Rajasthan News: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में फर्जी सील (Fake Seal) वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. उनके पास से जज, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, डीवाईएसपी, तहसीलदार और पटवारी समेत अलग-अलग अधिकारियों की 75 सीलें बरामद हुई हैं. किसी की जमानत दिलानी होती है तो यह गिरोह घर बैठे सरकारी अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर (Fake Signature) करके प्रमाण पत्र तैयार कर कोर्ट में पेश कर देते. इन सबकी सीलें और प्रमाण पत्र L.L.B पास सतीश जैन खुद ही तैयार कर लेता देता था.
500 लोगों को दिलाई जमानत
अब पुलिस गिरफ्त में आने के बाद सतीश जैन ने पुलिस के सामने इन फर्जी सीलों को लेकर कई राज उगले हैं. बताया गया कि अब तक एलएलबी पास सतीश जैन ने करीब 500 लोगों की जमानतें फर्जी दस्तावेज तैयार करके दिला दी है. इस गिरोह के फर्जी दस्तावेजों का भंडाफोड़ पुलिस ने नहीं, बल्कि कोर्ट के जज ने जमानत के लिए पेश दस्तावेज के दौरान कर दिया. ऐसे में अब गिरोह से जुड़े अन्य लोगों में भी हड़कंप मचा हुआ है.
कोर्ट में जज ने रंगे हाथ पकड़ा
पुलिस गिरफ्त में आए दो आरोपी एलएलबी पास सतीश जैन और उसका सगा भाई ललित जैन हैं, जो पिछले दिनों एक अनजान व्यक्ति की जमानत देने के लिए बेगू कोर्ट में आए. फर्जी दस्तावेज तैयार करके तस्दीक शुदा जमानत के दौरान पेश किए गए. दस्तावेजों की जांच पड़ताल में कोर्ट में जज ने पकड़ लिया. फर्जी दस्तावेज पकड़ने के बाद एलएलबी पास सतीश जैन की फर्जी सील से तैयार अवैध कारोबार की पोल खुल गई.
1 लाख की जमानत 5 हजार में
दरअसल, हरियाणा के पंचकूला का रहने वाला सुरेश बंसल धोखाधड़ी के मामले में चित्तौड़गढ़ जिले की बेगू जेल में बंद था. आरोप है कि उसने रावतभाटा के खरनोई गांव में 103 बीघा जमीन खरीदने में 16 लाख रुपए की धोखाधड़ी की थी. तलवंडी कोटा के रहने वाले राज कुमार खत्री ने उसके खिलाफ ये मामला दर्ज करवाया था, जिसमें आठ साल बाद आरोपी को पुलिस ने पकड़ा था. उसकी जमानत के लिए एडीजे कोर्ट बेगू ने एक लाख रुपए की तस्दीक शुदा जमानत के आदेश दिए थे. इसके बाद एलएलबी सतीश जैन के पास किसी परिचित का इस मामले में जमानत देने के लिए फोन आया. पांच हजार रुपए में जमानत का सौदा तय हुआ, जिसके लिए जमानत देने आए सतीश व उसका भाई ललित, जेल में बंद आरोपी को ये जानते तक नहीं थे. जमानत नामा रावतभाटा की कोर्ट में पेश करना था. लेकिन मजिस्ट्रेट के नहीं होने से 19 जून को जमानत नामा अपर जिला सेशन न्यायालय बेगू में पेश किया गया.
एक ही इंक से सिग्नेचर देख हुआ शक
फिर एसीजेएम कोर्ट बेगू में एलएलबी पास सतीश जैन और उसका सगा भाई जमानत के कागजात लेकर कोर्ट में पेश हुए. तस्दीक शुदा इन दस्तावेज में एलएलबी पास सतीश जैन ने 8 लाख रुपए का स्वयं के स्वामित्व का हैसियत प्रमाण पत्र भीम तहसीलदार के सिग्नेचर और उसके सगे भाई ललित जैन ने 5 लाख रुपए का स्वयं के स्वामित्व का हैसियत प्रमाण पत्र गिर्वा तहसीलदार के सिग्नेचर युक्त कोर्ट में पेश किए. सतीश और ललित जैन की ओर से अपर जिला सेशन न्यायालय बेगू में पेश किए गए प्रमाण पत्र पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीयूष जैलिया को शक हुआ. हैसियत प्रमाण पत्र पर ई-सिग्नेचर नहीं थे, बल्कि एक ही कलम स्याही से हस्ताक्षर तथा एक ही प्रारूप के होने से सन्देह की स्थिति उत्पन्न हो गई.
