
Rajasthan Weather Update: राजस्थान के कई जिलों में लौटते मानसून की बारिश ने किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है. वहीं बारिश के बाद राजस्थान में तेजी से गिर रहे तापमान कड़ाके की ठंड की ओर इशारा कर रही है. जयपुर में सांगानेर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने कहा कि मानसून की विदाई के बाद हुई बारिश से दिन में तापमान में कमी आई है. लेकिन इस गिरावट का ज्यादा असर रात के समय होगा.
राधेश्याम शर्मा ने कहा कि सोमवार को हुई बारिश में सबसे ज्यादा बारिश डीडवाना–कुचामन में रिकॉर्ड की गई, यहां 131 MM बारिश हुई. इसके साथ ही सीकर, झुंझुनू में भी भारी बारिश हुई तो जयपुर के आसपास के इलाकों में सांभर, शाहपुरा, विराटनगर में भारी बारिश दर्ज की गई.
आने वाले 15 दिनों में बारिश की संभावना नहीं
मौसम विभाग का कहना है कि, आने वाले 15 दिनों की बात करें, तो अब बारिश की कोई ज्यादा संभावना नहीं दिख रही. उन्होंने कहा कि दीपावली पर भी मौसम साफ रहेगा. वहीं सर्दियों को लेकर उन्होंने कहा कि अभी इसका अध्ययन चल रहा है. अक्टूबर के आखिर और नवंबर की शुरुआत में सर्दियों को लेकर भी मौसम विभाग अपना आकलन जारी करेगा.
किसानों को नुकसान
उधर पोस्ट मानसून की इस बरसात में किसानों के माथे पर भी चिंता की लकीरें ला दी हैं. प्रदेश में कई जगह जहां फसल काट कर खेत में तैयार रखी हुई थी, वहां सोमवार की बारिश से भारी नुकसान हुआ है. कर्ण नरेंद्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के रिसर्च डायरेक्टर डॉ उम्मेद सिंह कहते हैं कि पोस्ट मानसून बारिश का असर मिला-जुला दिखता है. यह खरीफ की फसल के लिए नुकसानदायक है, लेकिन आने वाले रबी की फसल के लिए यह बेहतर जमीन तैयार करने में कारगर साबित होगी. डॉक्टर उम्मेद सिंह ने कहा कि जहां फसल तैयार होने के बाद उपज ले ली गई है और घर या गोदाम में रख दी गई है. वहां कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर पछेती की खेती करने वाले कोई किसान हैं, तो खेत में खड़ी हुई फसल को नुकसान हुआ होगा. इसमें मूंग ग्वार और बाजरे जैसी फसल शामिल हैं.
हालांकि कृषि विशेषज्ञ पोस्ट मानसून बारिश को 'कहीं खुशी - कहीं गम' की स्थिति वाला मानते हैं, लेकिन खेतों में खड़ी फसल का जायजा लेने पर पता लगता है कि अगर किसान की उपज तैयार होकर गोदाम या घर तक नहीं पहुंची है, तो उसका नुकसान हुआ है. प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान की खबर डीडवाना–कुचामन से आ रही है. इसके साथ सीकर, झुंझुनू, शाहपुरा, विराटनगर में भी कुछ जगह, जहां कटी हुई फसल खेत में रखी थी, उसका नुकसान हुआ है. लेकिन दुर्गापुरा कृषि अनुसंधान केंद्र में जहां रीसर्च का काम होता है, वहां उगाए गए बाजरे में भी काफी नुकसान दिख रहा है. रिसर्च का काम देख रहे डॉ कैलाश पटेल बताते हैं कि यहां बाजरे में चार से पांच तरह की अलग-अलग समस्या आई है. कहीं बाजरे के सिट्टे में दाना नहीं आया, तो कहीं काला पड़ गया, तो कहीं इसमें दूसरी बीमारियां लग गई हैं. हालांकि यह रिसर्च की जगह है, लेकिन इस परखी से ही पता लग रहा है कि, खेतों में खड़ी फसल के लिए यह बारिश नुकसानदायक रही है.
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