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870 साल की हुई स्वर्णनगरी जैसलमेर: राजस्थान की शान, रेत में बसा एक सुनहरा इतिहास

स्वर्णनगरी जैसलमेर ने आज 870वां स्थापना दिवस मनाया. राजपरिवार की परंपराओं के तहत कुलदेवी मां स्वांगिया और रियासतकालीन ध्वज का पूजन हुआ.

870 साल की हुई स्वर्णनगरी जैसलमेर: राजस्थान की शान, रेत में बसा एक सुनहरा इतिहास
स्वर्णनगरी जैसलमेर ने मनाया 870वां स्थापना दिवस.

Rajasthan News: रेत की विशाल लहरों में बसी, पत्थरों में इतिहास संजोए और संस्कृति की चमक से दमकती हमारी स्वर्णनगरी जैसलमेर आज (6 अगस्त 2025) पूरे 870 साल की हो गई. इस ऐतिहासिक मौके पर जैसलमेर में राजशाही परंपराओं के तहत ध्वज पूजन, गायत्री यज्ञ और कुलदेवी मां स्वांगिया की विधिवत पूजा के साथ भव्य आयोजन हुए. राजमहल परिसर में भाटी वंश की कुलदेवी मां स्वांगिया के मंदिर में परंपरागत ढंग से पूजन हुआ. वहीं रियासत कालीन पीला-केसरिया ध्वज फहराया गया, जिस पर भगवान इंद्र के मेघाडंबर छत्र का चिन्ह अंकित है. इस ऐतिहासिक दिन पर राजपरिवार के सदस्यों महाराज दुष्यंत सिंह और ठाकुर विक्रम सिंह ने सभी रस्मों को पूरी श्रद्धा से निभाया.

महारावल चैतन्य राज सिंह ने स्थापना दिवस पर सभी जैसलमेरवासियों को शुभकामनाएं देते हुए राज्य की समृद्धि और गौरव की कामना की.
जैसलमेर में ध्वज पूजन की तस्वीर

जैसलमेर में ध्वज पूजन की तस्वीर
Photo Credit: NDTV Reporter

1156 ईस्वी में रखर गई थी नींव

संवत 1212 (1156 ईस्वी) में भाटी वंश के संस्थापक महारावल जैसल सिंह ने जैसलमेर की नींव रखी थी. कहा जाता है कि जैसलमेर वो रियासत रही, जिसके पास स्थायी सेना नहीं थी. यहां का हर निवासी सिपाही था और हर घर एक किला. भारत की परिस्थिति चाहे जैसी भी रही, मुगल और अंग्रेज आए और गए, राज्य के वंशजों ने अपने वंश के गौरव के महत्व को यथावत रखा. 

जैसलमेर की मिट्टी में देशभक्ति की खुशबू

1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में जैसलमेर के वीरों ने सेना के साथ मिलकर मातृभूमि की रक्षा की मिसाल पेश की. आज भी जैसलमेर की रग-रग में वही देशभक्ति, वही जुनून और वही गौरव है.

सोनार किले में कुलदेवी मां स्वांगिया की पूजा के दौरान ली गई तस्वीर.

सोनार किले में कुलदेवी मां स्वांगिया की पूजा के दौरान ली गई तस्वीर.
Photo Credit: NDTV Reporter

पर्यटन मानचित्र पर 'स्वर्ण अक्षरों' में दर्ज

रेत की चादर ओढ़े इस शहर में बना सोनार किला, कलात्मक हवेलियां, मंदिर, बंगलियां और गड़ीसर सरोवर जैसलमेर को केवल एक शहर नहीं, एक जीवित धरोहर बनाते हैं. देश-दुनिया से लाखों पर्यटक यहां आते हैं और राजस्थान की अनोखी मरु संस्कृति को आत्मसात करते हैं.

जैसलमेर का इतिहास आज भी सांस लेता है

जहां देश के अन्य ऐतिहासिक शहर आधुनिकता के साथ अपनी विरासत को खोते जा रहे हैं, वहीं जैसलमेर आज भी अपने गौरवशाली इतिहास, परंपराओं और संस्कृति को जीवंत रूप में सहेजे हुए है.

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