विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Aug 21, 2023

तीर्थराज पुष्कर के गुलाबों से महकता है ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का दरगाह

पुष्कर क्षेत्र के लाल, गुलाबी गुलाब की महक पूरे देश-दुनिया में अलग ही पहचान है. यहां तिलोरा, कानस, होकरा, बूढ़ा पुष्कर क्षेत्र में बढ़े पैमाने पर गुलाब की खेती होती है. यहां का लाल-गुलाबी गुलाब बरसों से गरीब नवाज की मजार शरीफ पर चढ़ाया जा रहा है.

Read Time: 4 min
तीर्थराज पुष्कर के गुलाबों से महकता है ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का दरगाह
पुष्कर के गुलाब अजमेर में बिखेरते हैं खुश्बु
Pushkar:

अजमेर जिले में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का दरगाह अक्सर गुलाब और गुलाब के फूलों की महक से गुलजार रहती है. यहां गरीब नवाज की बारगाह पर अकीदतमंद चादर के साथ गुलाब के फूलों की भरी टोकरी लेकर जियारत के लिए पहुंचते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दरगाह में गुलाब विश्व विख्यात ब्रह्मा जी की नगरी तीर्थराज पुष्कर से यहां पहुंचती है। 

rt3316l8

दरअसल, पुष्कर के पास स्थित कई गांवों में बड़े स्तर पर गुलाब की खेती होती है, जहां से प्रतिदिन दरगाह में चढ़ाने के लिए गुलाब के फूल यहां पहुंचते हैं. जायरीन अपनी टोकरियों में पुष्कर के गुलाब चढ़ाने के लिए जब निकलते हैं तो दरगाह उनकी महक से सराबोर हो उठता है. कहा जाता है कि दरगाह को सुगंधित करने में पुष्कर के गुलाबों की भूमिका अह्म होती है। हालांकि इनमें इत्र का भी महत्वपूर्ण योगदान है.

दरगाह में चादर के साथ गुलाब चढ़ाने की है परंपरा

पुष्कर के गांवों में दरगाह शरीफ में पहुंचने वाले गुलाबों में लाल और गुलाबी की मांग सबसे अधिक हैं. अजमेर पहुंचने वाले अकीदतमंद जायरीन बड़ी संख्या में चादर के साथ गुलाब की टोकरी ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में पेश करते हैं. दरगाह में चादर के साथ गुलाब के फूलों और इत्र पेश किए जाने की एक परंपरा है.

k0qsrako

पुष्कर के गुलाबों का दरगाह से है अद्भुत संबंध

सृष्टि रचयिता प्रजापिता ब्रह्मा और सूफियत का पैगाम देने वाले ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के शहर बरसों से एक अद्भुत रिश्ते से बंधे हुए है. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती 11 वीं शताब्दी में अजमेर आए थे. यहीं से गरीबों की सेवा, परस्पर प्रेम और सूफी शिक्षाओं का पैगाम दिया. यहीं उनकी मजार शरीफ और दरगाह बनी हुई है. अजमेर से महज 11-12 किलोमीटर दूर स्थित प्रजापिता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर के गुलाबों ने दरगाह से एक अद्भुत संबंध बना लिया है.

अजमेर दरगाह में चढ़ता है पुष्कर का गुलाब

पुष्कर क्षेत्र के लाल, गुलाबी गुलाब की महक पूरे देश-दुनिया में अलग ही पहचान है. यहां तिलोरा, कानस, होकरा, बूढ़ा पुष्कर क्षेत्र में बढ़े पैमाने पर गुलाब की खेती होती है. यहां का लाल-गुलाबी गुलाब बरसों से गरीब नवाज की मजार शरीफ पर चढ़ाया जा रहा है. प्रतिदिन फूलों के व्यापारी गुलाब के फूल लेकर अजमेर आते-जाते हैं. इस गुलाब की महक से ख्वाजा साहब की दरगाह गुलजार रहता है.

skjrb438

गुलाब और इत्र की खुश्बु से महकता है दरगाह

पुष्कर के गुलाब की महक बेहद अलग है. पुरानी कथाओं के अनुसार पुष्कर क्षेत्र में सरस्वती नदी का बहाव क्षेत्र भी माना गया है. इस नदी का पानी मीठा था. यही वजह है कि पुष्कर क्षेत्र के गुलाब में अलग महक होती है. पुष्कर के निकटवर्ती नंदा सरस्वती और बूढ़ा पुष्कर क्षेत्र में सरस्वती नदी की मौजूदगी अभी भी बताई जाती है. 

प्रतिदिन गुलाब की कई हजार किलो पैदावार

पुष्कर, चांवडिया, गनाहेड़ा, बस्सी, कोठी, नाला, बाडी घाटी, तिलोरा, सूरजपुरा सहित आसपास के दस से अधिक गांवों में देशी गुलाब की खेती होती है. प्रतिदिन जिले में 150 टन देशी गुलाब की पैदावार हो रही है. पूरे साल में 30 लाख किलो से अधिक गुलाब की पैदावार होती है. इसमें से 10 लाख किलो गुलाब की पंखुड़ियों को सुखाकर विदेशों में सप्लाई होता है. सालाना 18 से 20 करोड़ का टर्नओवर देशी गुलाब का है.

dqd72lqo

मंदिर मस्जिद और शादी में आते है काम

अजमेर व पुष्कर के लाल गुलाब की सबसे अधिक मांग ख्वाजा साहब की दरगाह में है. मंदिरों के अलावा शादी समारोह में लाल गुलाब की मांग रहती है. पुष्कर की मिट‌्टी, जलवायु व पानी गुलाब की खेती के लिए सबसे अधिक अनुकूल है. गुलाब के लिए चैत्र का माह सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. कहां जाता है साठ प्रतिशत गुलाब की पैदावार चैत्र माह में होती है.

Rajasthan.NDTV.in पर राजस्थान की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार, लाइफ़स्टाइल टिप्स हों, या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें, सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Close