
Rajasthan News: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने डिजिटल अरेस्ट साइबर धोखाधड़ी मामले में चार आरोपियों के खिलाफ राजस्थान के झुंझुनू में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष आरोप पत्र दायर किया है. यह मामला मूल रूप से राजस्थान पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था, जिसे बाद में राजस्थान सरकार के निर्देश पर सीबीआई को हस्तांतरित कर दिया गया. राजस्थान सरकार के निर्देश पर सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी. जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि साइबर अपराधियों ने एक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान के प्रोफेसर को निशाना बनाया.
अपराधियों ने खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी बताकर पीड़ित को "डिजिटल रूप से गिरफ्तार" करने की धमकी दी. अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच आरोपियों ने पीड़ित से धमकी और धोखाधड़ी के जरिए 7.67 करोड़ की राशि ठग ली. पीड़ित एक प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान में प्रोफेसर है.
ऑपरेशन चक्र के जरिए हुई कार्रवाई
जांच के दौरान सीबीआई ने महत्वपूर्ण सुराग हासिल किए और ऑपरेशन चक्र-V के तहत साइबर अपराध नेटवर्क पर चल रही कार्रवाई के तहत, देश भर में कई स्थानों पर व्यापक तलाशी ली. इन तलाशियों के परिणामस्वरूप आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ महत्वपूर्ण आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई. अब तक के निष्कर्षों के आधार पर मामले के सिलसिले में कुल आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
कानून के तहत निर्धारित गिरफ्तारी की तारीख से 60 दिनों की वैधानिक समय सीमा के भीतर चार आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है, जबकि शेष चार आरोपियों के खिलाफ जांच जारी है. गिरफ्तार किए गए सभी आठ व्यक्ति वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.
सीबीआई भारत की सीमाओं के भीतर और बाहर सक्रिय संगठित साइबर अपराध सिंडिकेटों की गहन जांच करने और उन्हें ध्वस्त करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है और यह सुनिश्चित करती है कि ऐसे दुर्भावनापूर्ण नेटवर्कों को निष्पक्ष और निष्पक्ष कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से न्याय के कटघरे में लाया जाए.
सीबीआई ने इस मामले में गहन जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए और आरोप पत्र दायर किया. आरोप पत्र में शामिल आरोपियों के नाम विकास कुमार, राजपाल सिंह, नितिन सुथार और संतोष गुप्ता है.
यह मामला साइबर अपराधों की बढ़ती चुनौती को दर्शाता है, जहां अपराधी नई तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहे हैं. इस मामले में आगे की कार्रवाई जारी है.