RBI Governor Interview: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एनडीटीवी को दिए गए एक एक्स्क्लूसिव इंटरव्यू में कहा है कि पिछले पांच साल सारी दुनिया की अर्थव्यस्था के लिए बहुत उथल-पुथल रहे और भारत का प्रदर्शन इस दौरान काफी अच्छा रहा. NDTV के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक खास बातचीत में आरबीआई गवर्नर ने अर्थव्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से बात की.
शक्तिकांत दास ने बताया कि पिछले कुछ वर्ष सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरे रहे. उन्होंने कहा कि पहले कोविड का दौर आया और उसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ जिसका असर सारी दुनिया पर पड़ा और वह आज भी जारी है. उन्होंने कहा कि कोविड की वजह से पूरी दुनिया के उत्पादन में एक नुकसान हुआ जो स्थायी था.
उन्होंने कहा कि इस दौर में भी भारत की इकोनॉमी डांवाडोल नहीं हुई क्योंकि सरकार और रिजर्व बैंक के बीच एक बहुत अच्छा समन्यव रहा. उन्होंने कहा,"उस संकट से जिस तरह से हम निकल कर आए, वह बहुत शानदार है."
#NDTVExclusive | "कोविड और यूक्रेन वॉर जैसे संकट से जैसे हम निकले वह अहम है" : RBI गवर्नर शक्तिकान्त दास
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आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत है. इस साल भारत का आर्थिक विकास दर 7.2 प्रतिशत रहेगा, और वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ती रहेगी.
#NDTVExclusive | "2024-25 में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा" : RBI गवर्नर शक्तिकान्त दास
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"आर्थिक विकास के साथ महंगाई नियंत्रित करना भी जरूरी"
शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत के विकास दर के बढ़ने के साथ-साथ यह भी जरूरी है कि महंगाई को नियंत्रित किया जाए. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की दर एक समय 7.8 प्रतिशत हो गई थी जो अब घट कर 3.5 प्रतिशत पर आ गई है. दास ने कहा कि यह कोशिश की जाती है कि यह दर 4 प्रतिशत के आस-पास रहे.
शक्तिकांत दास ने कहा,"कीमतों में स्थिरता बनाए रखना जरूरी है, इसे बनाए रखना चाहिए. लोगों के हाथ में पैसा ज्यादा रहेगा तो वह खर्च भी करेंगे. इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा."
हालाँकि आरबीआई गवर्नर ने देश की बैंकिंग व्यवस्था को लेकर थोड़ी चिंता जताई और कहा कि बैंक आसानी से कर्ज तो दे रहे हैं मगर उनकी जमा रकम में कमी आ रही है. उन्होंने कहा,"रिजर्व बैंक इसी वजह से उन्हें सतर्क कर रहा है और स्थिति की निगरानी कर रहा है.डिपोजिट और क्रेडिट की राशि में जब अंतर बढ़ता है, तो इससे एक-दो साल तो चल जाएगा, मगर बाद में परेशानी हो सकती है. इसलिए इनके बीच संतुलन रहना चाहिए."
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