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Rajasthan: "एक साल में 360 करोड़ का गुटखा खा जाते हैं डूंगरपुर के लोग", सांसद राजकुमार रोत बोले- दाने-दाने में कैंसर का दम

Rajasthan: बांसवाड़ा लोकसभा सीट से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत ने आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में गुटखे की खपत को लेकर बड़ा दावा किया है.

Rajasthan: "एक साल में 360 करोड़ का गुटखा खा जाते हैं डूंगरपुर के लोग", सांसद राजकुमार रोत बोले- दाने-दाने में कैंसर का दम
भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत. (फाइल फोटो)

Rajasthan: भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने गुटखे के बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा है जिसकी बड़ी चर्चा हो रही है. रोत ने इसमें लिखा है कि डूंगरपुर जिले के लोग एक दिन में एक करोड़ और एक साल में करीब 360 करोड़ रुपए का गुटखा खा जाते है. अपनी पोस्ट में सांसद राजकुमार ने एक गुटखा कंपनी के विज्ञापन की टैग लाइन पर कटाक्ष करते हुए लिखा, "इसके दाने -दाने में कैंसर का दम है". इसके साथ ही सांसद ने आमजन से गुटखा नहीं खाने की अपील भी की.

गांव में भ्रमण पर निकले थे रोत 

सांसद राजकुमार ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में भ्रमण करने के दौरान बहुत कुछ जानने को मिला. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने डूंगरपुर जिले के एक गांव में एक छोटी-सी दुकान पर लटके गुटखे के पाउच देखकर दुकानदार से गुटखे की बिक्री की जानकारी ली. दुकानदार ने बताया कि वह एक दिन में करीब 1200 रुपए के गुटखे बेच देता है. सांसद राजकुमार का कहना है कि एक पंचायत में औसत 25 से 30 छोटी बड़ी दुकानें होती हैं, जिन पर गुटखा बिकता है.

एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा के गुटखे की बिक्री 

जिले में 353 ग्राम पंचायतों के हिसाब से ऐसी दुकानों की संख्या साढ़े 8 हजार से भी ज्यादा हो जाती है. 1200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से गुटखे की बिक्री का आंकड़ा प्रतिदिन एक करोड़ से ज्यादा और साल का 360 करोड़ के लगभग हो जाता है. सांसद राजकुमार ने कहा कि डूंगरपुर जिले में खुलेआम और धड़ल्ले से गुटखे बिक रहे हैं, प्रशासन इस पर लगाम लगाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी जिले में गुटखे का प्रचलन कम करने और नशा मुक्ति के लिए जन जागरण अभियान चलाएगी.

यूजर ने किया कमेंट 

राजकुमार रोत के पोस्‍ट पर @Anil Roat नाम के यूजर ने ल‍िखा, जोहार साहब ब‍िल्कुल सत्‍य बात लिखी है. मेरी भी एक छोटी दुकान थी. इतनी मैं भी न‍िकाल देता हूं. दूसरे यूजर ने ल‍िखा, "हिसाब तगड़ा है सर जी, इतना तो एड वाला को भी नहीं पता होगा की मेरा गुटखा, गल्ले गल्ले और ढाणी ढाणी मे पहुंच रही है, जो मैं सबको खिलाकर सबको कैंसर की चपेट मे ले रहा हूं. वाह मेरे प्यारे लालो और लालियों और खाओ दाने दाने मे कैंसर का दम 'मेरा आदिवासी परिवार' कब नशा मुक्त होगा. यह संकल्प खुद को लेना होगा, तब ही होगा नशा मुक्त आदिवासी परिवार."

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