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Rajasthan: बूंद-बूंद पानी को तरस रहे 'माही के गांव', प्यास बुझाने के लिए तपती धूप में हजारों फीट पहाड़ों पर चढ़ रहीं महिलाएं

Banswara News: बांसवाड़ा जिले के माही बांध के किनारे बसे पाड़ला गांव की बिलड़िया कॉलोनी के लोग पानी की कमी से बेहद परेशान हैं. हालात ये हैं कि वे पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं.

Rajasthan: बूंद-बूंद पानी को तरस रहे 'माही के गांव', प्यास बुझाने के लिए तपती धूप में हजारों फीट पहाड़ों पर चढ़ रहीं महिलाएं
पहाड़ियों से गुजरकर पानी लाती महिलाएं

Banswara Water Crisis: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में माही बांध के किनारे बसे पाड़ला गांव की बिल्डिया बस्ती की तस्वीर पानी की प्यास से होने वाली अपार पीड़ा की कहानी बयां करती है. जिन ग्रामीणों ने माही बांध के लिए अपने खेत, खलिहान, घर और जमीनें दे दीं, आज वही ग्रामीण पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं.

महिलाएं चिलचिलाती धूप में हजारों फीट चढ़कर पानी लाती हैं

हालात यह है कि परिवार के सदस्यों की प्यास बुझाने के लिए यहां की महिलाएं तपती धूप में हजारों फीट ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ती हैं, पथरीले रास्तों और जानलेवा खाइयों को पार करती हैं. वे गांव से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित एक पुराने कुएं से पानी लाती हैं। इसी पानी से वे अपनी रसोई में खाना बनाती हैं और पीने के पानी का इंतजाम करती हैं.

जमीन गई, लेकिन पानी नहीं मिला

अपना दर्द बयां करती गांव की एक महिला इंदिरा ने बताया कि हमारे खेत और घर सरकार ने माही बांध बनाने में ले लिए थे. औऱ हमें भरोसा दिलाया था कि हमें कभी पानी की कमी नहीं होगी, लेकिन आज हालात ये है कि हमारे सामने से माही का अथाह जल गुजरता है, और हम यहां एक-एक घड़े के लिए घंटों पैदल चलते हैं.

पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे ग्रामीण

पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रहे ग्रामीण
Photo Credit: NDTV

नाकाम हेंडपंप, सूखे कुएं, बेहाल बस्ती

गांव में पंचायत द्वारा खुदवाए गए सभी हैंडपंप लंबे समय से खराब पड़े हैं या फिर शुरू से ही पानी नहीं दे पाए हैं. और कॉलोनी में न तो पाइपलाइन से पानी आता है और न ही पानी का कोई स्थाई स्रोत है. इस संबंध में सरपंच पति का कहना है कि पहाड़ी इलाका होने के कारण पानी ऊपर नहीं चढ़ पाता और टैंकरों के माध्यम से वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है. कई बार रास्ता कठिन होने के कारण टैंकर नहीं पहुंच पाता, जिसके कारण ग्रामीणों को कई बार पानी खरीदना पड़ता है.

पानी के लिए होती है लड़ाई

जब गांव की महिलाएं आसपास के गांवों में हैंडपंप या कुएं से पानी लेने जाती हैं, तो वहां के लोग लड़ाई कर बैठते हैं, क्योंकि वहां भी पानी की भारी किल्लत है. कई बार घंटों इंतजार के बाद बारी आती है.

खेती चौपट, मवेशी प्यासे, परिवार पलायन को मजबूर

पाड़ला और बिलडिया समेत करीब पचास परिवार इस त्रासदी से जूझ रहे हैं. पानी की कमी से उनके खेत सूख गए हैं, सिंचाई नहीं हो पा रही है और पीने के पानी का संकट इतना है कि कई परिवारों के बच्चे शहरों की ओर पलायन कर गए हैं. और गांव में  बुजुर्ग अकेले रह गए हैं.

प्रशासन की अनदेखी, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

लोगों ने बताया कि माही बैकवाटर एरिया (नदी का वह हिस्सा जिसमें बहाव बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता) में आता है, जिसके कारण इस गांव तक पानी नहीं पहुंच पाता. जबकि माही बांध का जलस्रोत उनके सामने ही दिखाई देता है.जोह गांव जिला मुख्यालय से महज 12 किलोमीटर दूर है. इतनी कम दूरी के बावजूद लोगों को पानी ना  मिलना शासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता को दर्शाता है. 

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