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Rajasthan: मैरिटल रेप पर राजस्थान सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, फैसले से पहले जानिए क्यों मांगा सुनवाई के लिए समय

Rajasthan government: मैरिटल रेप को लेकर राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाया है. इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को सुनवाई के लिए समय दिया है.

Rajasthan: मैरिटल रेप पर राजस्थान सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट, फैसले से पहले जानिए क्यों मांगा सुनवाई के लिए समय
राजस्थान सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

Marital Rape: मैरिटल रेप यानी वैवाहिक बलात्कार को अपराध के दायरे में लाने के लिए राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है. इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ( Rajasthan government )ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर कर अपना पक्ष रखने का अनुरोध किया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को आज यानी मंगलवार को सुनवाई के लिए समय दिया है.

हस्तक्षेप याचिका में क्या कहा गया 

राज्य सरकार की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका में कहा गया है कि वैवाहिक बलात्कार ( Marital Rape) का मामला महिलाओं के अधिकारों और आपराधिक न्याय प्रणाली पर गहरा असर डालता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला नागरिकों, खासकर महिलाओं के लिए काफी प्रभावी होगा. सरकार इन मामलों में वैवाहिक बलात्कार की शिकार महिलाओं के हितों का प्रतिनिधित्व करना चाहती है. जिससे इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के जरिए लिए जाने वाले फैसले में उनकी मदद की जा सके.

 ADG शिव मंगल शर्मा है राजस्थान सरकार के वकील

इस मामले में राजस्थान सरकार की ओर से ADG शिव मंगल शर्मा सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेंगे. उन्होंने 1860 की आईपीसी(IPC) की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार ( Marital Rape) की संवैधानिकता को लेकर राज्य सरकार की ओर से हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है.

राजस्थान की सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में निम्नलिखित मुख्य बिंदु शामिल हैं:

आवेदन का उद्देश्य वैवाहिक बलात्कार अपवाद की संवैधानिकता पर निर्णय लेने में न्यायालय की सहायता करना है
 इससे इस मुद्दे के राष्ट्रीय महत्व तथा न्यायिक प्रक्रिया में विविध दृष्टिकोणों की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है.
 राजस्थान राज्य का उद्देश्य सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिस्थितियों का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करना है जो धारा 375 आईपीसी की व्याख्या को प्रभावित करते हैं.

 यह हस्तक्षेप प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है और इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि न्यायालय अपने निर्णय के व्यावहारिक पहलूओं पर भी विचार करे.

इस मामले के परिणाम से पूरे देश के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम होने की उम्मीद है

राजस्थान की भागीदारी को संतुलित और सूचित न्यायिक समीक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, जिससे विवाह के भीतर यौन हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिक प्रभावी कानूनी ढांचा तैयार हो सकता है.

मैरिटल रेप पर वर्तमान कानून क्या है?

वैवाहिक बलात्कार  ( Marital Rape)का मतलब है जब पति अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध उसके साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाता है, तो उसे बलात्कार माना जाता है. वर्तमान में कानून कहता है कि अगर पति अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध बनाता है, बशर्ते कि उसकी उम्र पंद्रह साल से कम न हो, तो यह बलात्कार नहीं है.जाहिर है कि मैरिटल रेप का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है और इस पर सुनवाई होनी बाकी है.

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