Rajasthan School: साल 2025 में झालावाड़ स्कूल हादसे को भूलना किसी के लिए भी मुश्किल है. इस हादसे के बाद भी राजस्थान में सरकारी स्कूलों की जर्जर भवनों की स्थिति सुधारने में सरकार नाकाम साबित हो रही है. शिक्षा विभाग के सर्वे में जो स्थिति सामने आई है वह गंभीर चिंता पैदा करती है. प्रदेश में करीब 65 हजार सरकारी स्कूल हैं. सर्वे के अनुसार 3,768 स्कूलों की पूरी इमारतें जर्जर हालत में हैं. इसके अलावा 83,783 कक्षाएं और 16,765 शौचालय भी अत्यंत खराब स्थिति में पाए गए हैं. जारी आंकड़ों में यह भी सामने आया कि 2,19,902 कक्षाओं और 29,753 शौचालयों को तत्काल मरम्मत की जरूरत है. ऐसे में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सभी विधायकों को पत्र लिखकर अपने विधायक कोष का 20 प्रतिशत हिस्सा स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.
हाई कोर्ट की फटकार के बाद भी एक्शन प्लान नहीं
झालावाड़ के पिपलोदी में हुए स्कूल हादसे के बाद राजस्थान के स्कूलों के भवनों की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल मंडरा रहे हैं. हादसे में 7 बच्चों की मौत हो गई थी. इसके बाद विपक्ष ने सरकार को जमकर घेरा. हाइकोर्ट ने मामले में स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करना शुरू किया. सरकार को डांटा और एक्शन प्लान बनाने के आदेश दिए. हालांकि कोर्ट की फटकार और आदेश के बाद भी स्कूलों के हालात नहीं सुधरे. 6 नवंबर को कोर्ट ने सरकार को नया एक्शन प्लान file करने के आदेश दिए. इसके बाद कोर्ट ने यह सख्त निर्देश भी दिया कि यदि इस बार ठीक एक्शन प्लान सही समय पर नहीं दिया गया तो शिक्षा विभाग के सचिव को तलब किया जाएगा.
मदन दिलावर विधायकों से मांग रहे पैसा
इसी बीच शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने प्रदेश के सभी विधायकों से पत्र लिखकर अपने विधायक कोष की 20% राशि (1 करोड़ रुपए) विद्यालय भवनों की मरम्मत के लिए शिक्षा विभाग को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने विधायकों को अपनी तरफ से सभी विधायकों को पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार राज्य के राजकीय विद्यालय भवनों के तकनीकी दलों के द्वारा सर्वे करवाया गया. सर्वे रिपोर्ट अनुसार राज्य के 3 हजार 768 विद्यालयों के सम्पूर्ण भवन, 83 हजार 783 कक्ष, 16 हजार 765 शौचालय जर्जर अवस्था में है. इसके अलावा 2 लाख 19 हजार 902 कक्षों एवं 29 हजार 753 शौचालयों में मरम्मत की आवश्यकता पाई गयी.
इस साल मानसून की भारी वर्षा को देखते हुए राजकीय विद्यालयों के भवनों में मरम्मत/जर्जर कक्षों के स्थान पर नवीन कक्षों के निर्माण/जर्जर विद्यालय भवनों के स्थान पर नवीन भवन निर्माण की अत्यधिक आवश्यकता है. उक्त व्यापक निर्माण कार्यों की आवश्यकता की पूर्ति के लिए अत्यधिक राशि की आवश्यकता है.
इससे पहले मुख्यमंत्री ने भी राज्य के राजकीय विद्यालय भवनों के लिए विधायक कोष से 20 प्रतिशत राशि वार्षिक ‘‘विधायक शिक्षा का साथी योजना ‘‘ अन्तर्गत व्यय किए जाने की घोषणा की थी.
आपको बता दें कि इससे पहले राज्य सरकार ने अपनी विस्तृत योजना के अनुसार कुल 1,624.29 करोड़ रुपये का बजट स्कूलों की मरम्मत के लिए निर्धारित किया गया है. इस बजट को हाइकोर्ट ने अपर्याप्त और प्लान को अधूरा बताया था.
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