
Ajmer News: अजमेर में 16 साल की नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के गंभीर मामले में न्याय की उम्मीदों को तब बड़ा झटका लगा, जब सामने आया कि जनाना अस्पताल में पीड़िता के गर्भ से निकाले गए भ्रूण को बदल दिया गया. इस हेराफेरी के चलते डीएनए जांच में आरोपियों का मिलान भ्रूण से नहीं हो सका. विशेष लोक अभियोजक प्रशांत यादव ने इसे साक्ष्य मिटाने की सोची-समझी साजिश बताया है.
किशोरी को जून 2024 में केकड़ी अस्पताल से अजमेर जनाना अस्पताल रेफर किया गया था. पीड़िता ने पुलिस को बताया कि गांव का सहपाठी उसे 26 जनवरी को अपने घर ले गया और कमरे में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. कुछ महीनो बाद नाबालिक पीड़िता गर्भवती हो गई. गर्भवती होने पर परिजन उसे इलाज के लिए ले गए, जहां गर्भपात कराया गया और भ्रूण के सैंपल डीएनए जांच के लिए भेजे गए.
पॉक्सो एक्ट और IPC की धारा 376 और विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे में पुलिस ने पीड़िता, आरोपी और भ्रूण के सैंपल एफएसएल को भेजे, लेकिन रिपोर्ट में किसी का मिलान नहीं हुआ. यही नहीं, जांच में सामने आया कि पीड़िता और भ्रूण के सैंपल भी अलग-अलग थे.
सरकारी वकील ने गृहमंत्री, डीजीपी को लिखा पत्र
प्रशांत यादव ने गृह मंत्री, डीजीपी, आईजी और एसपी को पत्र लिखकर बताया कि यह सब आरोपियों को बचाने के लिए किया गया. उन्होंने जनाना अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों और ड्यूटी स्टाफ को जिम्मेदार ठहराते हुए IPC की धारा 201 व पॉक्सो की धाराओं में कार्रवाई की सिफारिश की है.
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