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बाबूलाल खराड़ी ने इशारों में सांसद राजकुमार रोत पर किया तीखा प्रहार, बयान से गरमाई सियासत

गोगुन्दा के देवला क्षेत्र में 30 करोड़ की लागत से बनने वाले आवासीय स्कूल के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी गुरुवार को पूरी तरह तेवर में दिखे.

बाबूलाल खराड़ी ने इशारों में सांसद राजकुमार रोत पर किया तीखा प्रहार, बयान से गरमाई सियासत
बाबूलाल खराड़ी

Rajasthan Politics: टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी के बयान से राजस्थान की सियासत गरमा गई है. गोगुन्दा के देवला क्षेत्र में आवासीय स्कूल के शिलान्यास कार्यक्रम में टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी के बयान सुर्खियों में हैं. मंच से उन्होंने सांसद राजकुमार रोत पर बिना नाम लिए तीखा हमला बोला. धर्म, जनजातीय पहचान और राजनीतिक वादों पर मंत्री ने कई सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा—आदिवासी कौन हैं, क्या मानते हैं, और राजनीति में क्या वादे पूरे हुए. इन तमाम मुद्दों पर स्पष्टता होनी चाहिए. उनके बयान ने इलाके की सियासत में नई गरमाहट ला दी है.

गोगुन्दा के देवला क्षेत्र में 30 करोड़ की लागत से बनने वाले आवासीय स्कूल के शिलान्यास कार्यक्रम में पहुंचे टीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी गुरुवार को पूरी तरह तेवर में दिखे. मंच से संबोधित करते हुए उन्होंने सांसद राजकुमार रोत पर बिना नाम लिए एक के बाद एक तीखे सवाल खड़े किए.

राम के अस्तित्व पर सवाल उठाना समाज को भटकाने जैसा

मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने कहा कि आदिवासी समाज की पहचान और धार्मिक परंपराओं को लेकर उलटे बयान देने वाले पहले यह बताएं कि उनके पूर्वज कौन थे और वे खुद किस परंपरा से आते हैं. मंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज की संस्कृति राम से जुड़ी है, मिलते समय राम-राम, विदाई पर राम-राम और अंतिम यात्रा तक ‘राम नाम सत्य है. ऐसी परंपरा में जन्म लेकर राम के अस्तित्व पर सवाल उठाना समाज को भटकाने जैसा कदम है. उन्होंने ‘जय जौहार' के अर्थ पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिन्हें इसका मतलब नहीं पता, वे आदिवासी संस्कृति पर राजनीति कर रहे हैं.

नेताओं का काम समाज के निजी मामलों में दखल देना नहीं

बाबूलाल खराड़ी यहीं नहीं रुके. उन्होंने सांसद के उस बयान पर भी पलटवार किया जिसमें कहा गया था कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं. मंत्री ने पूछा अगर मंदिर नहीं जाएंगे तो कहां जाएंगे? और अगर ऐसा कहा जा रहा है कि मुसलमान हमारे भाई हैं, तो इतिहास भी समझना पड़ेगा कि देश में क्या हुआ था. नेताओं का काम सड़क, बिजली, पानी जैसी सुविधाएं देना है, न कि समाज के निजी मामलों में दखल देना.

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