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This Article is From Jan 08, 2024

Ram Temple Consecration: 550 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद, अयोध्या लौटेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम राम!

Ayodhya Ram temple consecration ceremony: मर्यादा की प्रतिमान श्री राम की स्वागत की तैयारी के लिए अयोध्या‌ सज धज कर तैयार हो रही है. नगर का कोना-कोना राममय और रामधुन से सराबोर है. बहुत दिन कम रह गए है जब प्रवासी राम बाल रूप में मंदिर के गर्भगिरह में पधारेंगे.

Ram Temple Consecration: 550 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद, अयोध्या लौटेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम राम!
प्रतीकात्मक तस्वीर

Maryada Purushottam Ram: कहते हैं जीवन में सभी को अपना-अपना संघर्ष जीना पड़ता है. वक्त इंसान को ही नहीं, भगवान को भी प्रतीक्षा कराती है. 22 जनवरी, 2024 को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अयोध्या लौटे आएंगे, जिसके लिए प्रवासी राम ने 550 वर्ष प्रतीक्षा की है. यह प्रतीक्षा ही इंसान को इंसान बनाए रखती है और यही प्रतिमान भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम राम बनाती है. 

मर्यादा की प्रतिमान श्री राम की स्वागत की तैयारी के लिए अयोध्या‌ सज धज कर तैयार हो रही है. नगर का कोना-कोना राममय और रामधुन से सराबोर है. बहुत दिन कम रह गए है जब राम बाल रूप में मंदिर के गर्भगृह में पधारेंगे.

'राम आयेंगे अयोध्या तो अंगना सजाऊंगी' से चर्चा में आईं छपरा की स्वाति मिश्रा ने अपने गीत में पूरी दुनिया में फैले करोड़ों हिंदुस्तानियों के भावनाओं को पिरोया है,जो नगर अयोध्या में भगवान राम के स्वागत के आकांक्षी हैं. पूरी दुनिया में फैले रामभक्त प्राण प्रतिष्ठा समारोह का साक्षी बनना चाहते है,, लेकिन यह समय ही है, जो सबकी प्रतीक्षा का समय निर्धारित करती है.

मकर संक्रांति के बाद आगामी 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या जाएंगे और प्राण प्रतिष्ठा समारोह में निर्माणाधीन राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला बाल स्वरूप में स्थापित किए जाएंगे. 

समय की मर्यादा का स्वयं मर्यादा पुरुषोत्म राम ने भी पालन किया. 550 वर्ष तक कभी टेंट तो कभी बरामदे में रहे भगवान राम अब अयोध्या में अपने मंदिर में लौटेंगे, जिसकी प्रतीक्षा विश्व के कोने-कोने में फैले भक्त कर रहे हैं और इस पल की प्रतीक्षा रामभक्त ने ही नहीं, खुद भगवान राम ने भी किया है. 

मान्यता है कि अयोध्या में निर्मित राम मंदिर सतयुग में वैवस्वत मनु ने स्थापित किया था. वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या नगरी में भगवान राम का जन्म हुआ और कई सालों तक अयोध्या में राम राज के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने सरयू नदी में जल समाधि ले ली थी. 

पौराणिक कहानियों के अनुसार समय बीता और अयोध्या धरती पर उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य आखेट करने पहुंचे, तो उन्हें जमीन पर कुछ चमत्कारिक सा घटित होता दिखा. कौतुलहवश राजा विक्रमादित्य ने जमीन के इतिहास को खंगलवाया और खोज कराए, और जब उन्हें जमीन पर भगवान राम के होने के साक्ष्य मिल गए, तो उन्होंने यहां काले रंग के कसौटी पत्थरों के साथ 84 स्तंभ वाले मंदिर का निर्माण करवाया, जिसके बाद वहां विधिवत भगवान राम की पूजा होती थी. 

साल 1526 के बाद भारत आए मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने राम जन्मभूमि पर बने प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद बनवाया. बाबर के एक सेनापति ने बिहार अभियान के समय राम मंदिर को तुड़वाया था, जिसका उल्लेख बाबर रचित बाबरनामा में भी मिलता है. 

अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर की जमीन पर मर्यादा पुरुषोत्तम राम राम से जुड़े साक्ष्यों को तलाशने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने पुरातात्विक साक्ष्यों का अध्ययन करने के लिए वर्ष 1978-79 और  2003 दो बार खुदाई की. बी बी लाल के नेतृत्व में पहली खुदाई के दौरान, टीम ने एक हिंदू मंदिर के अवशेषों से बने मस्जिद के 12 स्तंभों की खोज की थी.

वर्ष 1978-79 में हुई खुदाई में मिले पुरातात्विक स्तंभों पर समृद्धि का संकेत देने वाले पूर्ण कलश चिह्न थे, जो 12वीं और 13वीं शताब्दी के मंदिरों में पाए जाते थे. मंदिर की विशेषताओं के अनुरूप, मनुष्यों और जानवरों को चित्रित करने वाली टेराकोटा मूर्तियां भी मिलीं.

वहीं, 2003 की खुदाई में मिलए 50 से अधिक खंभे मिलने के बाद इस अवधारणा को बल मिला कि मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर था. उत्खननकर्ताओं ने एक मंदिर प्रणाली, 'प्राणली', 'शिखर' और अन्य वास्तुशिल्प तत्वों की खोज की. टेराकोटा के अवशेष, जिनमें देवी-देवताओं और मानव आकृतियों को चित्रित करने वाले 263 टुकड़े शामिल हैं, जिन्होंने वहां एक मंदिर होने के और सबूत प्रदान किए. 

खुदाई में मिले पुरातात्विक सबूतों की रोशनी और तमाम जिरहों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने जन्मभूमि स्थल पर राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला सुनाया. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, भारत सरकार ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का गठन किया, एक ट्रस्ट जिसे राम मंदिर के निर्माण की देखरेख सौंपी गई. आधिकारिक तौर पर मार्च 2020 में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, 5 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन किया. 

ये भी पढ़ें-अयोध्या विवाद में पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को मिला रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता

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