जज ने तहसीलदार को लगाया फोन
इस पर अपर जिला सेशन न्यायालय बेगूं के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पीयूष जैलिया ने गिर्वा तहसीलदार सुरेश मेहता और भीम तहसीलदार लाला राम से फोन पर वार्ता कर हैसियत प्रमाण पत्र के बारे में वेरिफिकेशन किया तो दोनों ही तहसीलदार ने उक्त दोनों हैसियत प्रमाण पत्र का जारी डिस्पेच क्रमांक का रजिस्टर चलन में नहीं होना बताया. तत्कालीन तहसीलदार द्वारा समस्त हैसियत प्रमाण पत्र डिजिटल जारी किए गए थे. सतीश जैन व ललित जैन के द्वारा पेश किए गए फर्जी सील व फर्जी दस्तावेज का फर्जीवाड़ा अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पकड़ लिया. कोर्ट ने पुलिस को सूचना दी इस पर कोर्ट से ही एलएलबी पास सतीश जैन और ललित जैन को पुलिस ने डिटेन कर लिया. रावतभाटा कोर्ट रीडर की ओर से 20 जून को बेगू पुलिस थाने में रिपोर्ट दी गई. रिपोर्ट पर सतीश जैन और ललित जैन के विरुद्ध 420, 466, 468, 471 और 120 बी आईपीसी की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किया गया. सतीश और ललित जैन को गिरफ्तार किया गया.
कार में मिलीं सभी फर्जी 75 सीलें
पुलिस गिरफ्त में आने के बाद जिस कार में सतीश जैन आया उस कार की तलाशी ली तो 75 सीलें और 30 से अधिक हैसियत प्रमाण पत्र बरामद किए. इन फर्जी सील में एसीजेएम कोर्ट उदयपुर, डीवाईएसपी अंता बारा, उदयपुर थानाधिकारी, तहसीलदार गिर्वा, उप तहसीलदार गिर्वा, कार्यपालक मजिस्ट्रेट कुराबड़, भीम तहसीलदार, एसडीएम नाथद्वारा, सीजेएम गोगुन्दा, अतिरिक्त जिला कलक्टर उदयपुर, उप पंजीयक उदयपुर, निर्वाचक पंजीयक अधिकारी नाथद्वारा, सिटी मजिस्ट्रेट गोगुन्दा, तहसीलदार राजसमंद, कोर्ट के रीडर समेत पटवारियों की सीलें मिली. यही नहीं, सतीश जैन की कार से चुनाव ऑब्जर्वर की फर्जी सील भी मिली, जिससे गत लोकसभा चुनाव में कई लोगों को फर्जी पास जारी किए गए.
कोरोना काल में शुरू किया था धंधा
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि सतीश जैन ने राजस्थान के अलावा गुजरात में भी फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर लोगों की जमानतें करवाई हैं. 2021 में कोरोना काल में फर्जी सीलें बनाकर अवैध कारोबार शुरू किया. तब से फर्जी जमानतें दिलाने का अवैध कारोबार फैला रखा है. अब तक फर्जी दस्तावेजों से करीब 500 लोगों की जमानतें करवा दी है. पुलिस पूछताछ में यह भी सामने आया कि एक सील अध्यक्ष मेवाड़ महिला शहरी आजीविका समिति के नाम से बना रखी है और इस फर्जी सील से लोन भी उठाया है. फर्जी जमानत के इस अवैध कारोबार में अधिकतर मामले 151 की धारा में फर्जी दस्तावेज लगाकर लोगों की जमानत करवाई गई है. जमानतें दिलाने का सौदा 5 हजार से लेकर 40-50 हजार रुपए तक होना बताया गया है.
कॉल रिकॉर्ड से ट्रेसिंग में जुटी पुलिस
पुलिस ने ललित जैन को कोर्ट में पेश करने पर उसे जेल भेज दिया. वहीं एलएलबी पास सतीश जैन का 4 दिन की पुलिस रिमांड पूरा होने के बाद उसे दुबारा सोमवार को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से आरोपी सतीश जैन को फिर से पांच दिन के पीसी रिमांड पर भेजा गया. सतीश जैन और ललित जैन दोनों भोपालपूरा उदयपुर के रहने वाले हैं. इस मामले में अनुसंधान करते हुए पुलिस एक ई-मित्र सेंटर पर पहुंची जहां से आरोपी फर्जी दस्तावेज बनाता था, वहां से एक कंप्यूटर जब्त किया है. बताया गया कि आरोपी सतीश जैन उदयपुर और चित्तौड़गढ़ शहर से फर्जी सीलें बना कर उन्हें काम में लेता था. अब तक करीब पांच सौ फर्जी जमानतें दे चुके आरोपी के फोन कॉल की डिटेल्स निकालने में पुलिस जुट गई है, ताकि फर्जी दस्तावेज से दिलाई गई जमानत की फाइलें ट्रेस हो सके. फिलहाल एलएलबी पास सतीश जैन पांच दिन के पीसी रिमांड पर है. पुलिस सतीश जैन के मोबाइल कॉल डिटेल के आधार पर इस गिरोह से जुड़े लोगों तक पहुंचेगी और फर्जी सीलें व फर्जी दस्तावेज बनाने वाले इस गिरोह का पूरा पर्दाफाश किया करेगी. इस गिरोह से जुड़े लोगों में हड़कम्प मच हुआ है.