राजस्थान के राजसमंद शहर में वृक्षारोपण को लेकर नगर परिषद के एक अभियान पर सवाल उठने लगे हैं. इस अभियान के तहत ऐसे विदेशी पौधे लगा दिए गए हैं, जिनसे पर्यावरण को नुकसान होता है और ये इंसानों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाते हैं. हाल ही में डूंगरपुर नगरपालिका ने ऐसे हजारों पौधों को कटवाया था. मगर इसके बाद भी राजसमंद शहर में यही पौधे लगाए जा रहे हैं जिसकी आलोचना हो रही है. इन पौधों के दुष्प्रभावों को देखते हुए गुजरात और तेलंगाना जैसे राज्यों में सरकारों ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है.
राजस्थान के राजसमंद नगर परिषद को इस मानसून सीजन में करीब 5 लाख आयुर्वेदिक एवं देसी मूल के पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है. नगर परिषद अब तक करीब 6,500 पौधे लगवा चुका है. इसके तहत शहर के चार इलाकों में गहन वन स्थापित करने का काम जारी है. राजसमंद के तालेड़ी पुल से लेकर जे के सर्किल तक सड़क के बीच बने डिवाइडर पर भी पौधे लगाए गए हैं. यहाँ जेके टायर प्लांट के ट्री गार्ड लगे हुए हैं. लेकिन डिवाइडर के अंदर जो पौधे लगे हैं, वह कोनोकार्पस नाम के पौधे हैं जिन्हें पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह माना जाता है. कोनोकार्पस विदेशी प्रजाति के पौधे हैं जो अफ्रीका और अरब देशों में मिलते हैं.
कोनोकार्पस - खतरनाक पौधे
गुजरात में सरकार ने पिछले साल लाखों पौधों को कटवा दिया था. इसका कारण यह है कि कोनोकार्पस पौधा प्रकृति के लिए श्राप माना जाता है. यह 24 घंटे कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है. इस पौधे पर किसी तरह का कोई फल नहीं लगता, ना ही परिंदे इस पर अपना घोंसला बनाते हैं. इसके अलावा इसकी जड़ें काफी गहराई तक चली जाती हैं जिससे भूजल का स्तर कम हो जाता है. इसके अलावा इन पौधों से श्वास की बीमारी,जुकाम,खुजली,आंखों में जलन और त्वचा संबंधी रोग भी हो सकते हैं. इनका फायदा केवल यह है कि ये काफी हरे-भरे होते हैं और इससे अच्छी छांव मिल सकती है.
डूंगरपुर में नगर परिषद कटवा चुका है हजारों पेड़
हाल ही में डूंगरपुर नगर परिषद ने ऐसे 5000 पौधों को कटवा दिया, जिन्हें उसने खुद लगवाया था. लेकिन इसके बाद भी राजसमंद नगर परिषद की नाक के नीचे ये पौधे लगाए जा रहे हैं. राजसमंद में विपक्ष के पार्षदों ने इन पौधे के लगाने का विरोध जताया है.
पार्षद आशीष पालीवाल ने कहा, "कोनोकार्पस पौधे मनुष्यों के लिए ही नहीं, पशु-पक्षियों के लिए भी हानिकारक हैं. सबसे बड़ी बात है कि ये चौबीसों घंटे कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ते हैं जो शहरवासियों के लिए हानिकारक है. अगर नगर परिषद इस पर कार्रवाई नहीं करती है तो हम शहर के लोगों को साथ लेकर प्रदर्शन और आंदोलन करेंगे."
राजसमंद नगर परिषद कर रहा है जांच
वहीं मामला प्रकाश में आने के बाद नगर परिषद का कहना है कि ये पौधे जेके टायर द्वारा सामाजिक सरोकारों के तहत लगाए गए हैं और इन पौधों के दुष्प्रभाव को लेकर कोई जानकारी नहीं होने से ऐसा हुआ है.
राजसमंद नगर परिषद के अधिशासी अभियंता तरुण बाहेती ने कहा,"इन पौधों के बारे में कोई साइंटिफिक रिपोर्ट मौजूद नहीं होने की वजह से ऐसा हुआ है. अगर हमें ऐसी रिपोर्ट मिलती है तो हम इन पौधों को हटा लेंगे. हम इस बारे में बांसवाड़ा से भी जानकारी लेने की कोशिश कर रहे हैं जहां से ये पौधे आए हैं."