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OPS की जगह राजस्थान में लागू होगी NPS? सरकार ने माना- कई संस्थाएं पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने में सक्षम नहीं

अरुण चतुर्वेदी ने साफ किया कि यह फैसला उन संस्थाओं के लिए राहत है जो OPS का वित्तीय बोझ नहीं उठा सकतीं, लेकिन यह एक बड़े वित्तीय सुधार की तरफ इशारा करता है, जहां सरकार को भविष्य में पेंशन दायित्वों को संतुलित करना होगा.

OPS की जगह राजस्थान में लागू होगी NPS? सरकार ने माना- कई संस्थाएं पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने में सक्षम नहीं
कैग रिपोर्ट सही थी! अरुण चतुर्वेदी ने माना- राजस्थान के हेल्थ ढांचे पर चिंता जायज (फाइल फोटो)
X@chaturvediarun1

Rajasthan News: राजस्थान की सरकारी व्यवस्था में काम कर रहे लाखों कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) को लेकर एक बड़ा नीतिगत बदलाव सामने आया है. राज्य सरकार ने बोर्ड, निगम, राजकीय उपक्रम, स्वायत्तशासी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में कार्यरत व सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए OPS के संबंध में नया आदेश जारी किया है. इस नए आदेश से उन संस्थाओं को OPS से हटने की छूट मिल गई है, जिनकी वित्तीय स्थिति कमजोर है और जो पेंशन का बोझ उठाने में सक्षम नहीं हैं. इन संस्थाओं में अब OPS की जगह नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), सेंट्रल प्रॉविडेंट फंड (CPF) और ईपीएफ (EPF) जैसी व्यवस्थाएं लागू की जाएगी .

यह फैसला पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए OPS पर एक बड़ा यू-टर्न माना जा रहा है. 

अरुण चतुर्वेदी ने क्या कहा?

राजस्थान वित्त आयोग के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने NDTV राजस्थान से खास बातचीत में इस पूरे घटनाक्रम और राज्य की वित्तीय स्थिति पर विस्तार से बात की. चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि सरकार फिलहाल NPS को बंद करने नहीं जा रही है, लेकिन उन्होंने महत्वपूर्ण संकेत दिया कि देर-सवेर नए कर्मचारियों के लिए NPS का फॉर्मूला लागू करना पड़ेगा. उन्होंने कहा, 'पुराने कर्मचारियों को फिलहाल OPS का लाभ मिलता रहेगा, लेकिन बोर्ड, निगम, स्वायत्तशासी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों के लिए NPS, CPF और EPF व्यवस्था लागू करने का फैसला लिया जा सकता है.'

दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 20 अप्रैल 2023 को जीपीएफ लिंक्ड पेंशन स्कीम लागू करने का फैसला लिया था, जिसके तहत कई संस्थाओं में OPS लागू हो गया था. अब वित्त विभाग ने नए निर्देश दिए हैं, जिसके तहत वित्तीय रूप से कमजोर संस्थाओं को OPS से हटने की छूट दी गई है. यह आदेश उन संस्थाओं के लिए भी स्पष्टीकरण है, जिन्होंने OPS लागू करने का निर्णय किया था, वहां राशि लौटाई नहीं जाएगी.

चतुर्वेदी ने साफ किया कि यह फैसला उन संस्थाओं के लिए राहत है जो OPS का वित्तीय बोझ नहीं उठा सकतीं, लेकिन यह एक बड़े वित्तीय सुधार की तरफ इशारा करता है, जहां सरकार को भविष्य में पेंशन दायित्वों को संतुलित करना होगा.

हेल्थ बजट पर होगी चर्चा

वित्त आयोग के अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने हाल ही में आई कैग (CAG) की स्वास्थ्य ऑडिट रिपोर्ट पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जो चिंता जताई गई है, वह काफी हद तक सही है. चतुर्वेदी ने स्वीकार किया कि पिछले कुछ वर्षों में राजस्थान में स्वास्थ्य ढांचे को लेकर उतना काम नहीं हुआ, जितनी आवश्यकता थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हेल्थ सिस्टम का मतलब केवल बड़े शहरों में मेडिकल सुविधाएं देना नहीं है. उन्होंने कहा, 'यह सुनिश्चित करना है कि दूर-दराज के इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हों.'

'गांव में पोस्टिंग से डरे नहीं'

वित्त आयोग अध्यक्ष ने चिकित्सकों को भी संदेश दिया. उन्होंने कहा, 'सरकार डॉक्टरों की भर्ती कर सकती है, लेकिन चिकित्सकों को भी ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए.' यह टिप्पणी CAG की उस रिपोर्ट के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की भारी कमी सामने आई थी. अरुण चतुर्वेदी ने NDTV को यह भी बताया कि आगामी बजट से पहले राज्य के हेल्थ बजट में बढ़ोतरी को लेकर सरकार से चर्चा की जाएगी.

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