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This Article is From Jul 08, 2023

राजस्‍थान का प्रवेश द्वार है भरतपुर, पक्षी विहार ने दिलाई दुनिया भर में पहचान 

भरतपुर जिला पर्यटकों की भी एक पसंदीदा जगह है. 4 जून, 2005 को भरतपुर राजस्थान राज्य का नवीनतम सातवां संभाग बना तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर में शामिल होने वाला यह राज्य का दूसरा जिला है.

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राजस्‍थान का प्रवेश द्वार है भरतपुर, पक्षी विहार ने दिलाई दुनिया भर में पहचान 

भरतपुर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और पक्षी विहार के लिए जाना जाने वाला राजस्‍थान का एक पूर्वी जिला है. इस जिले की सीमा उत्तर में हरियाणा के मेवात जिले से, पूर्व में उत्तर प्रदेश के मथुरा, दक्षिण में राजस्‍थान के धौलपुर व करौली और उत्तरप्रदेश के आगरा से, जबकि पश्चिम में राजस्‍थान के दौसा व अलवर जिलों से लगती है. 

एनसीआर में शामिल राजस्‍थान का दूसरा जिला

4 जून, 2005 को भरतपुर राजस्थान राज्य का नवीनतम सातवां संभाग बना तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर में शामिल होने वाला यह राज्य का दूसरा जिला है. इसे राजस्थान का प्रवेश द्वार, राजस्थान का पूर्वी सिंह द्वार और पक्षियों का स्वर्ग स्थल जैसे उपनामों से भी जाना जाता है.

भरतपुर में मेवाती और ब्रज भाषा बोली जाती है, जोकि हिन्‍दी की ही बोलियां हैं. रूपारेल, गम्भीर, ककुन्द व बाणगंगा यहां की मुख्य नदियां हैं. इसके अलावा मोती झील व केवलादेव झील भरतपुर की मुख्य झीलें हैं. 

सालभर आते हैं यहां विदेशी सैलानी 

भरतपुर जिला पर्यटकों की भी एक पसंदीदा जगह है. आगरा में ताजमहल देखने आने वाले ज्‍यादातर विदेशी सैलानी भरतपुर की केवलादेव बर्ड सेंचुरी देखने जरूर जाते हैं.  इस अभयारण्य का निर्माण किशन सिंह ने स्विजरलैंड की झीलों के आधार पर करवाया था. यह हजारों किलोमीटर दूर से प्रवास के लिए आने वाले ‘साइबेरियन सारस' के लिए प्रसिद्ध है.

इसे  1982 में राष्ट्रीय पक्षी उद्यान घोषित किए जाने के बाद 1985 में यूनेस्को की विश्व प्राकृतिक धरोहर सूची में शामिल किया गया. इसके अलावा भी यहां कई दर्शनीय पर्यटन स्‍थल हैं,

जिनमें जवाहर बुर्ज, लोहागढ़ दुर्ग, कचहरी कला (संग्रहालय), बयाना दुर्ग, रूपवास आखेट स्थली,  बाग-बगीचों का कस्बा वैर, खानवा की प्रसिद्ध युद्ध स्थली,  कामां या काम्यक वन, नगला जहाज में ग्‍वालों के लोकदेवता देव बाबा का मंदिर और डींग के भव्य जल महल जैसी ऐतिहासिक विरासतें शामिल हैं. 

महाराजा सूरज मल ने बसाया शहर

प्राचीन काल में इस स्थान पर सिनसिनवार नाम के कबीले के आदिवासी समुदाय का शासन था, जो 100 ईस्वी में भारत आया था. पहले यहां गोहद शहर था, जिसे 1505 ईस्वी में जाट राजाओं ने स्‍थापित किया था, जिस पर बाद में मराठों का शासन हुआ. 1733 ई. में महाराजा सूरज मल ने भरतपुर शहर का निर्माण कराया. भरतपुर को मेवात से अलग करके बनाया गया था और माना जाता है कि इसका नाम भगवान राम के भाई भरत के नाम पर रखा गया.

भरतपुर एक नजर में

  • भौगोलिक स्थिति - 26° 22' - 27° 83' उत्तरी अक्षांश और 76° 53' - 78° 17' पूर्वी देशांतर
  • क्षेत्रफल -  5066 वर्ग किलोमीटर 
  • जनसंख्या  - 2,548,462 (2011 की जनगणना)
  • जनसंख्या घनत्व - 503/ वर्ग किलोमीटर 
  • जनसंख्या वृद्धि दर - 21.32% (2001-2011)
  • लिंगानुपात - 877/1000
  • साक्षरता दर - 71.16% 
  • एससी/एसटी जनसंख्या - 21.9% और 2.1% 
  • विधानसभा क्षेत्र - 7 (भरतपुर, नगर, डीग-कुम्हेर, कामां, वैर, बयाना, नदबई)
  • तहसील - 11
  • पंचायत समिति - 10 
  • संभाग - भरतपुर
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