Maryada Purushottam Ram: कहते हैं जीवन में सभी को अपना-अपना संघर्ष जीना पड़ता है. वक्त इंसान को ही नहीं, भगवान को भी प्रतीक्षा कराती है. 22 जनवरी, 2024 को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अयोध्या लौटे आएंगे, जिसके लिए प्रवासी राम ने 550 वर्ष प्रतीक्षा की है. यह प्रतीक्षा ही इंसान को इंसान बनाए रखती है और यही प्रतिमान भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाती है.
'राम आयेंगे अयोध्या तो अंगना सजाऊंगी' से चर्चा में आईं छपरा की स्वाति मिश्रा ने अपने गीत में पूरी दुनिया में फैले करोड़ों हिंदुस्तानियों के भावनाओं को पिरोया है,जो नगर अयोध्या में भगवान राम के स्वागत के आकांक्षी हैं. पूरी दुनिया में फैले रामभक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह का साक्षी बनना चाहते है,, लेकिन यह समय ही है, जो सबकी प्रतीक्षा का समय निर्धारित करती है.
समय की मर्यादा का स्वयं मर्यादा पुरुषोत्म राम ने भी पालन किया. 550 वर्ष तक कभी टेंट तो कभी बरामदे में रहे भगवान राम अब अयोध्या में अपने मंदिर में लौटेंगे, जिसकी प्रतीक्षा विश्व के कोने-कोने में फैले भक्त कर रहे हैं और इस पल की प्रतीक्षा रामभक्त ने ही नहीं, खुद भगवान राम ने भी किया है.
पौराणिक कहानियों के अनुसार समय बीता और अयोध्या धरती पर उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य आखेट करने पहुंचे, तो उन्हें जमीन पर कुछ चमत्कारिक सा घटित होता दिखा. कौतुलहवश राजा विक्रमादित्य ने जमीन के इतिहास को खंगलवाया और खोज कराए, और जब उन्हें जमीन पर भगवान राम के होने के साक्ष्य मिल गए, तो उन्होंने यहां काले रंग के कसौटी पत्थरों के साथ 84 स्तंभ वाले मंदिर का निर्माण करवाया, जिसके बाद वहां विधिवत भगवान राम की पूजा होती थी.
अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की जमीन पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम राम से जुड़े साक्ष्यों को तलाशने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पुरातात्विक साक्ष्यों का अध्ययन करने के लिए वर्ष 1978-79 और 2003 दो बार खुदाई की. बी बी लाल के नेतृत्व में पहली खुदाई के दौरान, टीम ने एक हिंदू मंदिर के अवशेषों से बने मस्जिद के 12 स्तंभों की खोज की थी.
वहीं, 2003 की खुदाई में मिलए 50 से अधिक खंभे मिलने के बाद इस अवधारणा को बल मिला कि मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर था. उत्खननकर्ताओं ने एक मंदिर प्रणाली, 'प्राणली', 'शिखर' और अन्य वास्तुशिल्प तत्वों की खोज की. टेराकोटा के अवशेष, जिनमें देवी-देवताओं और मानव आकृतियों को चित्रित करने वाले 263 टुकड़े शामिल हैं, जिन्होंने वहां एक मंदिर होने के और सबूत प्रदान किए.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, भारत सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का गठन किया, एक ट्रस्ट जिसे राम मंदिर के निर्माण की देखरेख सौंपी गई. आधिकारिक तौर पर मार्च 2020 में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन किया.
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