Jaipur Foundation Day: राजस्थान की राजधानी जयपुर आज 298 साल की हो गई. लगभग तीन शताब्दी पहले, 18 नवंबर, 1727 को, राज्य के इस गुलाबी शहर का निर्माण आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था. शहर का स्वरूप उनकी दूरदर्शी सोच की झलक है, जिसकी झलक आज हर प्राचीर, ऐतिहासिक इमारतों, शाही किलों और बाजारों में देखी जा सकती है.यह शहर भारतीय वास्तुकला के सिद्धांतों पर आधारित है. इसी वजह से इसे दुनिया का पहला सुनियोजित शहर माना जाता है. शहर का ग्रिड पैटर्न, चौड़ी सड़कें और 9 वर्गाकार ब्लॉक इसे अनोखा बनाते हैं. वही जयपुर स्थापना दिवस के मौके पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने गुलाबी नगरी के अपने भावों को शेयर किया है.
पूर्व सीएम अशोक गहलोत की पोस्ट
ऐतिहासिक विरासत, समृद्ध संस्कृति, परंपरागत वास्तुकला एवं आधुनिक दृष्टिकोण के संगम, जयपुर के स्थापना दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। pic.twitter.com/q2i0SYy5tU
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 18, 2025
क्यों रखी गई थी इस शहर की नींव
जयपुर की स्थापना साल 1727 में आमेर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी. कहा जाता है कि उस वक़्त आमेर की राजधानी जल संकट और कम जगह की वजह से फैलाई नहीं जा सकती थी. इसी को ध्यान में रखते हुए सवाई जय सिंह ने एक आधुनिक शहर की नींव रखी.
प्रसिद्ध वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य ने बनाया था जयपुर का वास्तुशास्त्र
जयपुर का निर्माण न केवल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, बल्कि यह विज्ञान और ज्योतिष के प्रति सवाई जयसिंह के लगाव को भी दर्शाता है. इसके लिए खास तौर पर बंगाल के प्रसिद्ध वास्तुविद विद्याधर भट्टाचार्य की सेवाएं ली गईं थीं. विद्याधर ने हिंदू वास्तुशास्त्र और भारतीय नगर नियोजन के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए शहर का डिजाइन तैयार किया था. जयपुर का जंतर मंतर इसकी नायाब मिसाल है. यह एक खगोलीय वेधशाला है, जिसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है.

Hawa Mahal, jaipur
Photo Credit: PTI
कैसे मिली गुलाबी नगरी की पहचान
सन् 1876 में, प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड VII) के स्वागत के लिए महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने पूरे शहर को उनकी मेहमानवाजी के लिए गेरुआ ( जिसे टेराकोटा पिंक कहते है.) रंग से रंगवा दिया था, जिसके बाद से यह 'गुलाबी नगरी' (Pink City) कहलाया. इसे पहले इसका रंग सफेद हुआ करता था.
भव्य महलों और किलों से बनी शहर की अनूठी पहचान
जयपुर की स्थापना से पहले 100 वर्ष में जयपुर ने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्रशासनिक रूप से कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे. इस दौरान शहर ने न केवल भव्य महलों और किलों के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि उसने विज्ञान, कला और वास्तुकला में भी एक अलग मुकाम हासिल किया. जो तब से अब लगातार जस के तस बने हुए है. जयपुर अब एक स्मार्ट सिटी के रुप में विकसित हो रहा है.
जयपुर के 29 ऐतिहासिक दरवाजे
जयपुर शहर का निर्माण करते उसकी सुरक्षा के लिए काफी सजगता दिखाई गई थी. शहर को बनाते वक्त इसमें कुल 29 ऐतिहासिक दरवाजे बनाए गए हैं, जिनमें से 13 दरवाजे सिटी पैलेस में और 16 दरवाजे परकोटे में बनाए गए थे. जिसे शहर की पुरानी चारदीवारी (Walled City) की सुरक्षा मजबूत किया जा सके. जो आज भी झलकती है. अधिकारिक तौर पर, इस चारदीवारी में 7 मुख्य पोल या प्रवेश द्वार हैं (जैसे अजमेरी गेट, सांगानेरी गेट, चांद पोल, सूरज पोल, न्यू गेट, दिल्ली गेट,और विद्याधर नगर द्वार है. इन्हें हर दिशा में बनाया गया है. ).1727 में जयपुर की नींव का मुहूर्त गंगापोल गेट पर लगाया गया था. न्यू गेट सबसे बाद में बनाया गया.
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