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This Article is From Sep 20, 2023

अनूठे सम्मेलन में पहुंचे 121 दादा-दादी और नाना-नानी, बच्चों संग सांझा किए अनुभव

जैसलमेर के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में बच्चों कें सर्वांगीण विकास की ओर एक अनूठा कदम उठाते हुए दादा-दादी, नाना-नानी सम्मेलन कें रूप में पहल की. इस सम्मेलन में बच्चों के ग्रैंड पेरेंटर्स नेहिस्सा लिया.

अनूठे सम्मेलन में पहुंचे 121 दादा-दादी और नाना-नानी, बच्चों संग सांझा किए अनुभव
ग्रैंड पेरेंटर्स का सम्मेलन में पहुंचे 121 दादा-दादी और नाना-नानी
जैसलमेर:

जैसलमेर के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में बच्चों कें सर्वांगीण विकास की ओर एक अनूठा कदम उठाते हुए दादा-दादी, नाना-नानी सम्मेलन कें रूप में पहल की. पहल के तहत कक्षा प्रथम से तृतीया तक के विद्यार्थीयों के ग्रैंड पेरेंटर्स का सम्मेलन रखा गया. इस सम्मेलन में शहर में संचालित विद्या मंदिरों में पढ़ने वाले बच्चों के दादा-दादी व नाना-नानी ने हिस्सा लिया.

बच्चों में के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका

बच्चों के चरित्र निर्माण में दादा-दादी, नाना -नानी की अहम भूमिका रहती है. जैसे कि परिवार में श्रेष्ठ शिक्षा का वातावरण बनाना, बालक में बड़ों के प्रति श्रृद्धा व भक्ति भाव पैदा करना, परिवार में हमारी मार्गदर्शक की भूमिका है. बचपन से ही बच्चों में सेवा, त्याग, समर्पण, राष्ट्र भक्ति के भाव भरने में दादा-दादी नाना-नानी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.

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सांस्कृतिक कार्यक्रम से हुई शुरूआत

कार्यक्रम की शुरुआत विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां शारदे, भारत माता व सृष्टि की रचना के प्रतीक चिह्न 'ॐ' के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया. सम्मेलन मुख्य वक्ता महेंद्र कुमार दवे ने बताया कि बालक के बाल्यकाल में जो कुछ सीखता और देखता है वो चित्र मानसिक पटल पर उसके जीवन्त पर्यन्त रहते हैं.

कोटा में बच्चों द्वारा सुसाइड पर हुई चर्चा

सम्मेलन के तहत प्रदेश के सबसे संवेदनशील मुद्दे कोचिंग सिटी कोटा में लगातार छात्र-छात्राओं द्वारा पढ़ाई के प्रेशर में आकर सुसाइड करने के मामलों पर भी चर्चा हुई. वक्ताओं ने इस विषय पर चर्चा करते हुए बताया कि अभिभावकों द्वारा बच्चों से कलेक्टर, डॉक्टर या किसी भी बड़े पद पर जाने के लिए बचपन से ही इतना दबाव दिया जाता है कि वो कई बार इस दबाव को सहन नहीं कर पाने की स्थिति में गलत कदम उठा लेते हैं. बच्चों के दादा-दादी व नाना-नानी ही बच्चों में संघर्षरत रहते हुए त्याग की भावना का भाव पैदा कर सकते हैं. जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके.

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