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रेगिस्तान में बिना AC और कूलर के ठंडा रहता ये स्कूल, दुनियाभर में हो रही डिजाइन की चर्चा

रेगिस्तान के बीच बसा जैसलमेर (Jaisalmer) इतिहास के सुनहरे पन्नो में कई कहानियां संजोए हुए है. अपनी कहानियों में से एक कहानी है राजकुमारी रत्नावती (Rajkumari Ratnavati) के नाम से खोले गए उस स्कूल की जो महिला शिक्षा की ओर बढ़ते जैसाण का एक बड़ा उदाहरण है.

March 08, 2024, 14:18
  • CITTA फाउंडेशन चला रहा स्कूल
    कुछ साल पहले जैसलमेर राजपरिवार ने राजकुमारी रत्नावती के नाम से 'द राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल' का संचालन शुरू किया है, जिसे सीटा फाउंडेशन की ओर से चलाया जा रहा है. रेत के सागर के बीच अपनी विशेष कलात्मकता के कारण यह स्कूल दुनिया में अपनी पहचान बना चुका है.
  • न्यूयॉर्क की आर्किटेक्ट ने किया डिजाइन
    न्यूयॉर्क की मशहूर आर्किटेक्ट डायना केलॉग ने इस स्कूल को ऐसा डिजाइन किया गया है कि गर्मी से राहत मिल पाए. इस स्कूल में ना तो एयरकन्डिसनर लगाने की जरूर, ना ही कूलर लगाने की. स्कूल की बिल्डिंग की बनावट अंडाकार डिजाइन में की गई है कि ये हमेशा ठंडा रहता है. विभिन्न खासियतों वाला यह स्कूल आज बालिका शिक्षा व महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बन रहा है.
  • स्कूल में 141 बालिकाएं नामांकित
    इस स्कूल में किंडरगार्टन से लेकर कक्षा 10वीं तक की फिलहाल 141 बालिकाएं नामांकित है. जिस गांव में यह स्कूल बसा है, वहां महिला साक्षरता दर बहुत ही कम है. ऐसे में इस स्कूल में एक पुस्तकालय और संग्रहालय के साथ एक कला प्रदर्शनी स्थल भी है. इसके अलावा यहां महिला सहकारी केंद्र भी है, यहां स्थानीय कारीगर महिलाएं बुनाई और कढ़ाई की तकनीक भी सीख रही हैं.
  • 300 महिलाओं को रोजगार का प्रशिक्षण
    जैसलमेर के सम, मेघवालों की बस्ती, भील बस्ती, सियांबर, लखाराम का गांव, कनोई व मंगलिया वास की 300 से ज्यादा महिलाओं को स्वरोजगार के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है. महिलाओं द्वारा कशीदा व सिलाई का प्रशिक्षण लेकर अब पर्स, बैग व प्लास्टिक रियूज करते हुए विभिन्न प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं.
  • अलाउद्दीन खिलजी ने की थी घेराबंदी
    जैसलमेर के इतिहास में राजकुमार रत्नावती का महत्वपूर्ण स्थान है. राजकुमारी रत्नावती एक वीर व कुशल योद्धा थीं. उस समय देश के कई हिस्सों अलाउद्दीन खिलजी की हुकूमत थी. उसका सेनापति मलिक काफूर जैसलमेर के किले की घेराबंदी करने पहुंच गया. राजकुमारी रत्नावती ने सैनिक वेशभूषा पहनकर किले के दरवाजे बंद कर दिए और अपने सैनिकों के साथ दिन रात किले की रक्षा में जुटी रही. राजकुमारी ने किले की प्राचीर पर चढ़कर मोर्चाबंदी कर दी.
  • द्वारपाल को दिया गया धन का लालच
    जैसलमेर का अजेय दुर्ग गर्व से मस्तक उठाए खड़ा था. उसके वीर सैनिक गोल पत्थरों व गर्म तेल की बौछारों से शत्रु सैनिकों को परेशान कर किले की सुरक्षा कर रहे थे. हताश हो चुके शत्रु ने धोखे से किले में प्रवेश करने की योजना बनाई. उन्होंने द्वारपाल को धन का लालच देकर प्रोल का दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया. वफादार द्वारपाल ने सारी सूचना राजकुमारी को दे दी.
  • मलिक कफूर को बनाया था बंदी
    राजकुमारी ने दुश्मन को उसी की चाल से मात देने के लिए द्वारपाल से कहा कि तुम आधी रात को उनकी इच्छानुसार प्रथम द्वार खोल देना. द्वारपाल ने वैसे ही किया. आधी रात को द्वार खोला और मलिक काफूर अपने 100 सैनिकों के साथ दुर्ग में प्रवेश कर गया. इतने में द्वारपाल ने दरवाजा बंद कर दिया. मलिक काफूर अपने सैनिकों के साथ किले में भटक गया और राजकुमारी रत्नावती ने उसे घेर कर बंदी बना लिया. अंत में आक्रांताओं को पीछे हटना पड़ा.
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