Bhilwara: भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा में अपने मुख्य सचेतक और सचेतकों के नामों की घोषणा कर दी है. पार्टी ने बिहार के सांसद संजय जायसवाल को मुख्य सचेतक नियुक्त किया है. इनके अलावा बीजेपी ने 16 सचेतकों के नामों का भी ऐलान किया है. इनमें राजस्थान की भीलवाड़ा सीट के लोकसभा सांसद दामोदर अग्रवाल भी शामिल हैं. भीलवाड़ा से पहली बार किसी बीजेपी सांसद को यह बड़ी जिम्मेदारी मिली है.
कौन हैं दामोदर अग्रवाल, लोकसभा चुनाव में हुई थी बड़ी चर्चा
लोकसभा चुनाव इस साल पहली बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए थे. बीजेपी ने बिलकुल आखिरी मौके पर उन्हें मौजूदा सांसद का टिकट काटकर भीलवाड़ा से उम्मीदवार बाया था जिसकी बड़ी चर्चा हुई थी. आम तौर पर राजस्थान में बीजेपी भीलवाड़ा के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करती है. मगर इस बार चुनाव में बीजेपी ने कई सांसदों का टिकट काटा था.
इनमें भीलवाड़ा के सांसद सुभाष बहेड़िया का नाम भी शामिल था, जिन्होंने 2014 और 2019 में बड़ी जीत हासिल की थी. वर्ष 2019 के चुनाव में वह 6 लाख से ज्यादा मतों से जीते थे, जो प्रदेश में सबसे बड़ी जीत थी. मगर इसके बावजूद उनका टिकट काट बीजेपी ने दामोदर अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया था. दामोदर अग्रवाल ने चुनाव में कांग्रेस नेता सी पी जोशी को साढ़े तीन लाख से ज्यादा मतों से हरा कर बड़ी जीत हासिल की.
दामोदर अग्रवाल काफी समय से आरएसएस के साथ जुड़े रहे. बाद में उन्हें बीजेपी में भेजा गया. वह भीलवाड़ा के एक बड़े कारोबारी हैं और उनकी गिनती भीलवाड़ा के प्रमुख वस्त्र उद्योगपतियों में होती रही है. दामोदर अग्रवाल टेक्स्टाइल ट्रेड फेडरेशन के संस्थापक भी रहे हैं. उन्होंने भीलवाड़ा नगर परिषद के पार्षद के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी.
पार्टी का सचेतक क्या करता है?
संसदीय परंपरा में सचेतक या पार्टी व्हिप एक विशेष तरह की व्यवस्था होती है जिसमें पार्टी की ओर से किसी सदन में अपने सदस्यों को निश्चित निर्देश दिया जाता है. इसका सबसे ज्यादा जिक्र किसी महत्वपूर्ण मु्द्दे पर सदन में मतदान के दौरान होता है.
इसी को ध्यान में रख पार्टियां सदन में अपने किसी वरिष्ठ सदस्य को व्हिप जारी करने के लिए नियुक्त करती हैं. इसे चीफ व्हिप या मुख्य सचेतक कहा जाता है. उसकी सहायता के लिए कई अन्य सचेतकों की भी नियुक्ति की जाती है. इस बार बीजेपी ने भीलवाड़ा के सांसद दामोदर अग्रवाल को भी सचेतक बनाया है.
व्हिप ना मानने का गंभीर नतीजा
व्हिप का उल्लंघन काफी गंभीर माना जाता है. व्हिप तीन प्रकार के होते हैं - वन लाईन, टू लाइन और थ्री लाइन के व्हिप. वन लाइन व्हिप में सदस्यों को यह छूट होती है कि यदि वह पार्टी के निर्देश के अनुसार वोट नहीं करना चाहता है, तो वह मतदान में हिस्सा नहीं ले सकता है और वोटिंग के दौरान सदन से बाहर जा सकता है. टू लाइन व्हिप में सदस्यों के लिए सदन में उपस्थित रहना आवश्यक होता है. थ्री लाइन व्हिप सबसे गंभीर होती है. यह सबसे जरूरी मु्द्दों पर मतदान के समय जारी की जाती है. इसका उल्लंघन बहुत गंभीर हो सकता है. पार्टी के निर्देश के बाहर जाकर वोट करने पर उस सदस्य की सदस्यता जा सकती है.