
Rajasthan News: कभी मोक्षदायिनी मानी जाने वाली बाणगंगा नदी और ऐतिहासिक रामगढ़ बांध अब वीरान पड़े हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि ये धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरें फिर से जीवन से भर सकेंगी. जयपुर के पास स्थित जमवारामगढ़ क्षेत्र में बहने वाली बाणगंगा नदी और इसके तट पर स्थित रामगढ़ बांध, वर्षों पहले धार्मिक आस्था और जीवनदायिनी जल स्रोतों के रूप में प्रतिष्ठित थे. रामगढ़ बांध के मुख्य भराव क्षेत्र में स्थित जलेश्वर महादेव मंदिर (Jaleshwar Mahadev Mandir) प्राचीन काल में अपने कुंडों और अविरल जल प्रवाह के लिए जाना जाता था. यहां कुंडों में स्नान के बाद लोग विधिविधान से अपने पूर्वजों की अस्थियां प्रवाहित करते थे. बाणगंगा नदी को मां गंगा का स्वरूप मानकर जयपुर, दौसा और अलवर जिलों से लोग यहां अस्थि विसर्जन के लिए आया करते थे.
महाभारत काल के अर्जुन से कनेक्शन
स्थानीय जनमान्यता के अनुसार, यह वही पवित्र स्थान है जहां महाभारत काल में अर्जुन ने गंगा जल के लिए धरती पर बाण चलाया था और गंगा प्रकट हुई थी. तभी से यह नदी बाणगंगा या अर्जुन की गंगा के नाम से प्रसिद्ध हुई. इतिहास गवाह है कि जयपुर रियासत के महाराज माधोसिंह द्वितीय ने लगभग 125 वर्ष पूर्व अरावली पर्वत शृंखला के मध्य इस क्षेत्र में भव्य रामगढ़ बांध का निर्माण कराया था. लेकिन पिछले दो दशकों में यह इलाका पानी की भारी कमी और अनदेखी का शिकार हुआ है. बाणगंगा नदी का प्रवाह रुकने से न सिर्फ जलेश्वर महादेव मंदिर जलमग्न स्थिति से बाहर आ गया है, बल्कि अस्थि विसर्जन की परंपरा भी थम चुकी है. कभी जल से भरा रहने वाला यह पवित्र स्थल अब सूखा और सुनसान दिखाई देता है.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दौरे से नई उम्मीद
अब इस ऐतिहासिक धरोहर को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा गुरुवार को जमवारामगढ़ के दौरे पर रहेंगे, जहां वे "वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान" का शुभारंभ करेंगे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री रामगढ़ बांध क्षेत्र में श्रमदान करेंगे और जलेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना भी करेंगे. मुख्यमंत्री के प्रस्तावित दौरे को लेकर प्रशासनिक हलचल तेज हो गई हैं. दौरे से एक दिन पहले ही जयपुर रेंज के आईजी अजयपाल लांबा, जिला कलेक्टर जितेंद्र सोनी और विधायक महेन्द्र पाल मीणा मौके पर पहुंचे और तैयारियों का जायजा लिया. अधिकारियों ने रामगढ़ बांध और आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण कर सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक तैयारियों की समीक्षा की. संबंधित विभागों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.
सांस्कृतिक और धार्मिक पुनर्जागरण की ओर कदमस्थानीय लोगों को उम्मीद है कि इस अभियान और सरकारी सक्रियता से बाणगंगा नदी में दोबारा जल प्रवाह बहाल होगा और रामगढ़ बांध फिर से जल से लबालब भर सकेगा. इससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बहाल होगा, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को भी नया जीवन मिलेगा.
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