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This Article is From Jul 12, 2023

प्रतापगढ़ : पहाड़ों और पठारों से घिरा है राजस्थान का यह जिला

प्रतापगढ़ विशेष प्रकार से कांच के आभूषण बनाने की कला 'थेवा' के लिए मशहूर है. यहां बनने वाले मसालों में जिरालुन और हींग भी काफी प्रसिद्ध है. इस जिले में बनी हुई सीतामाता सेंचुरी भी पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का विषय रहती है.

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प्रतापगढ़ : पहाड़ों और पठारों से घिरा है राजस्थान का यह जिला
अरावली व विंध्याचल पर्वतमाला में फैला प्रतापगढ़ का सीतामाता अभयारण्य एकमात्र जंगल है, जहां सागवान के बहुमूल्य पेड़ बहुतायत में हैं...

राजस्थान के दक्षिण-पूर्व में स्थित प्रतापगढ़ राज्य के नवगठित जिलों में से एक है. इसे 26 जनवरी, 2008 को जिले का दर्जा दिया गया था. यह शहर एक विशेष प्रकार से कांच के आभूषण बनाने की कला 'थेवा' के लिए काफी मशहूर है. यहां बनने वाले मसालों में जिरालुन और हींग भी काफी प्रसिद्ध है. इसके अलावा यह 491 मीटर की औसत ऊंचाई के साथ राजस्थान के दूसरे सबसे ऊंचे स्थान के रूप में भी जाना जाता है.

काफी पुराना है शहर का इतिहास
साल 1698 में राजकुमार प्रतापसिंह ने देवगढ़ से अलग एक नया शहर बसाया और उसका नाम रखा प्रतापगढ़. दरअसल, चित्तौड़गढ़ के राजा महाराणा कुम्भा ने पारिवारिक विवाद के चलते अपने भाई क्षेमकर्ण को राज्य से निकाल दिया. इसके बाद कुछ समय तक क्षेमकर्ण और उसका परिवार शरणार्थी रहे, लेकिन 1514 में उनके पुत्र राजकुमार सूरजमल ने देवगढ़ में अपना शासन जमाया, लेकिन देवगढ़ का माहौल शाही परिवार के रहने लायक नहीं था, इसलिए राजा सूरजमल के वंशज राजकुमार प्रतापसिंह ने इस शहर को बसाया था.

औद्योगिक विकास और संस्कृति
यहां के लोग मुख्य रूप से खेती करते हैं, क्योंकि यहां की जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ है. यहां अफीम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. इसके अलावा यह राजस्थान जैसे रेतीले राज्य में सबसे ज्यादा हरियाली वाले कुछ जिलों में से एक है. अफीम के अलावा यहां गेहूं और सोयाबीन की खेती भी बड़े स्तर पर की जाती है. प्रतापगढ़ में मुख्य रूप से मेवाड़ी भाषा बोली जाती है. इसके अलावा यहां मालवा क्षेत्र की झलक भी देखी जा सकती है.

पर्यटन स्थल और मुख्य आकर्षण
प्रतापगढ़ पहाड़ों और पठारों से घिरा जिला है, इसलिए यहां का वातावरण और प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती हैं. इस जिले में बनी हुई सीतामाता सेंचुरी भी पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का विषय रहती है. इस जंगल में टीक के पेड़ काफी बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब सीता माता वनवास काट रही थीं, तब वह यहीं महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहती थीं. इसके अलावा यहां मौजूद गौतमेश्वर मंदिर भी काफी प्रसिद्ध माना जाता है. इसे यहां का हरिद्वार भी कहा जाता है. 

प्रतापगढ़, एक नज़र में

  • जिला मुख्यालय - प्रतापगढ़
  • क्षेत्रफल - 4,117 वर्ग किमी
  • जनसंख्या - 8,67,848
  • जनसंख्या घनत्व - 211 / वर्ग किमी
  • लिंगानुपात - 982 / 1000
  • साक्षरता - 56.3%
  • तहसील - 5
  • पंचायत समिति - 8
  • संभाग - उदयपुर
  • विधानसभा क्षेत्र - 2
  • लोकसभा क्षेत्र - 1
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