संत महात्मा केवल धर्म की ही बात नहीं करते हैं. बल्कि वह समाज में व्याप्त बुराइयों को भी दूर करने का प्रयास करते हैं. इस बात को प्रदेश के आदिवासी जिले बांसवाड़ा और डूंगरपुर के संतों चरितार्थ करके दिखाया है. यह संत सामाजिक कार्यकर्ताओं के तौर पर सदियों से आदिवासी अंचल में जनजागरण के साथ ही शिक्षा की अलख जगाने के साथ- साथ समाज में व्याप्त कुरातियों को भी दूर करने में लगे हुए हैं.
जीवन खपा दिया शिक्षा का अलख जगाने में
नई पीढ़ी में शिक्षा की अलख जगाते हुए गांव-गांव, ढाणी ढाणी जाकर आदिवासी समाज को कुरीतियों से दूर रखने की नसीहत कई सालों से काम कर रहे हैं. संतों की मानें तो कुरीतियों के कारण आदिवासी समाज पिछड़ता जा रहा है. विभिन्न कुरीतियों के फेर में कर्ज लेकर लोग सामाजिक दिखावे वाले काम कर रहे हैं.
नशे के खिलाफ किया जागरूक
यही हालत नशे की जद में आए एक व्यक्ति या उसके परिवार के साथ भी है. इस वजह से कई परिवार बिखर गए है. इन पर लगाम लगाने के लिए संत समाज वाल्मीकि सुधार संस्थान के बैनर तले एक जुट होकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं.
छोटी उम्र में पैसा नहीं ज्ञान अर्जित करें
बेणेश्वर धाम स्थित वाल्मीकि आश्रम के महंत फुलगिरी महाराज ने बताया कि वह स्वयं उच्च शिक्षित नहीं है. लेकिन समाज में शिक्षा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि गांव में बड़ी संख्या में परिवार शिक्षा के बजाय कमाने पर जोर देते हैं. इस कारण बच्चे पढ़ नहीं पाते और कम आयु में ही श्रमिक कार्य में जुड़ जाते हैं.
नोतरा, भाजगड़ा प्रथा को जनजागरण से कर रहे दूर
यही क्रम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है. इसीलिए वह परिवारों को शिक्षा के महत्व और उसके लाभ के बारे में बताते हैं और बच्चों को पढ़ने पर जोर देते हैं. उन्होंने बताया कि आज भी समाज में शराब, जुआ, बहुपत्नी प्रथा, नोतरा, भाजगड़ा प्रथा जैसी कई कुरातियां व्याप्त हैं. जिनको जनजागरण से ही दूर किया जा सकता है.
शिक्षा न कि शराब
उन्होंने आगे बताया कि समाज में कई ऐसी कई कुप्रथाएं हैं. जिसमें बेफिजूल पैसा खर्च होता है. इन प्रथाओं के कारण परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ता जाता है. उन्होंने बताया कि शादियों में शराब और अन्य व्यसनों के बढ़ते प्रचलन का भी परिवार और समाज पर असर होता है.
ये संत ला रहे बदलाव की बयार
वागड़ क्षेत्र में महंत फुलगिरी महाराज, मोती गिरी महाराज, सेवागिरी महाराज, नगजी महाराज, कांति गिरी महाराज, जीवा महाराज, मीठालाल महाराज, थावर गिरी महाराज, मोनी बाबा, संत राम स्वरूप महाराज, संत राम प्रकाश महाराज आदि नशे के खिलाफ, दहेज प्रथा, नोतरा प्रथा के खिलाफ साथ ही शिक्षा को बढ़ावा देने और बच्चों को संस्कारवान बनने की शिक्षा दे रहे हैं.