के ‘अमृत काल' को यानी आज से लगभग एक चौथाई सदी के कालखंड को स्वरूप प्रदान करेंगे. उनकी ऊर्जा और उत्साह के बल पर ही हमारा देश नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगा.

रोजगार और कौशल के लिए प्रधानमंत्री की पांच योजनाओं के माध्यम से पांच वर्षों में चार करोड़ दस लाख युवाओं को लाभ मिलेगा. सरकार की एक नई पहल से पांच वर्षों में एक करोड़ युवा अग्रणी कंपनियों में Internship करेंगे. ये सभी कदम, विकसित भारत के निर्माण में आधारभूत योगदान देंगे.

खेल जगत भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हमारे देश ने पिछले दशक में बहुत प्रगति की है. सरकार ने खेल के बुनियादी ढांचे के विकास को समुचित प्राथमिकता दी है और इसके परिणाम सामने आ रहे हैं. हाल ही में संपन्न पेरिस ओलंपिक खेलों में भारतीय दल ने अपना उत्कृष्ट प्रयास किया. मैं खिलाड़ियों की निष्ठा और परिश्रम की सराहना करती हूं. उन्होंने युवाओं में प्रेरणा का संचार किया है.

हाल के वर्षों में, भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है. आप सभी के साथ, मैं भी अगले साल होने वाले गगनयान मिशन के शुभारंभ की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रही हूं. इस मिशन के तहत, भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान में, भारतीय अंतरिक्ष टीम को, अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा.

पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए तत्पर है. इस उल्लासपूर्ण अवसर पर मैं आप सब को एक बार फिर बधाई देती हूं. मैं सेनाओं के उन बहादुर जवानों को विशेष बधाई देती हूं जो अपनी जान का जोखिम उठाते हुए भी हमारी स्वतन्त्रता की रक्षा करते हैं.

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