
राजस्थान में जबरन धर्म परिवर्तन रोकने वाला धर्मांतरण विरोधी बिल सदन में पारित हो गया है. अपने मूल धर्म में लौटने को धर्मांतरण नहीं माने जाने वाला प्रावधान चर्चा का विषय है. विधेयक के इसी प्रावधान को देखते हुए सदन के भीतर ही भाजपा विधायक गोपाल शर्मा ने कांग्रेस के विधायक रफीक खान और अमीन कागजी को उनके मूल धर्म में लौटने का न्योता भी दे दिया. अब चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या वाकई मूल धर्म में लौटना इतना आसान होगा और अगर ऐसा है, तो किसी व्यक्ति का मूल धर्म कौन सा है, यह कौन तय करेगा?
धर्मांरतरण विरोधी बिल सदन में पारित
मंगलवार को विधानसभा में शोर-शराबे और हंगामे के बीच राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025 पारित हो गया. इस विधेयक में जबरन धर्म परिवर्तन रोकने के प्रावधान हैं, तो साथ ही किसी व्यक्ति को अपने मूल धर्म में लौटने का मौका भी मिल सकेगा. मूल धर्म में लौटने को जरबरन धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
"रफीक खान जड़ों की तरफ लौटें"
सदन के बाहर विधायक गोपाल शर्मा से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "मैंने केवल रफीक खान और अमीन कागजी को ही मूल धर्म में लौटने का न्योता नहीं दिया, बल्कि मैंने वगैरह और अन्य शब्द का भी इस्तेमाल किया था." रफीक खान कायमखानी यानी कन्वर्टेड मुसलमान हैं, लिहाजा सदन के भीतर और बाहर उन्हें मूल धर्म में लौटने का न्योता मिलने का मतलब यही था कि वह फिर से जड़ों की ओर लौटें.
"गोपाल शर्मा का मूल धर्म क्या है?"
इसके बाद जब रफीक खान से उनके मूल धर्म में लौटने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने यही कहा कि गोपाल शर्मा जड़ों की ओर लौटने की बात करते हैं, लेकिन अगर मूल धर्म की बात करें तो गोपाल शर्मा का मूल धर्म क्या है? साथ ही रफीक खान ने कहा कि अगर गोपाल शर्मा कल कहेंगे कि मानव उत्पत्ति कैसे हुई?जिस तरह उत्पत्ति हुई उसी रूप में चले जाएं, तो ऐसी बातें संभव नहीं हैं. रफीक खान ने कहा कि बीजेपी को काम की बात पर राजनीति करनी चाहिए. इन बातों में कुछ नहीं रखा.
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