
Rajasthan News: राजस्थान की कोचिंग सिटी कोटा के स्टेशन क्षेत्र में रहने वाले एक गरीब परिवार के बच्चे राहुल ने लेफ्टिनेंट बनकर मिसाल पेश की है. राहुल के पिता नंदकिशोर घर के बाहर सालों से लोगों के कपड़े प्रेस करते हैं और एक छोटी सी ड्राई क्लीन की दुकान चलाते हैं. बेटे को लेफ्टिनेंट के सफर तक पहुंचने में उन्होंने दिन-रात मेहनत की और जब बेटा पहले एनडीए में सिलेक्ट हुआ और फिर उसके बाद लेफ्टिनेंट के पद उसकी नियुक्ति हुई तो पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया नंदकिशोर बताते हैं कि परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी.
लेकिन राहुल के देश सेवा का जज्बा उसकी मेहनत ने संघर्ष करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान की और अब बेटा लेफ्टिनेंट बनकर लौटा है. समाज के साथ-साथ पूरे शहर के लिए प्रेरणा बन रहा है.
2020 में हुआ था राहुल का एनडीए में सलेक्शन
लेफ्टिनेंट राहुल वर्मा के कोटा पहुंचने के बाद समाज और क्षेत्र के लोगों ने जोरदार स्वागत किया और खुली जीप में राहुल को घर तक लाया गया. लेफ्टिनेंट राहुल ने बताया कि जिस स्टेशन क्षेत्र में वह रहते हैं. वहां अक्सर आर्मी के जवानों को देखा करते थे, उनकी दिली इच्छा थी कि वह भी आर्मी में जाकर देश की सेवा करें.

लेफ्टिनेंट के पद पर हुई नियुक्ति
राहुल ने बताया कि साल 2020 एनडीए का एग्जाम में शामिल हुआ था इससे पहले भी एनडीए की तीन बार परीक्षा दी लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद आखिरी चांस में एनडीए में सिलेक्शन हो गया और 4 साल की पुणे और देहरादून में ट्रेनिंग के बाद आर्मी ऑफिसर बनने का सपना आज पूरा हो गया.
बड़ी बहन ने किया मोटिवेट और आर्थिक मदद
राहुल बताते हैं कि परिवार में कोई भी अब तक सरकारी नौकरी में नहीं था मेरा एनडीए में सिलेक्शन होने के बाद परिवार ने भी मेरे लिए संघर्ष और मदद में कोई कमी नहीं छोड़ी. बड़ी बहन शिवानी प्राइवेट स्कूल में जॉब करती हैं. उन्होंने मुझे हमेशा मोटिवेट भी किया और आर्थिक सहायता में भी उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी.

राहुल ने बताया कि उन्होंने स्टेशन क्षेत्र के ही प्राइवेट हिंदी स्कूल से 12th तक पढ़ाई की थी. एनडीए में सिलेक्शन के बाद इंटरव्यू के दौरान इंग्लिश कमजोर होने की समस्या भी सामने आई लेकिन कड़ी मेहनत करके इंटरव्यू को भी फाइट किया और फिर इंडियन मिलिट्री अकादमी के पासिंग आउट परेड का हिस्सा बना जो जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल था.
350 में से 95 रैंक हासिल की राहुल ने
राहुल बताते हैं कि एनडीए की परीक्षा में करीब 10 लाख आवेदक शामिल हुए थे उसमें से 8000 अभ्यर्थियों का चयन हुआ फिर उसके बाद शारीरिक परीक्षा में 5000 अभ्यर्थी रह गए थे और फिर मेडिकल होने के बाद 350 टॉप अभ्यर्थियों में उनका स्थान 95 नंबर पर था. इंडियन आर्मी में ऑफिसर के पहले पायदान लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त होने के बाद राहुल ने कहा मेरे सपनों को पंख लग गए हैं. परिवार का संघर्ष मेहनत रंग लाई है, लंबे इंतजार के बाद परिवार में खुशी देश सेवा का जज्बा और समाज के लिए प्रेरणा इससे बड़ी खुशी किसी के लिए क्या हो सकती है.
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