Pratapgarh Action on Officers: राजस्थान सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का प्रतापगढ़ जिले में लगातार देखने को मिल रहा है. प्रशासनिक हलकों में इन दिनों एपीओ का खौफ बना हुआ है, एपीओ शब्द के नाम से अधिकारियों में पिछले एक सप्ताह से दहशत बनी हुई है. जिले में विभिन्न विभागों के तीन बड़े अधिकारियों के एपीओ होने के बाद अब चर्चा चल पड़ी है कि अगला नंबर किसका आने वाला है. सरकारी विभागों में एपीओ होना एक सजा के तौर पर देखा जाता है. ताजा मामला प्रतापगढ़ के मुख्य शिक्षा अधिकारी का सामने आया, जिन्हें फिलहाल APO कर दिया गया है.
भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में आए कुछ सरकारी विभाग
30 अगस्त को संयुक्त शासन सचिव मनीष गोयल ने मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक वसूमित्र सोनी को एपीओ कर दिया. कुल मिलाकर तीनों कार्रवाइयों में एक बात साफ तौर पर देखने को मिली कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में यह पूरी तरह से विफल साबित हो रहे थे. जिस विभाग से यह अधिकारी जुड़े थे उनमें भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका था. हालांकि जिले के अधिकांश विभाग भ्रष्टाचार से अछूते नहीं है.
लेकिन कुछ विभाग तो भ्रष्टाचार को लेकर चर्चा में है, लोगों पर दबाव बनाकर वसूलियां की जा रही थी. अपने-अपने विभागों में जिम्मेदार पदों पर बैठे अधिकारियों पर भ्रष्टाचार को रोकने का जिम्मा था. जिसमें यह पूरी तरह से विफल साबित हो रहे थे, सूत्रों की माने तो वसूली के इस खेल में ऊपर के अधिकारी खुद शामिल थे.
जिले में बैक टू बैक हो रही कार्रवाई
प्रतापगढ़ जिले में 24 अगस्त को मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर जीवराज मीणा को चिकित्सा विभाग द्वारा एपीओ किया गया. जिसकी जानकारी लोगों को 27 अगस्त को मिली. एपीओ होने का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो प्रशासन के साथ राजनीतिक हल्को में भी खलबली मच गई. डॉक्टर मीना के राजस्व मंत्री के निकटतम रिश्तेदार होने का फायदा भी इन्हें नहीं मिला.
इसी तरह 26 अगस्त को अरनोद थाने के थानेदार सुरेंद्र सोलंकी को 8 लाख रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया गया. उसके अगले दिन एसपी लक्ष्मण दास के एपीओ होने के आदेश जारी हो गए. दोनों अधिकारियों के एपीओ होने की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि शिक्षा विभाग के एक और आला अधिकारी को एपीओ करने के आदेश आ गए.
हालांकि जिन अधिकारियों को एपीओ किया गया है उन पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे हैं. लेकिन जिन विभागों से यह संबंध रखते हैं वह विभाग भ्रष्टाचार की पर्याय बन चुके थे. इन विभागों से लगातार शिकायतें मिल रही थी.
चाहे कोई बी हो काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं
सरकार ने इस तरह के कदम उठाकर यह तो साफ संदेश दे दिया है कि अधिकारी कितना भी बड़ा हो और कितना ही प्रभावशाली हो भ्रष्टाचार और काम में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी. सरकार के पास जिले के और भी अधिकारियों की शिकायतें पहुंची है, जिसको लेकर अब चर्चा चल पड़ी है कि अगला नंबर किसका है. आने वाले दिनों में और भी अधिकारी एपीओ होने वाले दल में शामिल हो सकते हैं. साथ ही एक पंचायत समिति के मुखिया पर भी गाज गिरने की संभावना जताई जा रही है.
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