Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजस्थान की सियासत में जमकर उथल पुथल मची हुई है. जहां कांग्रेस खेमे के बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. वहीं, बीजेपी में भी भगदड़ मची हुई है. इस बार लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने बगावत कर दी है. पहले चूरू के सबसे बड़े बीजेपी नेता राहुल कस्वां ने बगावत कर पार्टी छोड़ा. अब वसुंधरा खेमे के बड़े बीजेपी नेता प्रहलाद गुंजल ने भी बगावत शुरू कर दी है. ऐसा कहा जा रहा है कि प्रहलाद गुंजल ने टोंक लोकसभा सीट से टिकट की मांग की है. लेकिन शायद उनकी बात नहीं बन पाई है.
आपको बता दें, प्रहलाद गुंजल के सोशल मीडिया X हेंडलर पर उनकी बगावत दिख रही है. जहां बीजेपी के प्रत्येक नेता ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पर अपने नाम के साथ 'मोदी का परिवार' टैग लगाया था. उसे प्रहलाद गुंजल ने हटा दिया है.
प्रहलाद गुंजल ने लिखा याचना नहीं अब रण होगा
प्रहलाद गुंजल ने इसके साथ ही एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की कविता, 'याचना नहीं अब रण होगा' पोस्ट की है. इस कविता में उनके 'मन की बात' झलक रही है.
याचना नहीं अब रण होगा ।
— Prahlad Gunjal (@PrahladGunjal) March 19, 2024
संघर्ष महाभीषण होगा ।
जीवन-जय या कि मरण होगा ।
भाई पर भाई टूटेंगे ।
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे ।
वायस-श्रृगाल सुख लूटेंगे ।
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे।
आखिर तू भूशायी होगा ।
हिंसा का पर, दायी होगा।
अंत यही अब तेरा होगा ।
संघर्ष महाभीषण होगा ।।#PrahladGunjal
ओम बिरला से सालों से चल रही अदावत
प्रहलाद गुंजल सालों से वसुंधरा राजे के करीबी नेता माने जाते हैं. हालांकि, उनकी अदावत ओम बिरला से काफी समय से चली आ रही है. कहा जा रहा है कि प्रहलाद गुंजल ने टोंक सीट से बीजेपी से टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला जिसके बाद वह ओम बिरला को कोटा-बूंदी सीट से खुली चुनौती देने की तैयारी कर ली है. यह भी कहा जा रहा है कि टोंक सीट पर उनकी बात नहीं बन पाई है इसलिए वह कांग्रेस में जाने का फैसला कर चुके हैं, उनकी कांग्रेस से बात भी हो चुकी है. वह जल्द ही कांग्रेस ज्वाइन करेंगे और कांग्रेस उन्हें कोटा सीट से प्रत्याशी घोषित करेंगे.
ओम बिरला के लिए प्रहलाद गुंजल कितनी चुनौती
अगर प्रहलाद गुंजल कोटा सीट से चुनाव लड़ते हैं तो ओम बिरला के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है. क्योंकि, प्रहलाद गुंजल गुर्जर समाज से आते हैं और कोटा सीट पर गुर्जर वोट बैंक काफी बड़ा है. जबकि प्रहलाद गुंजल पुराने नेता और कोटा उत्तर से विधायक भी रह चुके हैं. हालांकि साल 2023 में कोटा उत्तर सीट से उन्हें कांग्रेस के शांति धारिवाल से महज ढ़ाई हजार वोटों से हार गए. प्रहलाद गुंजल का नाम गुर्जर आंदोलन में भी आता है.
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