विज्ञापन
Story ProgressBack

कांग्रेस छोड़ कर आ रहे नेताओं के लिए भाजपा क्यों बिछा रही रेड कार्पेट!

Somu Anand
  • विचार,
  • Updated:
    February 27, 2024 20:59 IST
    • Published On February 27, 2024 20:59 IST
    • Last Updated On February 27, 2024 20:59 IST

राजस्थान में महेंद्रजीत मालवीया के बाद अब एक और कांग्रेसी नेता रिछपाल मिर्धा के भाजपा में जाने की चर्चा तेज हो गई है. लगातार हार रही कांग्रेस से तो कई नेता छोड़कर जा रहे हैं लेकिन सवाल है कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में 25-25 सीटें जीतने वाली भाजपा इन नेताओं के लिए रेड कार्पेट क्यों बिछा रही है? 

इस सवाल के जवाब में लंबे वक्त तक भाजपा को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन कहते हैं,  “कांग्रेस और भाजपा में यही बुनियादी फर्क है. भाजपा हमेशा चुनावी मोड में रहती है. पार्टी का ध्यान एक - एक वोट जोड़ने पर होता है. पार्टी उन नेताओं का इस्तेमाल करना जानती है, जिसके पास एक भी वोट हो. साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी कोई जोखिम भी नहीं लेना चाहती है.”

आखिर इन नेताओं में ऐसी क्या बात है कि भाजपा इस कदर उत्साहित है? 

मालवीया और मिर्धा दोनों नेता अलग-अलग इलाके से आते हैं लेकिन दोनों को एक बात जोड़ती है. वह है इनकी जातियों का लंबे वक्त से कांग्रेस के प्रति झुकाव होना. प्रदेश में भाजपा ने सरकार जरूर बनाई लेकिन दक्षिणी राजस्थान में उसे नुकसान हुआ और जाट बाहुल्य सीटों पर अपेक्षित सफलता नहीं मिली. बांसवाड़ा - डूंगरपुर लोकसभा के अंतर्गत आने वाली विधानसभा में तो पार्टी का वोट कम हो गया. वहीं पार्टी ने जिन 2 जाट सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया था. वे भी चुनाव हार गए. नागौर की डीडवाना सीट से वसुंधरा समर्थक युनुस खान टिकट काटे जाने पर भी जीत गए. जाट बाहुल्य शेखावाटी में भी पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. यहां की 21 में से 14 सीटें कांग्रेस के पास हैं. नागौर जिले में भी पार्टी के पास 10 में से सिर्फ 4 सीटें हैं. पिछला लोकसभा चुनाव भी पार्टी यहां नहीं लड़ी थी. किसान आंदोलन, पहलवानों के प्रदर्शन का असर भी इस इलाके में है. यह वह इलाका है जहां दशकों से मिर्धा परिवार का बोलबाला रहा है. 

जाट लैंड के रूप में जाने जाने वाले नागौर में किसानों की बड़ी आबादी है. यहां के पशु मेले काफी मशहूर हैं. यही वजह है कि जब भाजपा सरकार के खिलाफ किसानों ने आंदोलन किया तो हनुमान बेनीवाल को एनडीए से अलग होने में भलाई दिखी. बेनीवाल को मिर्धा परिवार की ज्योति मिर्धा से टक्कर मिलती रही है.

विधानसभा चुनाव में ज्योति मिर्धा को लाकर भाजपा ने इमारत की मजबूत ईट निकाल दी थी. अब रिछपाल मिर्धा के जरिए मिर्धा परिवार की पूरी विरासत ही अपने कब्जे में करना चाहती है. 

राजस्थान की राजनीति में मिर्धा परिवार की अहमियत इस बात से समझी जा सकती है कि 1977 के कांग्रेस विरोधी लहर में भी नागौर के सीट मिर्धा परिवार ने कांग्रेस के हवाले की थी. तब नाथूराम मिर्धा चुनाव जीते थे. मिर्धा परिवार हमेशा से किसानों का हितैषी माना जाता है. नागौर में एक किस्सा मशहूर है कि जब मारवाड़ में गर्मी के 4 महीने तक चारा नहीं मिलता था तो पाशुपालक अपने पशुओं को डांग क्षेत्र में चंबल के किनारे लेकर जाते थे. तब चंबल के डाकू उन्हें लूटते थे. उन्होंने यह बात नाथूराम मिर्धा को बताई तो मिर्धा ने पशुओं की रक्षा के लिए आरएसी के जवान तैनात कर दिए. इलाके में नाथूराम मिर्धा के प्रति बहुत सम्मान है. 

2009 में जब ज्योति मिर्धा चुनाव लड़ने आईं तो उनका चुनावी नारा था, “दादा की पोती, आपणो ज्योति.”

भाजपा को उम्मीद है कि मिर्धा परिवार की विरासत के सहारे वह जाट वोट बैंक में मजबूत सेंध लगा पाएगी. 

वहीं मालवीया से पार्टी को आदिवासी अंचल में फायदे के साथ - साथ आदिवासी वोट बैंक में हिस्सेदारी की उम्मीद है. इस वोट बैंक को साधने के लिए पार्टी ने चुन्नी लाल गरासिया को राज्यसभा भेजा है. दरअसल, उस इलाके में आदिवासी पार्टी के बढ़ते प्रभाव ने पार्टी के सामने नई चुनौती पैदा कर दी थी. हालांकि संघ परिवार उस इलाके में वनवासी कल्याण आश्रम के जरिए अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रहा है लेकिन आदिवासी परिवार के आंदोलन ने संघ और भाजपा के प्रयासों पर पानी फेर दिया. बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी को डूंगरपुर -  बांसवाड़ा में सीटों के साथ - साथ वोट का भी नुकसान हो गया. इसलिए पार्टी को इलाके में मजबूत आदिवासी नेता की जरूरत महसूस हुई. महेंद्रजीत मालवीय भाजपा की उस जरूरत को बखूबी पूरा कर रहे थे. 

दोनों नेताओं के जरिए पार्टी उस वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है जिसका बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में जाता रहा है. दोनों नेता अपनी विरासत से जो भी वोट लायेंगे, वह भाजपा के लिए बोनस ही होगा.

(स्पष्टीकरण- लेखक सोमू आनंद एनडीटीवी से जुड़े पत्रकार हैं. इस लेख में उनके निजी विचार हैं.) 

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
युग परिवर्तन की आधारशिला है "नारी शक्ति वंदन"
कांग्रेस छोड़ कर आ रहे नेताओं के लिए भाजपा क्यों बिछा रही रेड कार्पेट!
Became the state president of NSUI at the age of 23, MP and minister at the age of 29...Political magician Ashok Gehlot became at the age of 73
Next Article
73 साल के हुए 'सियासत के जादूगर' अशोक गहलोत, ऐसे तय किया जननायक तक का सफर
Close
;