
Rajasthan News: राजस्थान के करौली जिले में पहाड़ों की तलहटी में बसा गांव आम का जाहिरा अपनी अनूठी कहानी के लिए जाना जाता है. इस गांव का नाम आम का जाहिरा इस लिए पड़ा, क्योंकि यहां करीब 150 साल पहले यहां के पूर्वजों ने यहां बहुत बड़ा आम बगीचा लगाया था. इस बगीचे ने गांव को पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध कर दिया था.
समय के साथ बदली तस्वीर
वहीं समय के साथ यह बगीचा सूखने लगा. गांव की वह पुरानी रौनक खो गई. मगर गांव के युवाओं ने हार नहीं मानी. उन्होंने ठान लिया कि आम का जाहिरा को उसकी खोई हुई शान फिर से दिलाएंगे.

युवाओं का जोश और जुनून
गांव की 'शिक्षा विकास समिति' ने इस सपने को सच करने की ठानी. समिति में शामिल पुखराज मीणा GST कमिश्नर बताते हैं कि गांव वालों ने मिलकर 6 लाख रुपये की राशि जुटाई. इसके बाद लखनऊ के मलिहाबाद से दशहरी, लंगड़ा, आम्रपाली और रामकेला जैसे बेहतरीन आमों की किस्में मंगवाई गईं. इन पेड़ों को पहाड़ों के बीच फैले 3 किलोमीटर के क्षेत्र में लगाया गया. इस काम को करने के लिए पूरे गांव ने दिन रात मेहनत करके काम किया है.

पांच सालों में लगेंगे 500 पेड़
केदार लाल मीणा रिटायर्ड सीनियर सेक्शन इंजीनियर का कहना है कि गांव के लोग हर साल 100 नए आम के पेड़ लगाएंगे. अगले पांच सालों में 500 पेड़ लगाकर बगीचे को फिर से हरा-भरा करने का लक्ष्य है. यह प्रयास न केवल गांव की पुरानी पहचान लौटाएगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा देगा.

नई उम्मीद की किरण
आम का जाहिरा आज युवाओं के हौसले और मेहनत का प्रतीक बन रहा है. यह गांव एक बार फिर अपने आमों की मिठास से पूरे क्षेत्र में छा जाने को तैयार है.
यह भी पढ़ेंः कुत्ते को निगल गया 15 फीट लंबा अजगर, लेकिन फिर खुद फंस गया- Video