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This Article is From Jul 22, 2024

Sawan 2024: सात दुर्गम पहाडियों के बीच बना हल्देश्वर महादेव, जहां पीपल के पेड़ के नीचे प्रकट हुए थे भगवान शिव

Haldeshwar Mahadev Mandir : मिनी माउंट के नाम से मशहूर 7 पहाड़ियों के बीच बना यह मंदिर अपनी खास पहचान रखता है. सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में भक्त महादेव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

Sawan 2024: सात दुर्गम पहाडियों के बीच बना हल्देश्वर महादेव, जहां पीपल के पेड़ के नीचे प्रकट हुए थे भगवान शिव
Haldeshwar Mahadev Temple

Haldeshwar Mahadev Temple: सावन के पहले सोमवार को देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है. वहीं बालोतरा के सिवाना में छप्पन पहाड़ियों के बीच स्थित पौराणिक हल्देश्वर महादेव (Haldeshwar Mahadev Temple)के दर्शन के लिए श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं. मिनी माउंट के नाम से मशहूर 7 पहाड़ियों के बीच बना यह मंदिर अपनी खास पहचान रखता है. सावन के महीने में यहां बड़ी संख्या में भक्त महादेव के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. यहां दर्शन करने के बाद भक्त अपने परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं.

 7 पहाड़ियों के बीच बना यह मंदिर

7 पहाड़ियों के बीच बना यह मंदिर

हल्दिया राक्षस के वध के लिए यहां प्रकट हुए थे भोलेनाथ

पौराणिक मान्यता के अनुसार इन छप्पन पहाड़ियों में हल्दिया नामक राक्षस का आतंक था. राक्षस के आतंक से मुक्ति के लिए ग्रामीणों ने भोलेनाथ से प्रार्थना की. परिणामस्वरूप भगवान शिव एक पीपल के पेड़ के नीचे प्रकट हुए और राक्षस का वध कर ग्रामीणों को उसके भय से मुक्ति दिलाई. तभी से यह स्थान हल्देश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इस स्थान पर एक पहाड़ी भी है जहां गुरु गोरखनाथ की गुफा और धूनी है. गुरु गोरखनाथ ने यहां कई वर्षों तक तपस्या की थी. इसके अलावा महाभारत काल में पांडवों ने अपना अज्ञातवास भी यहीं बिताया था. पास में ही ऊंची पहाड़ी पर मां भवानी का मंदिर भी है लेकिन वहां पहुंचना काफी कठिन है.

हल्देश्वर के रास्ते मे वीर दुर्गादास प्रोल का भी अनूठा इतिहास

हल्देश्वर के रास्ते में पहाड़ियों पर वीर दुर्गादास के जरिए बनवाई गई प्रोल का भी अपना इतिहास है. ऐसा माना जाता है कि सत्रहवीं शताब्दी में औरंगजेब के आक्रमण के दौरान जोधपुर राज्य के राजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद उनके बेटे अजीत सिंह को राजा मानने से इनकार कर दिया गया और षड्यंत्र रचने लगे. ऐसे में वीर दुर्गादास ने नन्हे बालक अजीत सिंह को औरंगजेब से बचाने के लिए इन पहाड़ियों में एक प्रोल बनवाई और अजीत सिंह को वहीं रखा. बाद में उन्हें मेवाड़ भेज दिया गया. दुर्गादास ने इसी प्रोल में औरंगजेब के पोते और पोती को भी छिपाया था, जिन्हें बाद में उन्हें वापस सौंप दिया गया.  हालांकि यह प्रोल अब बदहाल स्थिति में है.

हल्देश्वर महादेव जाने का रास्ता

हल्देश्वर महादेव जाने का रास्ता

सरकार ने हल्देश्वर मन्दिर के विकास के लिए बजट की घोषणा

राज्य सरकार के बजट में वित्त मंत्री दीया कुमारी ने हाल ही में इस हल्देश्वर मंदिर के विकास के लिए अनुदान देने की घोषणा की है. विधायक हमीर सिंह ने कहा कि राज्य सरकार की घोषणा के बाद इस ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिर का तेजी से विकास होगा, जिससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. बजट में छप्पन की इन पहाड़ियों के वन क्षेत्र के लिए 'कैम्पो फंड' के तहत 100 करोड़ के विशेष पैकेज की भी मांग की गई है. जिसके तहत यहां वीर दुर्गादास की प्रतिमा स्थापित की जा सकेगी.  इसके साथ ही जिले के पंचतीर्थ भीड भजन, हिंगलाज माता, हल्देश्वर, कोटेश्वर महादेव और सुखलेश्वर महादेव सहित अन्य प्राचीन मंदिरों के लिए भी पैनोरमा बनाने का प्रयास करेंगे ताकि यहां आस्था के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा मिले.

कैसे पहुंचे हल्देश्वर महादेव 

हल्देश्वर महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सिवाना जाना पड़ता है  वहां से पिपलून गांव की तलहटी से करीब 7 किलोमीटर की दुगर्म पहाड़ियों के रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. 

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